कफ सिरप कांड: उत्तराखंड में 65 फर्जी फर्में बनाकर तस्करी, STF की पूछताछ में अभिषेक ने उगले होश उड़ाने वाले राज
उत्तराखंड में 65 फर्जी फर्में बनाकर कफ सिरप की तस्करी की गई। यूपी STF की पूछताछ में गिरफ्तार अभिषेक ने होश उड़ाने वाले राज उगले। आगे पढ़ें पूरा मामला...
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फेंसेडिल कफ सिरप बनाने वाली एबॉट फॉर्मास्युटिकल कंपनी की बांग्लादेश तस्करी करने वाले सिंडिकेट के साथ मिलीभगत के पुख्ता प्रमाण एसटीएफ के साथ लगे हैं। यूपी एसटीएफ द्वारा गिरफ्तार सहारनपुर के अभिषेक शर्मा ने बताया कि विभोर राणा और विशाल सिंह की जीआर ट्रेडिंग फर्म बंद होने के बाद एबॉट के अधिकारियों से मिलीभगत कर विशाल की फर्म बीएन फार्मास्युटिकल को केयरिंग एंड फारवर्डिंग एजेंट (सीएफए) बनाकर कारोबार किया गया।
अभिषेक ने कबूला कि सचिन मेडिकोज के नाम से उसकी फर्म का नाम बदलकर मारुति मेडिकोज कर दिया। सीए अरुण सिंघल ने विशाल और विभोर के कहने पर मेरे भाई शुभम शर्मा समेत कई लोगों के नाम से फर्जी फर्में बनाई थी। मारुति मेडिकोज को जनवरी 2024 में एबॉट ने उत्तराखंड का सुपर डिस्ट्रीब्यूटर बना दिया।
65 फर्जी फर्मों के कागजों पर बिक्री दिखाते
उसने बताया कि मेरे नाम पर भी दिल्ली में एक फर्म एवी फार्मास्यूटिकल्स पप्पन यादव के साथ साझेदारी में बनवा दी। इसका काम विशाल सिंह और विभोर राणा के साथी सौरभ त्यागी और पप्पन यादव देखते थे। मारुति मेडिकोज में सिरप मंगाने के बाद उत्तराखंड में बनी 65 फर्जी फर्मों के कागजों पर बिक्री दिखाते थे।
सौरभ के जरिये विभोर और विशाल उसे आगरा, वाराणसी, गोरखपुर, कानपुर, लखनऊ आदि के फर्जी ई-वे बिल आदि बनाकर पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा आदि के रास्ते बांग्लादेश भेजते थे। दिसंबर, 2024 में एबॉट कंपनी ने फेंसेडिल कफ सिरप बनाना बंद कर दिया और सभी सीएफए से माल वापस लेकर शुभम जायसवाल की शैली ट्रेडर्स को दे दिया। हम लोग स्कॅफ तथा ऑनेरेक्स सिरप की तस्करी करने लगे।
हर महीने करीब एक लाख रुपये मिलता था
भाई शुभम ने बताया कि वह 2017 में दुबई पोर्ट वर्ल्ड में पोर्ट ऑपरेशनल ऑफिसर की नौकरी करने गया था। वापस आने पर बड़े भाई अभिषेक ने विशाल और विभोर से मुलाकात कराई। उन्होंने उसकेनाम पर श्री बालाजी संजीवनी नाम से फर्म बनवा दी। इसका सारा काम विशाल तथा विभोर देखते थे और मुझे हर महीने करीब एक लाख रुपये देते थे।