एथेनॉल फैक्टरी विवाद: बातचीत में कहां अटकी बात, प्रशासन ने मांगा और समय; जानें क्या मांग रहे किसान
हनुमानगढ़ के राठीखेड़ा गांव में बिना पर्यावरण मंजूरी बन रही 450 करोड़ की एथेनॉल फैक्टरी पर किसानों और प्रशासन की पहली वार्ता विफल रही। किसान फैक्ट्री रोकने, दर्ज केस वापस लेने और हिंसा की निष्पक्ष जांच की मांग पर अड़े रहे। बुधवार को फैक्ट्री साइट पर किसानों और पुलिस में झड़प भी हुई थी।
विस्तार
हनुमानगढ़ के राठीखेड़ा गांव में अनाज आधारित एथेनॉल फैक्टरी को लेकर जारी हिंसा और विरोध के बीच पहले दौर की वार्ता का कोई हल नहीं निकल पाया है। जिला प्रशासन से बातचीत में किसानों ने मांगें रखीं। जवाब में प्रशासन की ओर से समय की मांग की गई। इसके चलते पहले दौर की वार्ता किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी। माना जा रहा है कि अगले दौर की बातचीत में इस पर कोई हल निकलेगा। इस चर्चा के दौरान समिति में मान सिंह, प्यारा सिंह, जगजीत जग्गी, मनीष बुरड़क, मदन दुगेसर, अमर सिंह बेनीवाल सहित अन्य लोग मौजूद रहे।
चर्चा के दौरान किसानों की ओर से जो मांगें रखी गईं उनके बारे में समिति में शामिल कांग्रेस नेत्री शबनम गोदारा ने बताया। किसानों की ओर से जो मांगें रखी गईं उनमें फैक्टरी न लगवाने, किसानों के खिलाफ दर्ज हुए मामले वापस लेने, आम लोगों की गिरफ्तारी रोकने और बुधवार को हुई हिंसा की निष्पक्ष जांच की बात कही गई। इस पर मीटिंग में मौजूद जिला कलेक्टर डॉ. खुशाल सिंह ने किसान संघर्ष समिति का मांग पत्र लेकर कुछ समय में जवाब देने की बात कही है।
चंडीगढ़ में रजिस्टर्ड है कंपनी
2020 में स्थापित ड्यून एथेनॉल प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की हनुमानगढ़ में 40 मेगावाट के अनाज-आधारित एथेनॉल प्लांट लगाने की योजना है। कंपनी चंडीगढ़ में रजिस्टर्ड है। इसके डायरेक्टर जतिंदर अरोरा और रॉबिन जिंदल हैं। कंपनी का दावा है कि यह प्लांट केंद्र सरकार के एथेनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल (EBP) प्रोग्राम को सपोर्ट करेगा। चौंकाने वाली बात यह है कि 2022 से कंपनी का एनवायरनमेंट क्लियरेंस (EC) का आवेदन अभी तक पेंडिंग पड़ा है।
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450 करोड़ में बन रही फैक्टरी
टिब्बी से कुछ किलोमीटर दूर राठीखेड़ा के पास चक 4 आरके में करीब 450 करोड़ रुपये की लागत से एशिया की सबसे बड़ी एथेनॉल फैक्टरी का निर्माण हो रहा है। ग्रामीण फैक्टरी के लगने से प्रदूषण फैलने के आरोप लगाकर काफी समय से आंदोलन कर रहे हैं।
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क्यों हो रहा विरोध
बिना पर्यावरण मंजूरी के निर्माण कार्य जारी होने से इलाके के किसान लंबे समय से विरोध कर रहे थे। बुधवार दोपहर किसानों ने टिब्बी एसडीएम ऑफिस के सामने बड़ी सभा की। शाम करीब 4 बजे सैकड़ों किसान ट्रैक्टर लेकर फैक्टरी साइट की ओर कूच कर गए। देखते-देखते दीवार तोड़ दी गई और पुलिस से झड़प शुरू हो गई।
दस महीने शांतिपूर्ण विरोध, फिर हिंसा क्यों?
- जुलाई 2025 में विरोध तेज हुआ। कंपनी ने चारदीवारी (बाउंड्री वॉल) का निर्माण शुरू किया, जिससे किसानों का गुस्सा भड़का।
- 12 अगस्त 2025 में टिब्बी SDM कार्यालय के बाहर बड़े पैमाने पर आंदोलन हुआ।
- सितंबर-नवंबर 2025 में तनाव बढ़ता गया। धरने को 15 माह हो गए। जिसके बाद किसानों ने महापंचायतें बुलाईं।
- 18 नवंबर सुबह 4 बजे पुलिस ने धरना स्थल से टेंट और टीन शेड हटाए। इससे ग्रामीण आक्रोशित हुए।
- 19 नवंबर 2025 पुलिस सुरक्षा में फैक्टरी निर्माण फिर शुरू। किसान नेता महंगा सिंह समेत 12 से अधिक किसान नेता गिरफ्तार।
- 20-21 नवंबर 67 लोगों ने गिरफ्तारी दी। इंटरनेट दूसरी दिन भी बंद। दो जिलों (बीकानेर, श्रीगंगानगर) से फोर्स बुलाई।
- 27-28 नवंबर विरोध जारी। पैरामिलिट्री तैनात। ग्रामीणों ने पर्यावरण मंजूरी पर सवाल उठाए।
- 10 दिसंबर को महापंचायत बुलाई गई। किसानों ने ट्रैक्टरों से बाउंड्री वॉल तोड़ी, वाहनों को आग लगाई, फैक्टरी में तोड़फोड़। पुलिस ने आंसू गैस और लाठीचार्ज किया।
- 11 दिसंबर को तनाव बना रहा।
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