Rajasthan Tiger Reserve News: रणथंभौर टाइगर रिजर्व में ई-सर्विलांस सिस्टम हुआ फेल, 12 में से 11 कैमरे बंद
Rajasthan Tiger Reserve News: रणथंभौर टाइगर रिजर्व में 65 करोड़ की ई-सर्विलांस प्रणाली फेल हो गई है। 12 में से 11 कैमरे खराब हैं, जिससे 24x7 निगरानी ठप हो गई है। ड्रोन कभी उपयोग में नहीं आए और तकनीक अब पुरानी हो चुकी है। वन्यजीवों की सुरक्षा पर खतरा मंडरा रहा है।

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Rajasthan Tiger Reserve News: रणथंभौर टाइगर रिजर्व में बाघों व अन्य वन्यजीवों की सुरक्षा और शिकार रोकथाम के लिए करोड़ों की लागत से लगाए गए ई-सर्विलांस और एंटी-पोचिंग सिस्टम (WS&APS) ही लगभग ठप हो गया है। 2017–18 में करीब 65 करोड़ रुपये की लागत से लगाए गए इस सिस्टम के तहत लगाए गए 12 कैमरों में से 11 बंद पड़ चुके हैं। जिन कैमरों के भरोसे वन विभाग यहां 24x7 निगरानी के दावे करता है वह किसी काम के नहीं हैं। वन विभाग के एक अधिकारी के अनुसार, लगातार तकनीकी समस्याएं बनी हुई हैं। विभाग ने कई बार सूचना प्रौद्योगिकी विभाग (DoIT) को पत्र लिखकर कैमरे ठीक करने की मांग की, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं हुआ।

शिकार के लिए संवेदनशील इलाकों के कैमरे 2022 से ही खराब
टाइगर रिजर्व में आने वाले राजबाग और मानसरोवर डैम क्षेत्र में लगे थर्मल व ऑप्टिकल कैमरे मई 2022 से ही बंद पड़े हैं। ये इलाके संवेदनशील जोन माने जाते हैं, जहां शिकार, अवैध लकड़ी कटाई और खनन जैसी गतिविधियां होती हैं। यहां हर टावर में 30 से 45 मीटर ऊंचाई पर PTZ, थर्मल और ऑप्टिकल कैमरे लगे थे, जो 5 किमी तक निगरानी कर सकते थे। लेकिन जागीरदार की हवेली, भैरवी का स्थान, आमा घाटी, हिलटॉप, बालाजी टेंट, झूमर बावड़ी, शेरपुर, राजबाग, मानसरोवर डैम समेत लगभग सभी लोकेशन के टावर 2024 से खराब चल रहे हैं। यही नहीं यहां मॉनिटरिंग सिस्टम के तहत ड्रोन भी खरीदे गए थे, लेकिन एक बार भी उपयोग में नहीं लाए गए।
अधूरी योजनाएं, पुरानी तकनीक
परियोजना के विस्तार के लिए बास्सो टॉप, छोला डेह, माता जी (मंडी के सामने), पांड्या की टाल पर भी टावर बनने थे, लेकिन अधूरा काम रह गया। वरिष्ठ अधिकारियों ने माना कि टेक्नोलॉजी अब पुरानी हो चुकी है। आधुनिक AI-सक्षम सिस्टम की तरह इसमें रियल टाइम अलर्ट की सुविधा नहीं है और मानव-निगरानी पर निर्भर है। वन्यजीव विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगर निगरानी तंत्र में सुधार नहीं हुआ तो बाघों और अन्य दुर्लभ प्रजातियों की सुरक्षा पर खतरा मंडरा सकता है। परियोजना अब एक 'महंगा सफेद हाथी' साबित हो रही है।
फील्ड डायरेक्टर की प्रतिक्रिया
इस मामले पर टिप्पणी करते हुए रणथंभौर टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर अनूप के.आर. ने कहा, "इस प्रणाली की परिकल्पना और क्रियान्वयन टाइगर रिजर्व की अधिक प्रभावी सुरक्षा के लिए संवेदनशील क्षेत्रों की 24x7 निगरानी के लिए किया गया था। लेकिन व्यावहारिक रूप से यह उद्देश्य कभी पूरे नहीं हो सके क्योंकि तकनीक पुरानी हो चुकी है और कैमरों का समय पर रखरखाव नहीं किया गया।"