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Bhilwara News: NGT ने सख्त लहजे में NHAI से मांगा जवाब, नियमानुसार 8.5 लाख पौधे और लगाने की जरूरत

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भीलवाड़ा Published by: भीलवाड़ा ब्यूरो Updated Mon, 07 Jul 2025 03:39 PM IST
सार

Bhilwara News: एनजीटी ने एनएचएआई के चेयरमैन, राजस्थान सरकार के मुख्य सचिव, प्रधान मुख्य वन संरक्षक और एनएचएआई जयपुर के क्षेत्रीय अधिकारी के साथ-साथ राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जयपुर को चार सप्ताह में जवाब देने के निर्देश दिए हैं।

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Bhilwara News: NGT sought a strict response from NHAI, as per rules, 8.5 lakh more plants need to be planted
एनजीटी ने एनएचएआई से किया जवाब तलब - फोटो : amar ujala
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विस्तार
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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की सेन्ट्रल जोनल बेंच भोपाल ने राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण के दौरान पेड़ों की अंधाधुंध कटाई और उनके बदले नियमानुसार पौधारोपण नहीं करने के मामले में नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) सहित चार प्रमुख अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। यह आदेश भीलवाड़ा निवासी पर्यावरणविद् बाबूलाल जाजू की जनहित याचिका पर दिया गया।

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न्यायाधीश शिवकुमार सिंह और विशेषज्ञ सदस्य डॉ. ए. सेंथिल की खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए एनएचएआई के चेयरमैन, राजस्थान सरकार के मुख्य सचिव, प्रधान मुख्य वन संरक्षक और एनएचएआई जयपुर के क्षेत्रीय अधिकारी के साथ-साथ राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जयपुर को चार सप्ताह में जवाब देने के निर्देश दिए हैं।
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याचिकाकर्ता बाबूलाल जाजू ने अधिवक्ता लोकेन्द्र सिंह कच्छावा के माध्यम से दायर याचिका में बताया कि एनएचएआई द्वारा पेड़ों की कटाई के बदले तीन, पांच या दस गुना पौधे लगाने के नियमों की लगातार अवहेलना की जा रही है। कई राजमार्गों पर तो कटे हुए पेड़ों से भी कम संख्या में पौधे लगाए गए हैं। इसके अलावा जिन प्रजातियों के पेड़ काटे गए, उनकी जगह स्थानीय प्रजातियों के बजाय झाड़ियां लगा दी गई हैं, जिनकी न तो पर्यावरणीय उपयोगिता है और न ही टिकाऊ जीवनकाल।
 
जाजू ने बताया कि रखरखाव की व्यवस्था के अभाव में लगाए गए पौधों की जीवित रहने की दर अत्यंत कम है। वन मंत्रालय द्वारा फॉरेस्ट डिपार्टमेंट को मॉनिटरिंग मैकेनिज्म और ऑडिट के लिए निर्देश दिए जाने के बावजूद विभाग ने कोई ठोस प्रणाली विकसित नहीं की। इससे पर्यावरणीय असंतुलन गहराता जा रहा है।

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याचिका में यह भी कहा गया कि राजमार्गों के डिवाइडर में झाड़ियां लगाकर उन्हें पेड़ मान लिया जाता है, जबकि दोनों ओर अधिक प्राणवायु देने वाले और दीर्घजीवी पेड़ लगाने चाहिए थे। एनएचएआई द्वारा जारी वृक्षारोपण नीति 2015 और 2024 के दिशा-निर्देशों की भी अनदेखी की गई है। भूमि अधिग्रहण करते समय वृक्षारोपण और लैंडस्केप सुधार के लिए पर्याप्त स्थान नहीं छोड़ा जाता, जिससे परियोजनाओं के बाद वृक्षारोपण असंभव हो जाता है। जाजू के अनुसार, मौजूदा हालात में नियमानुसार 8.5 लाख से अधिक पौधे और लगाकर उन्हें संरक्षित और विकसित करना अनिवार्य हो गया है। मामले की अगली सुनवाई 14 अगस्त 2025 को निर्धारित की गई है।

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