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Jaipur News: अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड बच्चों को बना रहा मोटापे का शिकार- डॉक्टर बोले ये स्वास्थ्य संकट
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जयपुर
Published by: सौरभ भट्ट
Updated Fri, 12 Dec 2025 08:18 AM IST
सार
Jaipur News: बच्चों में मोटापा अब स्वास्थ्य संकट का रूप लेने लगा है। राजधानी जयपुर के स्कूलों के कैंटीन्स में भी अब अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड की बिक्री हो रही है। जानिए वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ इस बारे में क्या कहते हैं
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मोटापा
- फोटो : Adobe stock
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विस्तार
Jaipur News: दुनिया भर में छोटे बच्चों में तेजी से बढ़ रहा मोटापा अब एक गंभीर वैश्विक स्वास्थ्य संकट बनता जा रहा है। UNICEF की चाइल्ड न्यूट्रिशन ग्लोबल रिपोर्ट में पहली बार यह खुलासा हुआ है कि दुनिया में कम वजन वाले बच्चों की तुलना में मोटापे से प्रभावित बच्चों की संख्या अधिक हो चुकी है। रिपोर्ट के अनुसार 5 से 19 वर्ष आयु वर्ग में मोटापे के मामलों में पिछले दो दशकों के दौरान कई गुना वृद्धि हुई है। भारत के लिए यह स्थिति और भी चिंताजनक है क्योंकि देश में शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में बच्चे तेजी से ओबेसिटी की चपेट में आ रहे हैं।
कम उम्र में ही डायबिटीज, कोलेस्ट्रॉल
राजधानी जयपुर में भी बच्चों में अब मोटापा खतरा बन चुका है। प्रदेश के सबसे बड़े शिशु रोग अस्पताल JK लोन के वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रियांशु माथुर बताते हैं कि उनके पास आने वाले छोटे बच्चों में मोटापा अब एक आम और गंभीर समस्या बन चुका है। उनका कहना है कि बदलती जीवनशैली, गलत खान-पान की आदतें और अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों की बढ़ती खपत इस स्थिति को और खराब बना रही है। पैकेज्ड स्नैक्स, मीठे पेय, इंस्टेंट नूडल्स और तली-भुनी चीजें बच्चों के नियमित आहार का हिस्सा बन चुकी हैं, जिससे उनका वजन नियंत्रित रहना मुश्किल हो गया है। इस वजह से बच्चों में कम उम्र में ही डायबिटीज, हाई कोलेस्ट्रॉल और अन्य मेटाबोलिक बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है। डॉक्टर माथुर के अनुसार मोटापे का असर केवल शारीरिक स्वास्थ्य पर नहीं बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक पड़ता है।
आउटडोर गतिविधियों से दूर हो रहे बच्चे
उन्होंने बताया कि अधिक स्क्रीन टाइम भी बच्चों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रहा है। मोबाइल, टीवी और ऑनलाइन गेम्स के कारण बच्चे आउटडोर गतिविधियों से दूर होते जा रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप उनकी शारीरिक सक्रियता घट रही है और वजन तेजी से बढ़ रहा है। डॉक्टर माथुर का कहना है कि बच्चों को इस खतरे से बचाने के लिए उनके आहार में ताज़े फल, सब्ज़ियां, घर का बना खाना और पौष्टिक खाद्य पदार्थ शामिल करना जरूरी है। इसके साथ ही स्कूलों में अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड की बिक्री पर रोक और बच्चों को नियमित रूप से आउटडोर गतिविधियों में शामिल करना आवश्यक कदम हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि अभी से जागरूकता नहीं बढ़ाई गई तो बच्चों में बढ़ता मोटापा आने वाले वर्षों में एक बड़े सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट का रूप ले सकता है। इसलिए परिवारों, स्कूलों और समाज को मिलकर बच्चों की भोजन आदतें सुधारने और स्वस्थ जीवनशैली विकसित करने की दिशा में गंभीर प्रयास करने होंगे।
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कम उम्र में ही डायबिटीज, कोलेस्ट्रॉल
राजधानी जयपुर में भी बच्चों में अब मोटापा खतरा बन चुका है। प्रदेश के सबसे बड़े शिशु रोग अस्पताल JK लोन के वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रियांशु माथुर बताते हैं कि उनके पास आने वाले छोटे बच्चों में मोटापा अब एक आम और गंभीर समस्या बन चुका है। उनका कहना है कि बदलती जीवनशैली, गलत खान-पान की आदतें और अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों की बढ़ती खपत इस स्थिति को और खराब बना रही है। पैकेज्ड स्नैक्स, मीठे पेय, इंस्टेंट नूडल्स और तली-भुनी चीजें बच्चों के नियमित आहार का हिस्सा बन चुकी हैं, जिससे उनका वजन नियंत्रित रहना मुश्किल हो गया है। इस वजह से बच्चों में कम उम्र में ही डायबिटीज, हाई कोलेस्ट्रॉल और अन्य मेटाबोलिक बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है। डॉक्टर माथुर के अनुसार मोटापे का असर केवल शारीरिक स्वास्थ्य पर नहीं बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक पड़ता है।
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आउटडोर गतिविधियों से दूर हो रहे बच्चे
उन्होंने बताया कि अधिक स्क्रीन टाइम भी बच्चों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रहा है। मोबाइल, टीवी और ऑनलाइन गेम्स के कारण बच्चे आउटडोर गतिविधियों से दूर होते जा रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप उनकी शारीरिक सक्रियता घट रही है और वजन तेजी से बढ़ रहा है। डॉक्टर माथुर का कहना है कि बच्चों को इस खतरे से बचाने के लिए उनके आहार में ताज़े फल, सब्ज़ियां, घर का बना खाना और पौष्टिक खाद्य पदार्थ शामिल करना जरूरी है। इसके साथ ही स्कूलों में अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड की बिक्री पर रोक और बच्चों को नियमित रूप से आउटडोर गतिविधियों में शामिल करना आवश्यक कदम हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि अभी से जागरूकता नहीं बढ़ाई गई तो बच्चों में बढ़ता मोटापा आने वाले वर्षों में एक बड़े सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट का रूप ले सकता है। इसलिए परिवारों, स्कूलों और समाज को मिलकर बच्चों की भोजन आदतें सुधारने और स्वस्थ जीवनशैली विकसित करने की दिशा में गंभीर प्रयास करने होंगे।