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Dausa News : धर्म और ईश्वर को लेकर आईपीएस की विवादित टिप्पणी, बोले- ईश्वर, अल्लाह, गॉड, वाहेगुरु कुछ नहीं होते
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, दौसा
Published by: प्रिया वर्मा
Updated Tue, 28 Jan 2025 01:58 PM IST
सार
बांदीकुई के रेहडिया में राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में आयोजित बैग वितरण समारोह में आईजी मानवाधिकार ने धर्म और ईश्वर की उपस्थिति को लेकर सवाल उठा दिया है। उन्होंने कहा ईश्वर जैसी कोई शक्ति नहीं है, ये सब एक भ्रम है।
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राजस्थान
- फोटो : सोशल मीडिया
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विस्तार
आईजी मानवाधिकार किशन सहाय मीणा ने एक बार फिर धर्म, ईश्वर और धार्मिक विश्वासों को लेकर विवादित बयान दिया है। सोमवार को बांदीकुई के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, रेहडिया में बैग वितरण समारोह के दौरान, उन्होंने कहा, ईश्वर, अल्लाह, गॉड, वाहेगुरु कुछ नहीं होते। इनमें कोई दम नहीं है।
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आईजी मीणा ने अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा करते हुए कहा, मैंने दूसरी कक्षा में रामायण और तीसरी कक्षा में महाभारत पढ़ ली थी। उस समय मैं सोचता था कि भगवान से भेंट होगी, तो भक्ति करूंगा लेकिन जब कॉलेज पहुंचा, तो महसूस हुआ कि ये सब काल्पनिक बातें हैं। भगवान जैसी कोई चीज नहीं होती।
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उन्होंने कहा कि धार्मिक विश्वास अंधविश्वास की जड़ है और लोगों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अत्यधिक धार्मिक परिवारों में समस्याएं ज्यादा होती हैं। उन्होंने बच्चों को जाति के भेदभाव से बचने के लिए सरनेम नहीं लिखने की सलाह दी। उन्होंने बताया कि जाति आधारित पहचान समाज में असमानता को बढ़ावा देती है।
कार्यक्रम में मीणा ने भूत-प्रेत, टोने-टोटके और भोपा-भोपी प्रथाओं की आलोचना की। उन्होंने इसे चतुर लोगों द्वारा फैलाया गया अंधविश्वास बताया। उन्होंने कहा कि धार्मिक विश्वास, अंधविश्वास की जड़ें हैं, जो समाज में भूत-प्रेत और अनर्गल मान्यताओं को जन्म देते हैं। इतिहास में किसी देश को भगवान ने गुलामी से नहीं बचाया। उन्होंने तर्क दिया कि जो देश तकनीक और हथियारों में आगे थे, वही प्रगति कर पाए। ईश्वर, अल्लाह, गॉड जैसी कोई शक्ति नहीं है। अगर इनसे हिम्मत मिलती है, तो वह सिर्फ हमारा भ्रम है।
गौरतलब है कि आईजी किशन सहाय मीणा प्रमोटी आईपीएस अधिकारी हैं। वे 2013 में आईपीएस बने और टोंक, अजमेर, सीआईडी सीबी समेत विभिन्न पदों पर सेवाएं दीं, फिलहाल वे मानवाधिकार विभाग में तैनात हैं। उनका करियर कई विवादों से जुड़ा रहा है, जिसमें झारखंड चुनाव ड्यूटी के दौरान बिना सूचना राजस्थान लौटने पर निलंबन शामिल है।