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Local Body Election: सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान में निकाय चुनावों की समय-सीमा बरकरार रखी, याचिका खारिज

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जयपुर Published by: सौरभ भट्ट Updated Fri, 19 Dec 2025 03:39 PM IST
सार

सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान में स्थानीय निकाय चुनावों की समय-सीमा को बरकरार रखा है। वहीं परिसीमन और प्रशासकों की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया।

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Local Body Election: Supreme Court Upholds Rajasthan High Court Timeline for Local Body Elections
सुप्रीम कोर्ट - फोटो : ANI
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विस्तार
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सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान में स्थानीय निकाय चुनावों से जुड़ी परिसीमन प्रक्रिया, चुनावी समय-सीमा और प्रशासकों की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही अदालत ने राजस्थान हाईकोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा है, जिसमें पंचायती राज संस्थाओं और नगरपालिकाओं के चुनाव 15 अप्रैल 2026 तक कराए जाने के निर्देश दिए गए थे।
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मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जॉयमाला बागची और न्यायमूर्ति विपुल एम. पंचोली की पीठ ने राजस्थान हाईकोर्ट के 14 नवंबर 2025 के फैसले में हस्तक्षेप से इनकार करते हुए कहा कि राज्य में चुनाव से पहले परिसीमन प्रक्रिया पूरी करना उचित है और हाईकोर्ट द्वारा तय की गई समय-सीमा संतुलित है।
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क्या थी याचिका?

याचिका में पंचायत और नगरपालिका वार्डों के चल रहे परिसीमन, निर्वाचित निकायों का कार्यकाल समाप्त होने के बावजूद चुनावों में देरी और इस दौरान प्रशासकों की नियुक्ति को असंवैधानिक बताया गया था। याचिकाकर्ता का तर्क था कि संविधान के अनुच्छेद 243-ई और 243-यू के तहत कार्यकाल समाप्त होते ही चुनाव कराना अनिवार्य है और परिसीमन को चुनाव टालने का आधार नहीं बनाया जा सकता।

हाईकोर्ट का रुख

राजस्थान हाईकोर्ट ने इससे पहले राज्य सरकार के वैधानिक अधिकारों को मान्यता दी थी। कोर्ट ने कहा था कि राजस्थान पंचायती राज अधिनियम, 1994 की धारा 101 और राजस्थान नगरपालिका अधिनियम, 2009 की धारा 3 और 8 के तहत चुनाव से पहले परिसीमन किया जा सकता है।
हाईकोर्ट ने माना था कि पुराने या अपूर्ण वार्ड ढांचे पर चुनाव कराने से कानूनी और प्रशासनिक समस्याएं पैदा होंगी। इसलिए परिसीमन पूरा होने के बाद ही चुनाव कराए जाएं और पूरी प्रक्रिया 15 अप्रैल 2026 तक अनिवार्य रूप से पूरी की जाए। प्रशासकों की नियुक्ति को चुनाव तक एक अस्थायी व्यवस्था माना गया।

सुप्रीम कोर्ट में दलीलें

याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव अग्रवाल ने पक्ष रखा। वहीं राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के. एम. नटराज ने याचिका का विरोध किया। राज्य ने कहा कि हाईकोर्ट का फैसला संतुलित है और उसमें हस्तक्षेप से राज्यव्यापी परिसीमन, मतदाता सूची और आरक्षण रोस्टर में अव्यवस्था पैदा होगी।

अंतिम फैसला

सभी पक्षों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी और स्पष्ट किया कि हाईकोर्ट पहले ही समयबद्ध चुनाव सुनिश्चित कर चुका है, इसलिए किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
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