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War Exercise: थार के इन इलाकों में मिराज-2000 और सुखोई-30 की धमक, पाक में छिपे आतंकियों को दिया कड़ा संदेश

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जैसलमेर/जोधपुर Published by: जैसलमेर ब्यूरो Updated Tue, 02 Sep 2025 01:26 PM IST
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सार

राजस्थान की पश्चिमी सीमा पर भारतीय वायुसेना का दो दिवसीय बड़ा युद्धाभ्यास जारी है। इस दौरान जोधपुर में ड्रोन पर पूरी तरह रोक लगी रही। जानें यह युद्धाभ्यास क्यों अहम है और इससे जुड़ी खास बातें क्या हैं?

Indian Air Force two-day big exercise on Rajasthan border complete ban on drones in Jodhpur
जैसलमेर सीमा पर वायुसेना का बड़ा युद्धाभ्यास, फोटो- सोशल मीडिया
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विस्तार
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राजस्थान के पश्चिमी सीमा से सटे इलाकों में भारतीय वायुसेना ने शनिवार रात से दो दिवसीय युद्धाभ्यास शुरू किया है। 1 और 2 सितंबर तक चलने वाले इस अभ्यास के दौरान जोधपुर, बाड़मेर और जैसलमेर जिलों में सैन्य गतिविधियां तेज हो गई हैं। यह अभ्यास न केवल सैनिकों की युद्धकुशलता को परखने का जरिया है, बल्कि मौजूदा सुरक्षा हालातों के मद्देनज़र एक सशक्त रणनीतिक संदेश के रूप में भी देखा जा रहा है। वहीं, थार के रेगिस्तान में मिराज-2000 और सुखोई-30 एमकेआई की खरज ने सेना के शौर्य का पराक्रम दिखाया है। 
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नागरिक उड़ानों पर अस्थायी रोक, NOTAM जारी
रक्षा मंत्रालय ने इस अभ्यास के लिए नोटम (NOTAM) जारी किया है, जिसके तहत रात्रिकालीन समय में सभी नागरिक उड़ानों पर अस्थायी रोक लगा दी गई है। दरअसल, वायुसेना इस दौरान अपनी नाइट-वारफेयर कैपेसिटी यानी रात्रिकालीन युद्ध क्षमता को परखने और उसे और मजबूत बनाने की कवायद कर रही है। इससे पहले अप्रैल माह में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले की घटना के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने चौकसी और भी बढ़ा दी थी। अब इस अभ्यास को उन्हीं हालातों के मद्देनज़र और पश्चिमी सीमा से जुड़े खतरों की आशंकाओं को ध्यान में रखकर आयोजित किया जा रहा है।
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रणनीतिक महत्व और संदेश
विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकार के अभ्यास केवल सैन्य दक्षता को निखारने के लिए नहीं, बल्कि पड़ोसी देशों और आतंकी संगठनों को स्पष्ट संदेश देने के लिए भी होते हैं कि भारतीय वायुसेना किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार है। पश्चिमी सीमा से लगे इलाकों में ऐसे ऑपरेशन वायुसेना की सामरिक बढ़त और युद्धक क्षमता को और अधिक मजबूत करते हैं।

राजस्थान की सीमा पर चल रहा यह अभ्यास भारतीय वायुसेना की सामरिक तैयारी का हिस्सा है, लेकिन मौजूदा सुरक्षा हालातों में इसका महत्व कहीं अधिक बढ़ गया है। यह अभ्यास केवल सैन्य शक्ति का प्रदर्शन नहीं, बल्कि देश की सुरक्षा और सीमा पर शांति बनाए रखने का ठोस संदेश भी है।

ड्रोन और फ्लाइंग ऑब्जेक्ट्स पर सख्त पाबंदी
जोधपुर पुलिस कमिश्नर ओमप्रकाश ने रविवार देर रात आदेश जारी कर पूरे कमिश्नरेट क्षेत्र में ड्रोन और अन्य फ्लाइंग ऑब्जेक्ट्स पर पूर्णत: रोक लगा दी है। आदेश के मुताबिक अब कोई भी व्यक्ति बिना सक्षम अधिकारी की पूर्व अनुमति के ड्रोन का संचालन नहीं कर सकेगा। पुलिस प्रशासन ने साफ चेतावनी दी है कि नियम तोड़ने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी और इसमें किसी प्रकार की ढील नहीं दी जाएगी।

किन हथियारों और तकनीकों का इस्तेमाल
इस बड़े युद्धाभ्यास में वायुसेना के आधुनिक फ्रंटलाइन फाइटर जेट्स शामिल किए गए हैं। इनमें मिराज-2000 और सुखोई-30 एमकेआई प्रमुख हैं, जो राजस्थान के फील्ड फायरिंग रेंज में टारगेट को हिट करने का अभ्यास करेंगे। सैन्य सूत्रों के अनुसार इसमें अत्याधुनिक राफेल फाइटर जेट्स के भी शामिल होने की संभावना है। इसके साथ ही एयर डिफेंस सिस्टम, मिसाइल यूनिट्स और रात के समय ऑपरेशन की विशेष तकनीकों पर भी जोर दिया जा रहा है।

इस तरह के अभ्यास वायुसेना की ऑपरेशनल रेडीनेस यानी तत्काल कार्रवाई करने की तैयारी को मजबूत करने के लिए किए जाते हैं। पश्चिमी सीमा से सटे इलाकों में संभावित खतरे की स्थिति में वायुसेना कितनी तत्परता और क्षमता से प्रतिक्रिया दे सकती है, इसे परखने के लिए यह अभ्यास बेहद अहम है।

सुरक्षा को लेकर प्रशासन पूरी तरह सतर्क
जोधपुर सहित बाड़मेर और जैसलमेर के आसपास प्रशासन और वायुसेना पूरी तरह अलर्ट मोड में हैं। स्थानीय प्रशासन ने आम नागरिकों से अपील की है कि वे सुरक्षा नियमों का पालन करें और अनावश्यक गतिविधियों से बचें। खासतौर पर ड्रोन जैसे फ्लाइंग ऑब्जेक्ट्स के उपयोग से बचने की सख्त हिदायत दी गई है। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 163 के तहत जारी इस निषेधाज्ञा में कहा गया है कि बिना सक्षम प्राधिकारी की अनुमति के किसी भी प्रकार का फ्लाइंग ऑब्जेक्ट चलाना कानूनन अपराध माना जाएगा। आदेश तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है और यह आगामी आदेशों तक जारी रहेगा।

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इसलिए अहम है ये युद्धाभ्यास
यह कदम इसलिए भी अहम है क्योंकि हाल के वर्षों में कई अवांछनीय घटनाओं में ड्रोन के इस्तेमाल की पुष्टि हुई है। सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्ट में भी यह स्पष्ट किया गया है कि आतंकी संगठन और असामाजिक तत्व देश की सुरक्षा व्यवस्था को चुनौती देने के लिए ड्रोन तकनीक का दुरुपयोग कर सकते हैं। जोधपुर कमिश्नरेट क्षेत्र सामरिक, ऐतिहासिक और सैन्य दृष्टि से अति संवेदनशील है, ऐसे में प्रशासन किसी भी प्रकार का जोखिम उठाने के मूड में नहीं है।

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