Bundi: रथयात्रा पर हरिपुरा गांव में निभाई गई तनी चढ़ाने की सदियों पुरानी परंपरा, इस बार सूखे का संकेत
ग्रामीणों का मानना है कि यह परंपरा पिछले अनुभवों पर आधारित है और वर्षों से उनके मानसून पूर्वानुमान में सहायक रही है। यह परंपरा जहां एक ओर मौसम का संकेत देती है, वहीं दूसरी ओर गांव में एकता, सहयोग और सामाजिक सामंजस्य का संदेश भी देती है।
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जिले के हरिपुरा गांव में रथयात्रा के अवसर पर 'तनी चढ़ाने' की परंपरा इस वर्ष भी पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ निभाई गई। रियासतकाल से चली आ रही यह अनोखी परंपरा केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं है, बल्कि ग्रामीणों के लिए आगामी मानसून की स्थिति का अनुमान लगाने का भी माध्यम है।
हर वर्ष भगवान चारभुजानाथ के मंदिर प्रांगण में पुरुष-महिलाओं की भारी भीड़ एकत्र होती है। वैदिक मंत्रोच्चार और यज्ञ-हवन के बीच यह परंपरा संपन्न होती है, जिसमें सूत से बनी लगभग 50 फीट लंबी रस्सी को दो बच्चों के गले में डालकर 25-25 फीट की दूरी पर खड़ा किया जाता है। इसके बाद रस्सी को बीच में एक नुकीले सरिये से तान दिया जाता है।
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जब रस्सी में तनाव आता है, तो उसका झुकाव और स्थिति यह संकेत देती है कि मौसम कैसा रहेगा। इस बार रस्सी नदी की दिशा में नुकीले सरिए से छूते हुए टाइट हुई, जिसे ग्रामीणों ने अल्पवृष्टि यानी कम बारिश का संकेत माना। इससे गांव में चिंता का माहौल बन गया है।
ग्रामीणों का मानना है कि यह परंपरा पिछले अनुभवों पर आधारित है और वर्षों से उनके मानसून पूर्वानुमान में सहायक रही है। यह परंपरा जहां एक ओर मौसम का संकेत देती है, वहीं दूसरी ओर गांव में एकता, सहयोग और सामाजिक सामंजस्य का संदेश भी देती है। हर साल रथयात्रा के दिन यह परंपरा पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ निभाई जाती है और गांव के सामाजिक-सांस्कृतिक जीवन का एक अहम हिस्सा बनी हुई है।