Hanumangarh News: किसानों के विरोध के बाद एथनॉल प्लांट शिफ्ट होने की संभावना, आधिकारिक पत्र आने तक आंदोलन जारी
हनुमानगढ़ के टिब्बी में एथनॉल प्लांट को लेकर लंबे समय से चल रहा किसानों का आंदोलन सफल होता नजर आ रहा है। किसानों के विरोध के आगे कंपनी द्वारा प्रोजेक्ट को राजस्थान से बाहर शिफ्ट किए जाने की खबर है।
विस्तार
जिले के टिब्बी क्षेत्र में प्रस्तावित एथनॉल प्लांट को लेकर लंबे समय से चल रहा किसानों का आंदोलन आखिरकार सफल हो गया है। किसानों के तीव्र विरोध को देखते हुए कंपनी ने यह प्रोजेक्ट राजस्थान से बाहर शिफ्ट करने का फैसला कर लिया है। अब टिब्बी के राठीखेड़ा गांव के पास एथनॉल प्लांट नहीं लगाया जाएगा। इसे किसानों की बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है।
सूत्रों के अनुसार कंपनी ने प्रोजेक्ट के लिए करीब 73 बीघा जमीन खरीदी थी और इसमें लगभग 450 करोड़ रुपये के निवेश की योजना थी। हालांकि लगातार विरोध, तनाव और अनिश्चित माहौल के चलते कंपनी ने प्रोजेक्ट वापस लेने का निर्णय लिया। एक कंपनी सूत्र ने कहा कि जहां भविष्य में कारोबार लगातार विवादों में घिरा रहे, वहां इतना बड़ा निवेश व्यावहारिक नहीं है।
इस एथनॉल प्लांट के खिलाफ किसानों का विरोध करीब एक साल से अधिक समय से चल रहा था। किसानों का आरोप था कि अनाज आधारित एथनॉल प्लांट से भूजल प्रदूषण और जलस्तर में गिरावट का गंभीर खतरा है। आंदोलन उस समय उग्र हो गया जब 10 दिसंबर को महापंचायत के बाद किसानों ने ट्रैक्टरों से निर्माणाधीन प्लांट की बाउंड्री वॉल तोड़ दी। इसके बाद पुलिस और किसानों के बीच झड़प हुई, जिसमें कई वाहन क्षतिग्रस्त हुए और आगजनी की घटनाएं सामने आईं। पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे और लाठीचार्ज किया।
इस घटनाक्रम में 40 लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें दो कांग्रेस विधायक, एक पूर्व विधायक और कई किसान नेता शामिल थे। वहीं प्लांट प्रबंधन और पुलिस की ओर से 273 और 108 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी।
ये भी पढ़ें: Rajasthan News: नशा तस्करों पर पुलिस का बड़ा प्रहार, 10 करोड़ की एमडीएमए और अफीम बरामद, दो आरोपी गिरफ्तार
इसके बाद 17 दिसंबर को हुई दूसरी महापंचायत में राष्ट्रीय किसान नेता राकेश टिकैत भी शामिल हुए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि मांगें नहीं मानी गईं तो आंदोलन और उग्र होगा। टिकैत ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा किसानों के साथ मजबूती से खड़ा है।
कंपनी अधिकारियों ने इस पूरे घटनाक्रम के लिए तत्कालीन प्रशासन को भी जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने हनुमानगढ़ कलेक्टर खुशाल यादव पर आरोप लगाया कि विरोध के दौरान किसानों से संवाद नहीं किया गया, जिससे हालात बिगड़ते चले गए। कंपनी का दावा है कि यदि समय रहते बातचीत होती तो 10 दिसंबर की हिंसा टल सकती थी।
गौरतलब है कि कंपनी के पश्चिम बंगाल, पंजाब, हरियाणा, आंध्रप्रदेश और बिहार में पहले से प्लांट संचालित हैं, जहां इस तरह का विरोध कभी देखने को नहीं मिला।
किसान नेता जगजीत सिंह ने कंपनी के फैसले का स्वागत करते हुए इसे किसानों की लंबी और संघर्षपूर्ण लड़ाई का परिणाम बताया। हालांकि उन्होंने प्रदर्शनकारियों पर दर्ज मुकदमों को वापस लेने और प्रोजेक्ट वापसी की लिखित पुष्टि की मांग की।
ये भी पढ़ें: Rajasthan: 'महात्मा गांधी के राम के नाम पर बिल, इससे बेहतर क्या हो सकता है', कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने कहा
वहीं पूर्व विधायक बलवान पूनिया ने वीडियो जारी कर कहा कि भले ही कंपनी के फैसले की चर्चा हो रही है लेकिन सरकार की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक पत्र जारी नहीं हुआ है। उन्होंने सरकार से प्रोजेक्ट वापसी का आदेश सार्वजनिक करने की मांग की और कहा कि जब तक लिखित आश्वासन नहीं मिलता और मुकदमे वापस नहीं होते, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि 7 जनवरी को प्रस्तावित कार्यक्रम फिलहाल यथावत रहेगा।
फिलहाल किसान सतर्क हैं और लिखित गारंटी की मांग पर अड़े हुए हैं। कंपनी के फैसले से क्षेत्र में शांति की उम्मीद जरूर जगी है लेकिन आंदोलन पूरी तरह समाप्त होने से पहले किसान किसी भी आश्वासन को ठोस रूप में देखना चाहते हैं।
रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.