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Rath Yatra Special: भगवान जगन्नाथ को आज भी भाती है करमा बाई की खिचड़ी, छप्पन भोग से पहले लगता है भोग
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जयपुर
Published by: प्रिया वर्मा
Updated Sat, 28 Jun 2025 12:05 PM IST
सार
नागौर के मकराना के पास स्थित कालवा गांव में जन्मी महान भक्त करमा बाई की बनाई खिचड़ी आज भी भगवान जगन्नाथ को अत्यंत प्रिय मानी जाती है। परंपरा के अनुसार आज भी जगन्नाथपुरी (उड़ीसा) में छप्पन भोग से पहले भगवान को सबसे पहले करमा बाई की खिचड़ी का भोग अर्पित किया जाता है।
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राजस्थान
- फोटो : मेटा एआई
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विस्तार
राजस्थान के नागौर जिले के मकराना के पास स्थित कालवा गांव में जन्मी भक्त शिरोमणी करमा बाई की खिचड़ी आज भी भगवान जगन्नाथ को अतिप्रिय मानी जाती है। जगन्नाथपुरी (उड़ीसा) में छप्पन भोग से पहले भगवान को सबसे पहले करमा बाई की बनाई खिचड़ी का ही भोग लगाया जाता है।
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भक्तमाल ग्रंथ के अनुसार 20 अगस्त 1615 को जीवण राम डूडी और रतनी देवी के घर जन्मी करमा बाई ने बचपन से ही गहरी भक्ति भावनाओं का परिचय दिया। उनके पिता तीर्थयात्रा पर जाते समय उन्हें भगवान को खिचड़ी का भोग लगाने की जिम्मेदारी सौंप गए थे। जब भगवान जगन्नाथ उनके भोग पर उपस्थित नहीं हुए तो करमा बाई ने भूखे रहकर उनका इंतजार करने का संकल्प लिया। उनके भोलेपन और अपार श्रद्धा से प्रसन्न होकर भगवान स्वयं प्रकट हुए और खिचड़ी ग्रहण की।
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संस्कृत विद्वान डॉ. सुभाष शर्मा के अनुसार भक्तमाल ग्रंथ में संत नाभादास ने करमा बाई की भक्ति का विशेष वर्णन किया है। जीवन के अंतिम वर्षों में करमा बाई पुरी चली गई थीं और वहां भगवान जगन्नाथ को प्रतिदिन खिचड़ी का भोग लगाती थीं। एक वैष्णव संत ने उन्हें बालकृष्ण की मूर्ति देकर बाल रूप में भगवान की सेवा करने की प्रेरणा दी थी।
पुरी स्थित करमा बाई की समाधि के सामने आज भी जगन्नाथ रथयात्रा रुकती है और श्रद्धालु मिट्टी के सात बर्तनों में पकाई गई खिचड़ी का प्रसाद प्राप्त करते हैं। यह परंपरा भक्तमाल की इस पंक्ति को सार्थक करती है- "छप्पन भोग तै पहिले खीच करमा बाई को भावैहि।