पहले जान, फिर ज्ञान: इस राह पर भजनलाल सरकार, कहां पढ़ेंगे 2256 जर्जर स्कूलों के बच्चे? राठौड़ बोले- फैसला जल्द
झालावाड़ स्कूल हादसे के बाद प्रदेश के जर्जर स्कूलों की पहचान के लिए एक सर्वेक्षण रिपोर्ट मांगी गई, इसके कुछ घंटे बाद ही 2256 स्कूलों की बिल्डिंग को जर्जर घोषित कर दिया है। सर्वे अभी जारी है, जिससे इनकी संख्या और भी बढ़ सकती है।
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पहले जान, फिर ज्ञान ये उस बयान के मायने हैं जो राजस्थान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने झालावाड़ स्कूल हादसे पर दिया है। 'अमर उजाला' से विशेष बातचीत में राठौड़ ने कहा कि हमारी पहली प्राथमिकता बच्चों की जान बचाना है, शिक्षा दूसरी प्राथमिकता है। पहले हम बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे इसके बाद उनकी शिक्षा के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी।
दरअसल, शुक्रवार को झालावाड़ जिले के पिपलोदी गांव में एक स्कूल की छत गिर गई थी। हादसे में सात बच्चों की मौत हो गई और करीब 25 बच्चे घायल हो गए। बच्चों की दर्दनाक मौत ने पूरे प्रदेश को हिला कर रख दिया। हादसे के बाद से घटना को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। विपक्षी दल हादसे को लेकर सरकार को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं। लेकिन, आज विपक्ष में बैठी कांग्रेस कुछ साल पहले पहले सत्ता में थी। ऐसे में इस हादसे के लिए उसे भी उतना ही जिम्मेदार माना जा सकता है जितनी वर्तमान भाजपा सरकार। क्योंकि, कोई बिल्डिंग एक या दो साल में जर्जर नहीं होती।
2256 स्कूलों की बिल्डिंग जर्जर
बता दें कि झालावाड़ स्कूल हादसे के बाद प्रदेश के जर्जर स्कूलों की पहचान के लिए एक सर्वेक्षण रिपोर्ट मांगी गई, इसके कुछ घंटे बाद ही 2256 स्कूलों की बिल्डिंग को जर्जर घोषित कर दिया है। यह कोई अंतिम आंकड़ा नहीं है, सर्वे जारी है जिससे जर्जर स्कूलों की संख्या और भी बढ़ सकती है। शिक्षा मंत्री मदन दिलावर भी मान चुके हैं कि प्रदेश में हजारों स्कूल जर्जर हैं। अगर, ऐसा है तो फिर इसे लेकर पहले कदम क्यों नहीं उठाए गए? हादसा होने का इंतजार क्यों किया गया? हादसे के बाद अब क्या खानापूर्ति की जा रही है?
बच्चें कहां पढ़ेंगे, अब तक फैसला नहीं
इस बीच शिक्षा विभाग ने एक आदेश जारी कर जर्जर स्कूल भवनों में बच्चों को बैठाना प्रतिबंधित कर दिया। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का क्या होगा, आाखिर वे कहां और कैसे पढ़ाई करेंगे। इसे लेकर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष राठौड़ से सवाल किया गया, जिसके जवाब में उन्होंने कहा- किसी धर्मशाला, किसी अन्य भवन या स्कूल कहां लगेगा इस पर सरकार विचार कर रही है। सरकार की पहली प्राथमिकता बच्चों को बचाना है। सरकार जल्द ही इस पर फैसला करेगी।
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स्कूल हादसे के लिए जिम्मेदार कौन?
इस सवाल के जवाब में प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने यह कहकर हैरानी जताई कि मैं नहीं मानता कि स्कूल जर्जर होने की जानकारी शिक्षा विभाग को दी गई होगी। लेकिन, हैरान की बात यह है कि प्रदेश के सैकड़ों जर्जर स्कूलों के प्रधानाध्यापक लगातार पत्र लिखकर शिक्षा विभाग को खस्ताहाल बिल्डिंग की जानकारी दे रहे हैं। अमर उजाला के के पास ऐसे कई पत्र मौजूद हैं, जिनमें स्कूलों की हालत की दास्तां लिखी है। बताया जा रहा है कि सकूल हादसे को लेकर शिक्षा विभाग द्वारा गठित जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में विभाग को क्लीन चिट दी है, इसकी पूरी जिम्मेदारी ग्राम पंचायत पर डाल दी गई।
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विपक्ष हमलावर, लोगों में गुस्सा
स्कूल हादसे को लेकर कांग्रेस सरकार पर हमलावर है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा बच्चों की मौत को हत्या बता चुके हैं। अपने बयान में उन्होंने कहा था कि यह हादसा नहीं हत्या है। वहीं, अभिभावकों और समाजसेवियों का कहना है कि स्कूल भवनों की दुर्दशा की जानकारी देने के बावजूद सरकार और अधिकारी आंख मूंदे बैठे रहे। हादसे के बाद अब जांच और मुआवजे की बात हो रही है, सरकार के पास बच्चों की शिक्षा और सुरक्षा को लेकर काई योजना नहीं है।
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