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Banswara: गैरेज से कामयाबी तक; टायर पंक्चर करते वक्त आया रिजल्ट, डूंगरपुर के विजय ने 97.20% के साथ रचा इतिहास

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, बांसवाड़ा Published by: बांसवाड़ा ब्यूरो Updated Fri, 23 May 2025 07:23 PM IST
सार

विजय ने जिस सरकारी स्कूल से पढ़ाई की, वहां पिछले तीन सालों से किसी भी विषय के लिए कोई व्याख्याता नहीं था। स्कूल में 11वीं और 12वीं की पढ़ाई की जिम्मेदारी सेकंड ग्रेड, थर्ड ग्रेड और तीन पंचायत स्तर के शिक्षकों पर थी।

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RBSE 12th Result 2025 vijay patidar dungarpur 12vi topper
विजय पाटीदार ने दिखाया दम - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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अगर हौसला मजबूत हो और मुश्किल हालात भी रोक ना सकें, तो सफलता जरूर मिलती है। डूंगरपुर जिले के आसपुर ब्लॉक में राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, गरियाणा के छात्र विजय पाटीदार ने 12वीं कला में 97.20% अंक लेकर जिले का नाम रोशन किया है।
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विजय ने घर पर ही पढ़ाई की, कभी ट्यूशन नहीं लिया

विजय, जो ईश्वरलाल पाटीदार के बेटे हैं और गलियाणा गांव के रहने वाले हैं, रोजाना 4-5 घंटे घर पर पढ़ाई करते थे। उनकी आर्थिक हालत कमजोर थी, इसलिए उन्होंने कभी ट्यूशन या कोचिंग नहीं कराई। पढ़ाई के साथ-साथ वह अपने पिता के गैरेज में भी काम करते थे। उनकी मां मोगी देवी पाटीदार एक गृहिणी हैं।
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गैरेज में पंक्चर बनाते-बनाते मिला रिजल्ट

जब राजस्थान बोर्ड ने गुरुवार को 12वीं कला का रिजल्ट घोषित किया, तब विजय अपने गांव के छोटे से गैरेज में बाइक के टायर का पंक्चर निकाल रहे थे। तभी किसी ने आकर बताया कि उन्होंने 97.20% अंक हासिल कर टॉप किया है।

कोरोना की वजह से चाय की दुकान बंद हो गई

विजय के पिता ईश्वरलाल साल 1998 से मुंबई में चाय की दुकान चलाते थे। कोरोना के समय दुकान बंद हो गई, तो वे अपने गांव लौट आए। घर के बाहर एक छोटे कमरे में उन्होंने गैरेज शुरू किया। 42 साल की उम्र में पाडवा में गैरेज का काम सीखकर धीरे-धीरे खुद का काम शुरू किया।

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स्कूल में कोई शिक्षक नहीं, फिर भी विजय ने इतिहास रचा

विजय ने जिस सरकारी स्कूल से पढ़ाई की, वहां पिछले तीन साल से कोई शिक्षक नहीं था। 11वीं और 12वीं की पढ़ाई का काम सेकंड ग्रेड, थर्ड ग्रेड और तीन पंचायती शिक्षकों ने संभाला। कुछ दिन पहले स्कूल में एक प्रधानाचार्य और हिंदी शिक्षक की नियुक्ति हुई है।

विजय का सपना है प्रशासनिक अधिकारी बनना

विजय का सपना प्रशासनिक सेवा में जाना है। वह अपने इलाके और समाज की सेवा करना चाहता है। उसके परिवार में माता-पिता, एक दादी और छोटी बहन है। विजय की सफलता उसकी मेहनत और हिम्मत की कहानी है। यह बताती है कि अगर मन में इच्छा हो, तो संसाधनों की कमी भी रास्ता नहीं रोक सकती। विजय इसका बेहतरीन उदाहरण है।
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