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Banswara News: किशोर पर हमला करने के बाद मरे लेपर्ड की मौत का खुलासा, भूख और घबराहट से हुआ हार्ट फेल
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, बांसवाड़ा
Published by: बांसवाड़ा ब्यूरो
Updated Tue, 09 Dec 2025 02:26 PM IST
सार
दो दिन पहले किशोर पर हमला करने के बाद मरे लेपर्ड की मौत का कारण सामने आ गया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि लेपर्ड की मौत भूख के कारण हुई है। उसका पेट खाली था फेफड़ों में पानी भरा हुआ था।
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हीरजी दईडा गांव में एक घर में मृत पड़ा लेपर्ड।
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विस्तार
जिले के हीरजी दईडा गांव में रविवार को एक किशोर पर हमला कर घर में घुसे लेपर्ड की कुछ देर बाद हुई मौत का कारण सामने आ गया है। लेपर्ड की मौत भूख से हुई थी। पेट खाली होने और फेफड़ों में पानी भरने से सेप्टीसीमिया के लक्षण भी सामने आए हैं।
रविवार को बारीगामा ग्राम पंचायत के हीरजी दईड़ा गांव में लेपर्ड ने 16 वर्षीय शांतिलाल पर हमला कर दिया था। बड़ी संख्या में एकत्र लोगों को देखकर लेपर्ड एक घर में घुस गया। घर में लेपर्ड एक कमरे में गया तो ग्रामीणों ने दरवाजा बंद कर दिया। भीतर लेपर्ड ने सामान बिखेर दिया। वन विभाग की टीम इसे ट्रेंकुलाइज करती, इससे पहले ही अचानक लेपर्ड निढाल हो गया। वनकर्मियों ने कमरे में पड़े लेपर्ड की कोई हलचल नहीं देखी तो दरवाजा खोला गया।
ये भी पढ़ें: Sawai Madhopur News: हत्या के मामले में फरार दो आरोपी हिरासत में, बारात में सीट पर बैठने को लेकर चले थे चाकू
इसके बाद वनकर्मियों की टीम लेपर्ड को पिंजरे में डालकर वन विभाग के जिला कार्यालय रवाना हुई। उप वन संरक्षक अभिषेक शर्मा के निर्देश पर पशु चिकित्सक से पोस्टमार्टम कराया गया और फिर अंतिम संस्कार किया। रेंजर सुरेश गरासिया ने बताया कि कमरे में बंद लेपर्ड को पकड़ने के लिए पिंजरा आगे लेकर बनकर आगे बढ़े तो लेपर्ड अचानक गिर पड़ा था और उसके मुंह से झाग भी निकल आए थे।
पशु चिकित्सक डॉ. राजेश नवाडे ने बताया कि करीब 2 वर्ष की मादा लेपर्ड का पोस्टमार्टम किया गया। लेपर्ड का पेट खाली था और फेफड़ों में पानी भी भरा हुआ था। यह सेप्टीसीमिया के लक्षण हैं। भोजन की तलाश में मादा लेपर्ड आबादी क्षेत्र में आई। घर में बंद होने और लोगों से घिर जाने से घबराहट में उसका हार्ट फेल हो गया। हालांकि उप वन संरक्षक अभिषेक शर्मा का कहना है कि बागीदौरा रेंज के वन क्षेत्र में वन्यजीव के लिए भोजन की कमी नहीं है।
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रविवार को बारीगामा ग्राम पंचायत के हीरजी दईड़ा गांव में लेपर्ड ने 16 वर्षीय शांतिलाल पर हमला कर दिया था। बड़ी संख्या में एकत्र लोगों को देखकर लेपर्ड एक घर में घुस गया। घर में लेपर्ड एक कमरे में गया तो ग्रामीणों ने दरवाजा बंद कर दिया। भीतर लेपर्ड ने सामान बिखेर दिया। वन विभाग की टीम इसे ट्रेंकुलाइज करती, इससे पहले ही अचानक लेपर्ड निढाल हो गया। वनकर्मियों ने कमरे में पड़े लेपर्ड की कोई हलचल नहीं देखी तो दरवाजा खोला गया।
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इसके बाद वनकर्मियों की टीम लेपर्ड को पिंजरे में डालकर वन विभाग के जिला कार्यालय रवाना हुई। उप वन संरक्षक अभिषेक शर्मा के निर्देश पर पशु चिकित्सक से पोस्टमार्टम कराया गया और फिर अंतिम संस्कार किया। रेंजर सुरेश गरासिया ने बताया कि कमरे में बंद लेपर्ड को पकड़ने के लिए पिंजरा आगे लेकर बनकर आगे बढ़े तो लेपर्ड अचानक गिर पड़ा था और उसके मुंह से झाग भी निकल आए थे।
पशु चिकित्सक डॉ. राजेश नवाडे ने बताया कि करीब 2 वर्ष की मादा लेपर्ड का पोस्टमार्टम किया गया। लेपर्ड का पेट खाली था और फेफड़ों में पानी भी भरा हुआ था। यह सेप्टीसीमिया के लक्षण हैं। भोजन की तलाश में मादा लेपर्ड आबादी क्षेत्र में आई। घर में बंद होने और लोगों से घिर जाने से घबराहट में उसका हार्ट फेल हो गया। हालांकि उप वन संरक्षक अभिषेक शर्मा का कहना है कि बागीदौरा रेंज के वन क्षेत्र में वन्यजीव के लिए भोजन की कमी नहीं है।