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Jaipur News: अमायरा मामले में नीरजा मोदी स्कूल की मान्यता रद्द , 10वीं व 12वीं के छात्र दे सकेंगे बोर्ड एक्जाम

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जयपुर Published by: सौरभ भट्ट Updated Wed, 31 Dec 2025 08:20 AM IST
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सार

छात्रा अमायरा की मौत के मामले में बड़ा एक्शन लेते हुए CBSE ने जयपुर के नीरजा मोदी स्कूल की मान्यता रद्द कर दी है। 

CBSE Cancels Nirja Modi School Affiliation After Student Amayra’s Death
नीरजा मोदी स्कूल - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने जयपुर के नीरजा मोदी स्कूल की सीनियर सेकेंडरी स्तर तक की मान्यता तत्काल प्रभाव से रद्द कर दी है। यह निर्णय स्कूल में सुरक्षा मानकों के गंभीर उल्लंघन और क्लास 4 की छात्रा अमायरा के सुसाइड के बाद लिया गया। जांच में सामने आया कि 9 साल की अमायरा लगातार बुलिंग का शिकार हो रही थी। पेरेंट्स ने डेढ़ साल में तीन बार शिक्षकों और कोऑर्डिनेटरों से शिकायत की, लेकिन एंटी-बुलिंग कमेटी ने कोई कार्रवाई नहीं की। घटना से पहले अंतिम 45 मिनट में अमायरा ने पांच बार क्लास टीचर से मदद मांगी, लेकिन उसकी बात नहीं सुनी गई।

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CBSE ने स्कूल की सुरक्षा व्यवस्था की जांच की और पाया कि स्कूल में बुनियादी सुरक्षा इंतजाम पर्याप्त नहीं थे। CCTV निगरानी कमजोर थी, ऊंची मंजिलों पर सेफ्टी नेट और मजबूत रेलिंग नहीं थीं, और काउंसलिंग सिस्टम प्रभावी नहीं था। एंटी-बुलिंग, POCSO और चाइल्ड प्रोटेक्शन कमेटियां केवल कागजों में सक्रिय दिखीं। छात्र और स्टाफ ID कार्ड नहीं पहनते थे, जिससे निगरानी प्रणाली कमजोर रही।

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जांच रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि घटना के बाद खून के धब्बे साफ कर दिए गए थे, जिससे फोरेंसिक जांच प्रभावित हुई। CBSE ने स्कूल को 20 नवंबर 2025 को कारण बताओ नोटिस जारी किया था, लेकिन स्कूल का जवाब संतोषजनक नहीं पाया गया। बोर्ड ने एफिलिएशन बायलॉज के क्लॉज 2.4, 4.7.6 और 4.7.10 का उल्लंघन पाया।

9 व 11वीं में नहीं होंगे प्रमोट-बोर्ड परीक्षा दे सकेंगे छात्र
मान्यता रद्द होने के बाद स्कूल नए एडमिशन नहीं ले सकेगा और निचली कक्षाओं के छात्रों को 9वीं और 11वीं में प्रमोट नहीं किया जाएगा। सत्र 2025-26 के 10वीं और 12वीं के छात्र बोर्ड परीक्षा दे सकेंगे। अन्य छात्रों को पास के अन्य स्कूलों में ट्रांसफर किया जाएगा।

2027-28 से सेकेंडरी स्तर के लिए फिर आदेवन कर सकेगा स्कूल
CBSE ने कहा कि स्कूल एक शैक्षणिक वर्ष बाद, यानी सत्र 2027-28 से सेकेंडरी स्तर की मान्यता के लिए आवेदन कर सकता है, बशर्ते वह सभी सुरक्षा मानकों और बाल सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करे। इसके दो साल बाद ही स्कूल सीनियर सेकेंडरी स्तर की मान्यता के लिए आवेदन कर पाएगा। मुख्य बिंदु यह है कि प्रशासनिक और सुरक्षा मानकों की गंभीर अनदेखी के कारण यह हादसा हुआ। बोर्ड ने स्पष्ट किया कि किसी भी तरह के लापरवाह व्यवहार या नियमों के उल्लंघन को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।


नीरजा मोदी स्कूल पर CBSE का कठोर आदेश प्रदेश के अभिभावकों की एकजुटता की ऐतिहासिक जीत- संयुक्त अभिभावक संघ

नीरजा मोदी स्कूल  पर CBSE की कठोर कार्रवाई का अभिभावक संघ ने स्वागत किया है।  संयुक्त अभिभावक संघ ने दावा किया कि सीबीआई बोर्ड से जो मांगे रखी गई थी उन्हीं मांगों पर सीबीएसई बोर्ड के इस आदेश में विद्यालय द्वारा बाल सुरक्षा मानकों, एंटी-बुलिंग व्यवस्था, काउंसलिंग सिस्टम, CCTV निगरानी, स्टाफ की सतर्कता और साक्ष्य संरक्षण जैसे गंभीर विषयों पर की गई घोर लापरवाहियों को स्पष्ट रूप से स्वीकार किया गया है। बोर्ड ने माना है कि यह घटना पूरी तरह रोकी जा सकती थी, यदि विद्यालय ने समय रहते आवश्यक कदम उठाए होते।
फैसले का स्वागत
संयुक्त अभिभावक संघ के प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा— “यह फैसला सिर्फ एक स्कूल पर कार्रवाई नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के निजी स्कूलों के लिए एक कड़ा संदेश है कि बच्चों की सुरक्षा से कोई समझौता बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। नीरजा मोदी स्कूल प्रकरण में अभिभावकों की पीड़ा, संघर्ष और सच को दबाने की कोशिशें की गईं, लेकिन अंततः सत्य की जीत हुई। यह निर्णय उन सभी अभिभावकों को न्याय दिलाने की दिशा में एक मजबूत कदम है जो वर्षों से निजी स्कूलों की मनमानी का शिकार होते रहे हैं।” उन्होंने आगे कहा कि संयुक्त अभिभावक संघ इस आदेश को अभिभावक आंदोलन की निर्णायक सफलता मानता है और प्रदेश के हर जिले में बाल सुरक्षा के मुद्दे पर सख्त निगरानी की मांग करेगा।
प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने कहा कि - “सीबीएसई बोर्ड का यह आदेश यह सिद्ध करता है कि अभिभावकों की एकजुटता किसी भी बड़े संस्थान को जवाबदेह बना सकती है। यह दुखद है कि एक मासूम बच्ची को अपनी जान गंवानी पड़ी, लेकिन अब यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि भविष्य में किसी भी विद्यालय में ऐसी लापरवाही दोहराई न जाए।” उन्होंने मांग की है कि  प्रदेश के सभी सीबीएसई एवं अन्य बोर्ड से संबद्ध स्कूलों का विशेष सुरक्षा ऑडिट कराया जाए, प्रत्येक स्कूल में एंटी-बुलिंग, काउंसलिंग और चाइल्ड प्रोटेक्शन सिस्टम की वास्तविक स्थिति की जांच हो, और जिन अधिकारियों या संस्थानों ने लापरवाही बरती, उनकी व्यक्तिगत जवाबदेही तय की जाए।



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