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Rajasthan Crime: लॉरेंस गैंग की डायरी है आदित्य, डब्बा कॉलिंग से करता था जबरन वसूली, जानिये कैसे जुड़े तार
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जयपुर
Published by: प्रिया वर्मा
Updated Fri, 04 Apr 2025 03:34 PM IST
सार
लॉरेंस बिश्नोई गैंग के कुख्यात शूटर आदित्य जैन को राजस्थान की एंटी गैंगस्टर टास्क फोर्स दुबई से गिरफ्तार करके लाई है। आदित्य का काम गैंग के लिए टारगेट ढूंढकर उन्हें फोन पर धमकाने का था। जानिये पूरी कहानी
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राजस्थान
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
राजस्थान की एंटी गैंगस्टर टास्क फोर्स ने दुबई से लॉरेंस बिश्नोई-रोहित गोदारा गैंग के एक अहम सदस्य आदित्य जैन उर्फ टोनी को गिरफ्तार किया है। टोनी गैंग के लिए डब्बा कॉलिंग का काम करता था, यानी टोनी लॉरेंस गैंग की वो डायरी है, जिसके पास पूरा हिसाब-किताब रहता था कि किस व्यक्ति को धमकी देनी है या किस पर फायरिंग करवानी है।
गिरफ्तार बदमाश टोनी मूलत: राजस्थान के नागौर जिले का रहने वाला है और उसके पिता किराने की दुकान चलाते हैं। टोनी को कुछ साल पहले प्यार हुआ और इसके चलते उस पर कई मुकदमे भी दर्ज हुए। एक मुकदमे में वह चूरू की जेल में बंद हुआ, जहां 2018 में उसकी मुलाकात लॉरेंस गैंग के अहम सदस्य वीरेंद्र चारण से हुई जिसके बाद वह लॉरेंस-रोहित गोदारा गैंग में शामिल हो गया।
ये भी पढ़ें: Rajasthan Crime: लॉरेंस गैंग का कुख्यात शूटर आदित्य दुबई से गिरफ्तार, पूछताछ के बाद नागौर में होगी पेशी
एडीजी क्राइम दिनेश एमएन ने जानकारी देते हुए बताया कि गैंग में शामिल होने के बाद टोनी अलग-अलग शहरों के व्यापारियों को डरा-धमकाकर व्हाट्सएप कॉल और वॉयस रिकॉर्डिंग के जरिये धमकी भरी फिरौती की मांग करने लग गया। लॉरेन्स विश्नोई-रोहित गोदारा गैंग को जिन व्यापारियों को अवैध वसूली का टारगेट बनाना होता था, उनके फोन नंबर और परिवार की जानकारी उपलब्ध करवाने का मुख्य जरिया टोनी ही था। आदित्य लॉरेन्स विश्नोई गैंग के बदमाशों को डब्बा कॉलिंग भी करवाता था।
टोनी के खिलाफ राजस्थान के अलग-अलग जिलों में अपहरण, बलात्कार, जबरन वसूली, अवैध हथियार रखने जैसे गंभीर अपराधों के साथ जेल में बंद अपराधियों को अपराध करने के लिए अवैध रूप से मोबाइल फोन और अन्य वस्तुएं उपलब्ध करवाने, नाम बदलकर फेक कॉल करने जैसे सात मुकदमे दर्ज हैं।
गिरोह का सरगना लॉरेंस बिश्नोई आदित्य को डायरेक्शन देता था और उसके निर्देश पर वह अमीर व्यापारियों को व्हाट्सएप या सिग्नल वीओआईपी कॉल के जरिए जबरन वसूली के लिए कॉल करता था और पैसे न मिलने पर अपने गिरोह के सदस्यों को टारगेटड परिवार पर फायरिंग करने भेजता था, कभी-कभी ये लोग उनकी हत्या भी कर देते थे। गैंग के सदस्य डर बनाने के लिए अपराध का लाइव वीडियो बनाकर सोशल मीडिया वेबसाइट पर पोस्ट करते हैं और लॉरेंस बिश्नोई ग्रुप के नाम पर खुलेआम हत्या की जिम्मेदारी लेते हैं।
उन्होंने बताया कि इस गिरोह के सदस्य नए युवाओं को अपने साथ जोड़ते हैं और रंगदारी, फायरिंग जैसे अपराध में शामिल कर लेते हैं। इतना ही नहीं ये गैंग युवाओं को बड़ी रकम देने का वादा करता है और उन्हें फर्जी नई पहचान पर विदेश में बसाने का वादा करता है। इस गिरोह के सदस्य कई अलग-अलग देशों में मौजूद हैं, जो अलग-अलग भूमिका निभाते हैं और अलग-अलग आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देते हैं।
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क्या है गैंग का काम
व्हाट्सएप या सिग्नल, वीपीएन खातों के लिए अंतर्राष्ट्रीय मोबाइल नंबर उपलब्ध कराना, फरार लोगों के लिए ठिकाने बनाए रखना, अवैध उच्च श्रेणी के हथियार और गोला-बारूद और ड्रग्स की आपूर्ति करवाकर नए शार्प शूटरों की पहचान करना, उनका पालन-पोषण करना और उन्हें ट्रेनिंग देना, अवैध अपराध के पैसे को सफेद करना, नकली पहचान पत्र बनाना, कम उम्र के युवा अपराधियों को किसी ना किसी तरह आकर्षित करना। गिरोह ने हाल ही में कई हाई प्रोफाइल अपराध किए हैं और व्हाट्सएप और वीपीएन का उपयोग करके कई जबरन वसूली कॉल की है।
इन्हें पकड़ने के लिए पुलिस और दूसरी एजेंसियों के सामने सबसे बड़ी चुनौती ये रहती है कि गिरोह के ज्यादातर एक्टिव मेंबर्स विदेश भाग गए हैं और वहीं रहते हुए गैंग को ऑपरेट कर रहे हैं। फरार अपराधी आदित्य भी लॉरेंस बिश्नोई और रोहित गोदारा के नेतृत्व वाले एक अंतरराष्ट्रीय अपराध गिरोह से जुड़ा हुआ है और उनके लिए डब्बा कॉलिंग का काम करता है।
क्या है डब्बा कॉलिंग
दरअसल डब्बा कॉलिंग के लिए सबसे पहले लॉरेंस बिश्नोई जैसे गिरोह अपना टारगेट सिलेक्ट करते हैं, फिर गैंग का कोई भी एक्टिव मेंबर अपने टारगेट को इंटरनेट कॉलिंग करता है। ये कॉल एक्सटोर्शन मनी के लिए होती है, इसके बाद ये गुर्गा दूसरे देश में बैठे अपने बॉस को दूसरे फोन का इस्तेमाल कर कॉल करता है फिर दोनों फोन को एक-दूसरे के बगल में रखकर फोन के स्पीकर ऑन कर दिए जाते हैं उस शख्स को धमकी देते हुए एक मोटी रकम की मांग की जाती है। इस डब्बा कॉलिंग के जरिए आज राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली सहित देश के अलग-अलग राज्यों में बदमाश जबरन वसूली को अंजाम दे रहे हैं। डब्बा कॉलिंग इसीलिए भी एक बड़ी चुनौती है क्योंकि इसकी भनक खुफिया एजेंसियों को भी नहीं लग पा रही है।
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इसमें गैंगस्टर्स के निशाने पर ज्यादातर हाई-प्रोफाइल बिजनेसमैन रहते हैं। वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क यानी VPN का इस्तेमाल करके ये कॉल की जाती है। असल में वीपीएन इंटरनेट पर एक डिवाइस और एक रिमोट सर्वर के बीच एक एन्क्रिप्टेड कनेक्शन होता है, जिसके जरिए किसी की ऑनलाइन पहचान छिपाई जाती है। इस आसान से तरीके का इस्तेमाल करके ये अपराधी अपनी पहचान छुपा जाते हैं और कॉल करने वाले का पता लगाना मुश्किल हो जाता है।
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गिरफ्तार बदमाश टोनी मूलत: राजस्थान के नागौर जिले का रहने वाला है और उसके पिता किराने की दुकान चलाते हैं। टोनी को कुछ साल पहले प्यार हुआ और इसके चलते उस पर कई मुकदमे भी दर्ज हुए। एक मुकदमे में वह चूरू की जेल में बंद हुआ, जहां 2018 में उसकी मुलाकात लॉरेंस गैंग के अहम सदस्य वीरेंद्र चारण से हुई जिसके बाद वह लॉरेंस-रोहित गोदारा गैंग में शामिल हो गया।
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एडीजी क्राइम दिनेश एमएन ने जानकारी देते हुए बताया कि गैंग में शामिल होने के बाद टोनी अलग-अलग शहरों के व्यापारियों को डरा-धमकाकर व्हाट्सएप कॉल और वॉयस रिकॉर्डिंग के जरिये धमकी भरी फिरौती की मांग करने लग गया। लॉरेन्स विश्नोई-रोहित गोदारा गैंग को जिन व्यापारियों को अवैध वसूली का टारगेट बनाना होता था, उनके फोन नंबर और परिवार की जानकारी उपलब्ध करवाने का मुख्य जरिया टोनी ही था। आदित्य लॉरेन्स विश्नोई गैंग के बदमाशों को डब्बा कॉलिंग भी करवाता था।
टोनी के खिलाफ राजस्थान के अलग-अलग जिलों में अपहरण, बलात्कार, जबरन वसूली, अवैध हथियार रखने जैसे गंभीर अपराधों के साथ जेल में बंद अपराधियों को अपराध करने के लिए अवैध रूप से मोबाइल फोन और अन्य वस्तुएं उपलब्ध करवाने, नाम बदलकर फेक कॉल करने जैसे सात मुकदमे दर्ज हैं।
गिरोह का सरगना लॉरेंस बिश्नोई आदित्य को डायरेक्शन देता था और उसके निर्देश पर वह अमीर व्यापारियों को व्हाट्सएप या सिग्नल वीओआईपी कॉल के जरिए जबरन वसूली के लिए कॉल करता था और पैसे न मिलने पर अपने गिरोह के सदस्यों को टारगेटड परिवार पर फायरिंग करने भेजता था, कभी-कभी ये लोग उनकी हत्या भी कर देते थे। गैंग के सदस्य डर बनाने के लिए अपराध का लाइव वीडियो बनाकर सोशल मीडिया वेबसाइट पर पोस्ट करते हैं और लॉरेंस बिश्नोई ग्रुप के नाम पर खुलेआम हत्या की जिम्मेदारी लेते हैं।
उन्होंने बताया कि इस गिरोह के सदस्य नए युवाओं को अपने साथ जोड़ते हैं और रंगदारी, फायरिंग जैसे अपराध में शामिल कर लेते हैं। इतना ही नहीं ये गैंग युवाओं को बड़ी रकम देने का वादा करता है और उन्हें फर्जी नई पहचान पर विदेश में बसाने का वादा करता है। इस गिरोह के सदस्य कई अलग-अलग देशों में मौजूद हैं, जो अलग-अलग भूमिका निभाते हैं और अलग-अलग आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देते हैं।
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क्या है गैंग का काम
व्हाट्सएप या सिग्नल, वीपीएन खातों के लिए अंतर्राष्ट्रीय मोबाइल नंबर उपलब्ध कराना, फरार लोगों के लिए ठिकाने बनाए रखना, अवैध उच्च श्रेणी के हथियार और गोला-बारूद और ड्रग्स की आपूर्ति करवाकर नए शार्प शूटरों की पहचान करना, उनका पालन-पोषण करना और उन्हें ट्रेनिंग देना, अवैध अपराध के पैसे को सफेद करना, नकली पहचान पत्र बनाना, कम उम्र के युवा अपराधियों को किसी ना किसी तरह आकर्षित करना। गिरोह ने हाल ही में कई हाई प्रोफाइल अपराध किए हैं और व्हाट्सएप और वीपीएन का उपयोग करके कई जबरन वसूली कॉल की है।
इन्हें पकड़ने के लिए पुलिस और दूसरी एजेंसियों के सामने सबसे बड़ी चुनौती ये रहती है कि गिरोह के ज्यादातर एक्टिव मेंबर्स विदेश भाग गए हैं और वहीं रहते हुए गैंग को ऑपरेट कर रहे हैं। फरार अपराधी आदित्य भी लॉरेंस बिश्नोई और रोहित गोदारा के नेतृत्व वाले एक अंतरराष्ट्रीय अपराध गिरोह से जुड़ा हुआ है और उनके लिए डब्बा कॉलिंग का काम करता है।
क्या है डब्बा कॉलिंग
दरअसल डब्बा कॉलिंग के लिए सबसे पहले लॉरेंस बिश्नोई जैसे गिरोह अपना टारगेट सिलेक्ट करते हैं, फिर गैंग का कोई भी एक्टिव मेंबर अपने टारगेट को इंटरनेट कॉलिंग करता है। ये कॉल एक्सटोर्शन मनी के लिए होती है, इसके बाद ये गुर्गा दूसरे देश में बैठे अपने बॉस को दूसरे फोन का इस्तेमाल कर कॉल करता है फिर दोनों फोन को एक-दूसरे के बगल में रखकर फोन के स्पीकर ऑन कर दिए जाते हैं उस शख्स को धमकी देते हुए एक मोटी रकम की मांग की जाती है। इस डब्बा कॉलिंग के जरिए आज राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली सहित देश के अलग-अलग राज्यों में बदमाश जबरन वसूली को अंजाम दे रहे हैं। डब्बा कॉलिंग इसीलिए भी एक बड़ी चुनौती है क्योंकि इसकी भनक खुफिया एजेंसियों को भी नहीं लग पा रही है।
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इसमें गैंगस्टर्स के निशाने पर ज्यादातर हाई-प्रोफाइल बिजनेसमैन रहते हैं। वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क यानी VPN का इस्तेमाल करके ये कॉल की जाती है। असल में वीपीएन इंटरनेट पर एक डिवाइस और एक रिमोट सर्वर के बीच एक एन्क्रिप्टेड कनेक्शन होता है, जिसके जरिए किसी की ऑनलाइन पहचान छिपाई जाती है। इस आसान से तरीके का इस्तेमाल करके ये अपराधी अपनी पहचान छुपा जाते हैं और कॉल करने वाले का पता लगाना मुश्किल हो जाता है।