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Banswara News: पेड़ों वाली डॉक्टर रागिनी शाह, 75 हजार से ज्यादा पौधे लगाकर बंजर जमीन को हराभरा बनाया
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, बांसवाड़ा
Published by: बांसवाड़ा ब्यूरो
Updated Fri, 06 Jun 2025 01:19 PM IST
सार
पिछले चार-पांच वर्षों में डाॅ. रागिनी शाह ने लगभग 10 हजार से अधिक पौधे तैयार किए, जिन्हें विभिन्न स्थानों पर रोपा गया। आगामी मानसून में भी व्यापक पौधरोपण के लिए उनकी टीम जुटी है।
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राजस्थान
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
पर्यावरण संरक्षण एक संकल्प है और जब यह संकल्प सेवा-भाव से जुड़ता है तो समाज में सकारात्मक बदलाव नजर आने लगता है। बांसवाड़ा जिले की डॉ. रागिनी शाह इसका जीवंत उदाहरण हैं, जिन्हें लोग पेड़ों वाली डॉक्टर के नाम से जानते हैं। डॉक्टर होने के साथ-साथ वे पर्यावरण की सच्ची प्रहरी हैं। उनके पौधरोपण और पर्यावरणीय योगदान को देखते हुए राज्य सरकार ने वर्ष 2017 में उन्हें प्रतिष्ठित अमृता देवी विश्नोई सम्मान से नवाजा है।
साल 2008 में जब डॉ. रागिनी शाह का तबादला बांसवाड़ा पंचायत समिति के बदरेल गांव स्थित राजकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में हुआ, तब क्षेत्र गर्मियों में सूखा और बंजर नजर आता था। पर्यावरण के इस दयनीय हालात को देखकर उन्होंने अकेले ही इस दिशा में कदम बढ़ाया। अपने वेतन से पौधे खरीदकर रोपण किया, ट्री गार्ड लगाए और टैंकरों से सिंचाई करवाई। धीरे-धीरे यह सूखा क्षेत्र हरियाली में बदलने लगा।
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पौधों की देखरेख और विस्तार के लिए डॉ. शाह ने महात्मा गांधी नरेगा योजना के तहत प्रयास किए और बाद में स्वयंसेवी संस्थाओं से भी सहयोग लिया। उनका कार्य केवल बदरेल गांव तक सीमित नहीं रहा, बल्कि आम्बापुरा, देवगढ़ और आसपास के अन्य गांवों तक फैला। उनके प्रयासों से वहां के पौधे आज वृक्ष बनकर शुद्ध वायु दे रहे हैं।
75,000 से अधिक पौधे लगाए
अपने सेवाकाल में डॉ. शाह अब तक करीब 75,000 पौधे लगा चुकी हैं। पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने अपनी नर्सरी भी तैयार की, जहां 10,000 से अधिक पौधे तैयार कर विभिन्न जगहों पर रोपे गए हैं। पेड़ लगाने के इस मिशन में कई भामाशाहों ने भी सहयोग किया। पौधों की सुरक्षा के लिए बांस की खपच्चियों से ट्री गार्ड भी बनाए गए।
मानसून के लिए फिर तैयार है टीम
डॉ. शाह और उनकी टीम आने वाले मानसून सीजन में फिर व्यापक स्तर पर पौधरोपण की तैयारी में जुटी है। लोगों को भी वे पेड़ लगाने और पर्यावरण बचाने के लिए निरंतर प्रेरित कर रही हैं। डॉ. रागिनी शाह ने अपनी इच्छाशक्ति से साबित कर दिया कि एक अकेला व्यक्ति भी समाज और पर्यावरण में बड़ा परिवर्तन ला सकता है।
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साल 2008 में जब डॉ. रागिनी शाह का तबादला बांसवाड़ा पंचायत समिति के बदरेल गांव स्थित राजकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में हुआ, तब क्षेत्र गर्मियों में सूखा और बंजर नजर आता था। पर्यावरण के इस दयनीय हालात को देखकर उन्होंने अकेले ही इस दिशा में कदम बढ़ाया। अपने वेतन से पौधे खरीदकर रोपण किया, ट्री गार्ड लगाए और टैंकरों से सिंचाई करवाई। धीरे-धीरे यह सूखा क्षेत्र हरियाली में बदलने लगा।
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पौधों की देखरेख और विस्तार के लिए डॉ. शाह ने महात्मा गांधी नरेगा योजना के तहत प्रयास किए और बाद में स्वयंसेवी संस्थाओं से भी सहयोग लिया। उनका कार्य केवल बदरेल गांव तक सीमित नहीं रहा, बल्कि आम्बापुरा, देवगढ़ और आसपास के अन्य गांवों तक फैला। उनके प्रयासों से वहां के पौधे आज वृक्ष बनकर शुद्ध वायु दे रहे हैं।
75,000 से अधिक पौधे लगाए
अपने सेवाकाल में डॉ. शाह अब तक करीब 75,000 पौधे लगा चुकी हैं। पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने अपनी नर्सरी भी तैयार की, जहां 10,000 से अधिक पौधे तैयार कर विभिन्न जगहों पर रोपे गए हैं। पेड़ लगाने के इस मिशन में कई भामाशाहों ने भी सहयोग किया। पौधों की सुरक्षा के लिए बांस की खपच्चियों से ट्री गार्ड भी बनाए गए।
मानसून के लिए फिर तैयार है टीम
डॉ. शाह और उनकी टीम आने वाले मानसून सीजन में फिर व्यापक स्तर पर पौधरोपण की तैयारी में जुटी है। लोगों को भी वे पेड़ लगाने और पर्यावरण बचाने के लिए निरंतर प्रेरित कर रही हैं। डॉ. रागिनी शाह ने अपनी इच्छाशक्ति से साबित कर दिया कि एक अकेला व्यक्ति भी समाज और पर्यावरण में बड़ा परिवर्तन ला सकता है।