Banswara: किशोरी से दुष्कर्म मामले में पॉक्सो कोर्ट ने लिया एक्शन, सहयोगी ममेरी भाभी को मिली 20 वर्ष की सजा
Rajasthan Crime News: बांसवाड़ा जिले में एक नाबालिग किशोरी से दुष्कर्म के मामले में विशेष पॉक्सो कोर्ट ने कठोर फैसला सुनाते हुए पीड़िता की ममेरी भाभी को 20 वर्ष के कारावास की सजा दी है। यह सजा विशेष न्यायालय (लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012) की न्यायाधीश तारा अग्रवाल ने सुनाई। इसके साथ ही 20 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
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राजस्थान के बांसवाड़ा में एक नाबालिग किशोरी से दुष्कर्म के मामले में विशेष पॉक्सो कोर्ट ने कठोर फैसला सुनाते हुए पीड़िता की ममेरी भाभी को 20 वर्ष के कठोर कारावास की सजा दी है। यह सजा विशेष न्यायालय (लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012) की न्यायाधीश तारा अग्रवाल ने सुनाई। इसके साथ ही 20 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
पीड़िता के माता-पिता का निधन हो चुका है
अभियोजन पक्ष के अनुसार, 14 जुलाई 2020 को पीड़िता ने आपबीती पुलिस को बताई। पीड़िता ने बताया कि उसके माता-पिता की मृत्यु हो चुकी है और उसका कोई भाई-बहन नहीं है। उसका पालन-पोषण कोटा में रहने वाले चाचा-चाची करते थे, जो रेलवे स्टेशन के पास मजदूरी करते थे। वह अपने तीन चचेरे भाई-बहनों की देखभाल करती थी। कोरोना काल में अप्रैल 2020 में लॉकडाउन के दौरान उसकी ममेरी भाभी सुनीता उर्फ संगीता पत्नी केवला निवासी बोकड़ाबोर ने उसे गांव चलने के लिए कहा। उनके साथ दो अन्य लोग भी थे, जिन्हें रिश्तेदार बताया गया। कोटा से बांसवाड़ा के बोकड़ाबोर गांव लाए जाने के बाद ममेरी भाभी ने उसे एक नाबालिग लड़के की पत्नी बनकर रहने के लिए मजबूर किया। पीड़िता के मना करने के बावजूद उसके साथ कई बार दुष्कर्म किया गया। आखिरकार 12 जुलाई को मौका पाकर वह बोकड़ाबोर गांव से भाग निकली।
वनकर्मी ने पुलिस तक पहुंचाया
यह दिया आदेश
विशिष्ट लोक अभियोजक हेमेन्द्रनाथ पुरोहित ने बताया कि सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की दलीलें सुनी गईं। अभियोजन पक्ष ने मजबूत सबूत और गवाह पेश किए, जिसके आधार पर कोर्ट ने ममेरी भाभी सुनीता उर्फ संगीता को दोषी ठहराया। कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता की धारा 363 (अपहरण) के तहत तीन वर्ष का कठोर कारावास और पांच हजार रुपये का जुर्माना, धारा 366 के तहत चार वर्ष का कठोर कारावास और 10 हजार रुपये का जुर्माना तथा पॉक्सो एक्ट के तहत 20 वर्ष का कठोर कारावास और 20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया। जुर्माना न चुकाने की स्थिति में आरोपी को एक वर्ष का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।
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न्यायाधीश ने की मार्मिक टिप्पणी
सुनवाई में न्यायाधीश ने मार्मिक टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि जब एक महिला ही महिला के साथ ऐसे अपराध करती है तो समाज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। बच्चियां अपने ही जान-पहचान और रिश्तेदारों के हाथों किसी भी पुरुष के समक्ष पेश कर दी जाती हैं तो यह बड़ा घिनौना कृत्य है। इससे परिवार वाले अपने ही परिवार और परिचितों के पास अपने बच्चे-बच्चियों को भेजने या छोड़ने में कतराते हैं तथा बच्चियां हर तरफ सहमी-सहमी रहती हैं।
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