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Bhilwara: दिव्य दरबार में बोले पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री, मेरी मंशा किसी को अंधविश्वास की ओर ले जाना नहीं

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भीलवाड़ा Published by: अर्पित याज्ञनिक Updated Fri, 08 Nov 2024 10:27 PM IST
सार

कुमुद विहार में श्री हनुमंत कथा के अंतर्गत पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के दिव्य दरबार का आयोजन किया गया, जिसमें उन्होंने अंधविश्वास से बचते हुए हनुमान भक्ति और सकारात्मकता का संदेश दिया।

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Bhilwara News: Divine court of Pandit Dhirendra Krishna Shastri in Kumud Vihar
पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री। - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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शहर के कुमुद विहार में चल रहे पांच दिवसीय श्री हनुमंत कथा के तहत शुक्रवार को पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के दिव्य दरबार का आयोजन हुआ। कथा के तीसरे दिन लगाए गए इस दिव्य दरबार में बागेश्वर पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री ने स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य लोगों को अंधविश्वास में धकेलना नहीं है। 

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उन्होंने दरबार में मौजूद श्रद्धालुओं से कहा कि मैं केवल बालाजी की कृपा का अनुभव करवाना चाहता हूं। मेरी मंशा किसी को अंधविश्वास की ओर ले जाना नहीं है। धीरेंद्र शास्त्री के इस दिव्य दरबार ने भक्तों में उत्साह और भक्ति का नया संचार किया। उनके मार्गदर्शन और संदेशों ने लोगों को अपने जीवन में सकारात्मकता लाने और बालाजी की भक्ति में लीन रहने की प्रेरणा दी।
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दिव्य दरबार के दौरान मांडलगढ़ क्षेत्र के होडा गांव से आए एक युवक का पर्चा खोला गया, जिसमें उसने जलझूलनी एकादशी पर शाहपुरा जिले के जहाजपुर कस्बे में पीतांबर भगवान के बेवाण पर धर्म विशेष के धार्मिक स्थल से पत्थरबाजी की घटना का मुद्दा उठाया। युवक ने कहा कि इस घटना पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है और भगवान का बेवाण अभी भी मंदिर में नहीं पहुंचा है। इस पर धीरेंद्र शास्त्री ने उपस्थित समूह में सभी से अपील की कि वे सरकार और प्रशासन के साथ संवाद स्थापित करें और पीतांबर भगवान के बेवाण को वापस मंदिर में स्थापित करने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाएं। उन्होंने इस मामले को गंभीर मानते हुए कहा कि हिन्दू संगठनों को आगे आना ही होगा।

व्यास पीठ के पास बुलाकर सुनी समस्याएं
दिव्य दरबार में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी, जहां शास्त्री जी ने पंडाल में उपस्थित भक्तों में से कई के नाम पुकारे और उन्हें व्यास पीठ के पास बुलाकर उनकी समस्याओं का समाधान किया। भक्तों ने नारियल में अपनी समस्याएं बांधकर अर्जी लगाई, जिसका उद्देश्य जीवन के दुखों से छुटकारा पाना था। पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने भक्तों को नशे से दूर रहने का संदेश देते हुए कहा कि वे व्यसन को छोड़कर हनुमान जी की साधना में ध्यान लगाएं, जिससे उनका जीवन कल्याणकारी होगा।

हिंदू राष्ट्र के लिए श्रीनाथजी के चरणों में लगाई अर्जी
शास्त्री जी ने कथा के दौरान बताया कि शुक्रवार को कथा शुरू होने से पहले उन्होंने श्रीनाथजी (नाथद्वारा, राजसमंद) के मंगला आरती में शामिल होकर उनके चरणों में हिंदू राष्ट्र की अर्जी लगाई। उन्होंने इस बात को विशेष रूप से उल्लेखित किया कि हमने श्रीनाथजी के चरणों में हिंदू राष्ट्र बनाने की अर्जी दी है और यह केवल हमारा आशीर्वाद मांगने का प्रयास है।

नशे और मांसाहार से दूर रहने का संदेश
धीरेंद्र शास्त्री ने दरबार में उपस्थित भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि सभी को लहसुन, प्याज, मांस, मदिरा और तंत्र-मंत्र से दूर रहना चाहिए और हनुमान जी की भक्ति में लीन होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस पवित्र साधना से जीवन के सभी दुख और कष्ट दूर होते हैं, और मानसिक शांति प्राप्त होती है।

शक्तियों की कोई फ्रेंचाइजी नहीं-धीरेंद्र शास्त्री
बागेश्वर पीठाधीश्वर ने मंच से घोषणा करते हुए कहा कि बागेश्वर बालाजी सरकार की कृपा से सभी प्रकार के दुखों का निवारण होता है, चाहे वह शारीरिक हो, मानसिक हो या भौतिक। उन्होंने बताया कि उनके दरबार की कोई फ्रेंचाइजी नहीं है, क्योंकि शक्ति का व्यापार नहीं किया जा सकता। शास्त्री ने कहा कि श्रद्धालु चाहे घर बैठे, कथा स्थल पर आकर या बागेश्वर धाम पहुंचकर नारियल में अपनी अर्जी बांध सकते हैं, जिससे उनकी समस्याओं का समाधान संभव हो सकेगा। आज भीलवाड़ा में चल रही इस कथा में न केवल भीलवाड़ा बल्कि राजस्थान के विभिन्न जिलों और देश के अन्य हिस्सों से भी भक्त अपनी अर्जियां लेकर पहुंचे। भक्तों में आस्था और भक्ति का विशेष जोश देखने को मिला। श्रद्धालुओं ने कथा स्थल पर लाल कपड़े में नारियल बांधकर अपनी समस्याओं की अर्जी लगाई।

कथा का मुख्य आकर्षण-दिव्य दरबार
6 से 10 नवंबर तक भीलवाड़ा में आयोजित इस कथा के तीसरे दिन शुक्रवार को दिव्य दरबार का आयोजन विशेष आकर्षण का केंद्र रहा। इस दिव्य दरबार में धीरेंद्र शास्त्री ने भक्तों के जीवन की कठिनाइयों को दूर करने के लिए उन्हें बालाजी का स्मरण करने और उनके प्रति निष्ठावान बनने का आह्वान किया। श्रद्धालुओं ने इस दरबार में पहुंचकर अपनी समस्याओं के निवारण के लिए अर्जी लगाई और बालाजी की कृपा प्राप्त करने के लिए प्रार्थना की।

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