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Rajasthan: 'भाषण में अरावली बचाओ, काम में खनन बढ़ाओ’, भजनलाल सरकार पर पूर्व सीएम गहलोत का तंज

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जयपुर Published by: शबाहत हुसैन Updated Wed, 24 Dec 2025 09:38 PM IST
सार

Rajasthan: पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मुख्यमंत्री पर कथनी-करनी में अंतर का आरोप लगाया। डीग में साधु-संत अवैध खनन के खिलाफ धरने पर हैं, जबकि सरकार चुप है। उन्होंने अरावली में बिना MPSM नए खनन पट्टों पर सवाल उठाते हुए जवाब मांगा।

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Former CM Gehlot takes a dig at the Bhajanlal government over the Aravalli issue
अशोक गहलोत - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अरावली क्षेत्र में खनन को लेकर राज्य की भाजपा सरकार पर गंभीर हमला बोला है। गहलोत ने कहा कि एक ओर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा अरावली बचाने के भाषण दे रहे हैं, वहीं दूसरी ओर उनकी सरकार सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट आदेशों की धज्जियां उड़ाकर नए खनन पट्टे जारी करने में लगी है।

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नीलामी प्रक्रिया पर उठाए सवाल
गहलोत ने आधिकारिक दस्तावेजों का हवाला देते हुए बताया कि केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव दावा कर रहे हैं कि जब तक 'मैनेजमेंट प्लान फॉर सस्टेनेबल माइनिंग' (MPSM) तैयार नहीं हो जाता, तब तक अरावली की किसी भी पहाड़ी (चाहे वह 100 मीटर से ऊंची हो या नीची) पर नया पट्टा नहीं दिया जाएगा। इसके बावजूद, राजस्थान के खनन विभाग ने 20 नवंबर 2025 को आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को नजरअंदाज करते हुए अरावली रेंज के 9 जिलों (जयपुर, अलवर, झुंझुनूं, राजसमंद, उदयपुर, अजमेर, सीकर, पाली और ब्यावर) में 50 खनन पट्टों की नीलामी प्रक्रिया को जारी रखा।
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तकनीकी दांवपेच की आड़ में उल्लंघन
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने हाईकोर्ट में तर्क दिया कि ये पहाड़ 100 मीटर से नीचे हैं, इसलिए अरावली में नहीं आते। जबकि सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्पष्ट है कि MPSM का नियम सभी पहाड़ियों पर लागू होगा। 30 नवंबर को आदेश निकालकर यह प्रमाणित करना कि ये 50 पट्टे अरावली का हिस्सा नहीं हैं, पर्यावरण के साथ खिलवाड़ और अरावली के अस्तित्व को मिटाने की साजिश है।

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि एक ओर वे पर्यावरण संरक्षण के प्रवचन दे रहे हैं, वहीं दूसरी ओर उनके ही गृह जिले के पड़ोसी क्षेत्र डीग में साधु-संत अवैध खनन के खिलाफ धरने पर बैठे हैं। गहलोत ने सवाल उठाया कि केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव न तो केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (CEC) को कमजोर किए जाने पर कुछ बोल रहे हैं और न ही सरिस्का के प्रोटेक्टेड एरिया में किए गए बदलावों पर कोई स्पष्ट जवाब दे पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि चूँकि मुख्यमंत्री स्वयं खनन मंत्री भी हैं, ऐसे में उन्हें प्रदेश की जनता को यह बताना चाहिए कि क्या वे सुप्रीम कोर्ट के फैसले और अपने ही केंद्रीय मंत्री के बयानों के विपरीत जाकर अरावली क्षेत्र में बिना MPSM के नए खनन पट्टे जारी करेंगे?

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