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Rajasthan News: बालोतरा में बिजली संकट, एफआरटी टीम की लापरवाही से हर रोज अंधेरे में डूबता शहर

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, बालोतरा Published by: बालोतरा ब्यूरो Updated Mon, 15 Sep 2025 10:22 PM IST
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सार

Balotra News: जनता का कहना है कि यदि स्टाफ की कमी दूर नहीं की गई और एफआरटी टीम की जवाबदेही तय नहीं हुई, तो आने वाले दिनों में हालात और गंभीर हो सकते हैं। बरसात और गर्मी के मौसम में यह संकट न सिर्फ आमजन की दिनचर्या प्रभावित कर रहा है, बल्कि स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए भी बड़ा खतरा बन चुका है।
 

Rajasthan News: Power crisis in Balotra, city sinking in darkness every day due to negligence of FRT team
एफआरटी टीम की लापरवाही और स्टाफ की भारी कमी - फोटो : सोशल मीडिया
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विस्तार
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जिला मुख्यालय बालोतरा और आसपास के ग्रामीण इलाकों में इन दिनों बिजली संकट आमजन के लिए बड़ी परेशानी बन गया है। हल्की आंधी या बारिश होते ही जगह-जगह तार टूट जाते हैं, खंभों से स्पार्किंग शुरू हो जाती है और पूरा इलाका घंटों अंधेरे में डूबा रहता है। समस्या की सूचना एफआरटी (Fault Repairing Team) को दी जाती है, लेकिन टीम की लापरवाही और स्टाफ की कमी के कारण समाधान समय पर नहीं हो पाता।

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आधे से भी कम स्टाफ, दो गाड़ियों में केवल नाममात्र की टीम
नियमों के अनुसार, बालोतरा शहर में एफआरटी की दो गाड़ियां तैनात हैं और प्रत्येक गाड़ी में पांच सदस्यीय दल होना चाहिए। तीन शिफ्टों में चौबीस घंटे ड्यूटी निर्धारित की गई है ताकि किसी भी समय बिजली फाल्ट का समाधान हो सके। लेकिन हकीकत इससे बिल्कुल अलग है। सूत्रों का कहना है कि एजेंसी हर महीने 33 कार्मिकों का भुगतान उठा रही है, जबकि मौके पर मुश्किल से 7-8 कर्मचारी ही काम कर रहे हैं। शिकायत दर्ज होने के कई घंटे बाद टीम मौके पर पहुंचती है और अक्सर अधूरा काम करके लौट जाती है।
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जर्जर खंभे और तार बने मुसीबत
शास्त्री कॉलोनी समेत शहर के कई वार्डों में दशकों पुराने खंभे और तार लगे हैं। बरसात और आंधी के दौरान यही जर्जर ढांचा बड़ी मुसीबत बन जाता है। लगातार शॉर्ट सर्किट और तार टूटने की घटनाएं आम हो गई हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि शिकायत करने के बावजूद एफआरटी टीम देर से पहुंचती है, जिससे बिजली कटौती लंबी खिंच जाती है। एक निवासी ने नाराजगी जताते हुए कहा कि जब टीम आती है तो सिर्फ आधा-अधूरा काम करके लौट जाती है। इस लापरवाही की वजह से आमजन गर्मी और अंधेरे में परेशान होते हैं।

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अधिकारियों की पकड़ से बाहर ठेका प्रणाली
डिस्कॉम अधिकारी भी इस समस्या से अवगत हैं, लेकिन एफआरटी कार्मिकों की नियुक्ति प्रदेश स्तर पर ठेके के आधार पर होती है। ऐसे में स्थानीय अधिकारी उन पर सीधा नियंत्रण नहीं रख पाते। कई बार हालात बिगड़ने पर खुद डिस्कॉम कर्मचारी मौके पर जाकर फाल्ट सुधारते हैं, जबकि यह जिम्मेदारी पूरी तरह एफआरटी की होती है। बरसात या आंधी में जब एक साथ कई जगह तार टूटते हैं या ट्रांसफार्मर फुंकते हैं, तो हालात और बिगड़ जाते हैं।
 
जनप्रतिनिधियों तक पहुंची शिकायत, लेकिन समाधान अब तक अधूरा
स्थानीय लोग इस समस्या को लेकर कई बार विधायक और पार्षदों तक शिकायत दर्ज करवा चुके हैं। उच्चाधिकारियों को भी स्थिति से अवगत कराया गया है, लेकिन ठेका प्रणाली के कारण अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। जनता का कहना है कि यदि स्टाफ की कमी दूर नहीं की गई और एफआरटी टीम की जवाबदेही तय नहीं हुई, तो आने वाले दिनों में हालात और गंभीर हो सकते हैं। बरसात और गर्मी के मौसम में यह संकट न सिर्फ आमजन की दिनचर्या प्रभावित कर रहा है, बल्कि स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए भी बड़ा खतरा बन चुका है।

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