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Ashok Gehlot Slams EC: ‘राजस्थान में रोक, बिहार में छूट… यह दोहरा मापदंड क्यों’, चुनाव आयोग पर भड़के पूर्व CM

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जयपुर Published by: हिमांशु प्रियदर्शी Updated Wed, 19 Nov 2025 04:11 PM IST
सार

Ashok Gehlot Scathing Attack On EC: पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने चुनाव आयोग पर राजस्थान और बिहार के मामलों में दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाते हुए जनकल्याण योजनाओं पर रोक को अनुचित बताया। उन्होंने SIR फैसले पर भी सवाल उठाए और कहा कि आयोग के हालिया निर्णय लोकतांत्रिक संस्थाओं पर भरोसा कमजोर कर रहे हैं।
 

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Rajasthan Former CM Ashok Gehlot Slams EC Over SIR Row and Double Standard Details in Hindi
पू्र्व सीएम अशोक गहलोत तथा मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बुधवार को जयपुर स्थित कांग्रेस मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े किए। उन्होंने आरोप लगाया कि आयोग राजस्थान में चुनाव के दौरान जनकल्याण योजनाओं पर तत्काल रोक लगाता है, जबकि बिहार में मतदान से ठीक पहले किए गए बड़े वित्तीय निर्णयों पर कोई कदम नहीं उठाता। गहलोत ने इसे चुनाव आयोग की कार्रवाई में असमानता और राजनीतिक प्रभाव की स्थिति बताते हुए चिंता जताई।

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मोबाइल वितरण और पेंशन रोक को बताया अनुचित
गहलोत ने कहा कि राजस्थान सरकार ने मार्च 2022 के बजट में 1 करोड़ 25 लाख महिलाओं को मोबाइल फोन देने की योजना शुरू की थी, लेकिन दिसंबर 2023 में चुनाव की घोषणा होते ही यह वितरण रोक दिया गया। उनके अनुसार सरकार केवल 30–40% महिलाओं को ही मोबाइल दे पाई थी। उन्होंने यह भी कहा कि बुजुर्गों, महिलाओं और दिव्यांगों की पेंशन पर भी रोक लगी, जिससे आम जनता प्रभावित हुई।
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बिहार में मतदान से पूर्व बड़े आर्थिक फैसलों का मामला
गहलोत ने तुलना करते हुए कहा कि बिहार में मतदान से ठीक एक दिन पहले 400 रुपये की पेंशन बढ़ाकर 1100 रुपये कर दी गई। उनका आरोप है कि यह फैसला मतदाताओं को सीधे प्रभावित करने वाला था। उन्होंने दावा किया कि बिहार चुनाव के बीच कई योजनाओं के तहत महिलाओं के खातों में 10 हजार रुपये तक ट्रांसफर किए गए। गहलोत ने पूछा कि जब पोलिंग अगले दिन है और उसी समय 10 हजार रुपये खाते में आते हैं, तो इसका असर क्यों नहीं माना गया? राजस्थान में हमारी योजनाएं गैरकानूनी कैसे हो गईं और बिहार में यह सब वैध कैसे?
 
राजनीतिक दबाव और धन-बल के इस्तेमाल का आरोप
भाजपा प्रदेश प्रभारी राधा मोहन दास अग्रवाल के बयान पर जवाब देते हुए गहलोत ने आरोप लगाया कि इनके अमित शाह भी यही भाषा बोलते हैं, अग्रवाल भी यही बोल रहे हैं, यह उनका घमंड है। उन्हें भरोसा हो गया है कि वे फाउल खेल से किसी भी चुनाव को काबू कर सकते हैं। उन्होंने आगे कहा कि BJP ने धन-बल के दम पर चुनावी माहौल बिगाड़ दिया है और पूरे देश में बड़े-बड़े दफ्तर खड़े कर रही है।

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SIR विवाद पर भी चुनाव आयोग को कठघरे में रखा
गहलोत ने SIR (विशेष गहन पुनरीक्षण) को लेकर भी चुनाव आयोग के फैसले पर सवाल उठाया। उन्होंने बताया कि SIR के खिलाफ याचिका सुप्रीम कोर्ट में अभी विचाराधीन है, फिर भी चुनाव आयोग ने 12 राज्यों में SIR लागू कर दिया। उन्होंने कहा कि यह कदम आयोग की निष्पक्षता और कानूनी प्रक्रिया के पालन को लेकर गंभीर सवाल खड़े करता है।
 
लोकतांत्रिक संस्थाओं में भरोसा कमजोर होने का दावा
गहलोत ने कहा कि चुनाव आयोग के हालिया फैसले लोकतांत्रिक संस्थाओं में जनता के भरोसे को कमजोर कर रहे हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि आयोग के निर्णयों की निष्पक्ष और स्वतंत्र समीक्षा आवश्यक है, क्योंकि लोकतंत्र की मजबूती के लिए संस्थागत निष्पक्षता अनिवार्य है।

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