Politics: गहलोत ने PM मोदी के मणिपुर दौरे को बताया ‘औपचारिकता’, नेपाल की स्थिति पर भी जताई चिंता
Politics: पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पीएम मोदी के मणिपुर दौरे को औपचारिकता बताया। नेपाल की स्थिति पर चिंता जताई और भारत को सक्रिय भूमिका निभाने की बात कही। मां के सम्मान को राजनीति से दूर रखने की अपील भी की।

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पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रस्तावित मणिपुर दौरे को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने इसे "केवल औपचारिकता" करार देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री को बहुत पहले मणिपुर जाकर लोगों का विश्वास जीतने की कोशिश करनी चाहिए थी।

मीडिया से बातचीत में गहलोत ने कहा, “प्रधानमंत्री सिर्फ चार घंटे के लिए जा रहे हैं, यह बहुत पहले होना चाहिए था। जब प्रधानमंत्री किसी हिंसाग्रस्त क्षेत्र में जाते हैं, तो लोगों को लगता है कि उनकी समस्याएं सीधे केंद्र तक पहुंच रही हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि पीएम के दौरे में हुई देरी ने शांति स्थापित करने का कीमती समय नष्ट कर दिया। पूर्व मुख्यमंत्री ने ये बातें जवाहर बाल मंच द्वारा आयोजित छात्र कार्यक्रम को संबोधित करने के बाद कही। उन्होंने कहा कि बच्चों में नेतृत्व, त्याग और सेवा की भावना विकसित होनी चाहिए, ताकि वे आजादी के संघर्ष और देश के इतिहास को जान सकें।
गृह मंत्री को भी घेरा
गहलोत ने कहा कि उन्होंने दो महीने पहले केंद्रीय गृह मंत्री से भी आग्रह किया था कि वे प्रधानमंत्री को मणिपुर जाने के लिए प्रेरित करें, क्योंकि पीएम के दौरे का अपना महत्व होता है।
मां के सम्मान पर राजनीति नहीं
प्रधानमंत्री मोदी की दिवंगत माता के सम्मान से जुड़े एक सवाल पर गहलोत ने कहा, “हर मां का सम्मान होता है, चाहे वह विपक्ष की हो या सत्तापक्ष की। मां को राजनीतिक बहस का विषय बनाना उचित नहीं है।” उन्होंने राहुल गांधी द्वारा मोदी की मां के प्रति दिखाए गए सम्मान का भी ज़िक्र किया।
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नेपाल की स्थिति पर जताई चिंता
नेपाल में हाल ही में हुई हिंसा और अशांति को लेकर गहलोत ने भारत सरकार की भूमिका पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि भारत को पड़ोसी देशों में शांति स्थापित करने में निर्णायक भूमिका निभानी चाहिए थी। पहले श्रीलंका, फिर बांग्लादेश और अब नेपाल जैसे देशों में अस्थिरता फैल रही है। इससे भारत की छवि और नैतिक जिम्मेदारी दोनों पर असर पड़ता है। उन्होंने कहा कि भारत को गांधी और नेहरू की विरासत के अनुरूप शांति और भाईचारे का संदेश फैलाना चाहिए, न कि केवल औपचारिक प्रतिक्रियाएं देना।