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Rajasthan: मशहूर साहित्यकार बशीर अहमद 'मयूख' का निधन, लोकसभा अध्यक्ष ने दी श्रद्धांजलि
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कोटा
Published by: शबाहत हुसैन
Updated Tue, 06 May 2025 06:49 AM IST
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सार
Rajasthan: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने श्रद्धांजलि देते हुए लिखा कि कोटा के प्रख्यात साहित्यकार बशीर अहमद 'मयूख' जी का निधन साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। वे हिन्दी और उर्दू के संवेदनशील लेखक ही नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना, मानवीय मूल्यों और भाषा की गरिमा के सजग प्रहरी थे।

बशीर अहमद 'मयूख'
- फोटो : Facbook
विस्तार
जानें मानें विद्वान और साहित्यकार बशीर अहमद 'मयूख' का 99 वर्ष की उम्र में कोटा में निधन हो गया। वे अपने लेखन के ज़रिए जैन आगम ग्रंथ, वेदों और भारत की गंगा-जमुनी तहजीब को बढ़ावा देने के लिए पहचाने जाते थे। उनके बेटे फिरोज खान मयूख के मुताबिक रविवार सुबह उन्हें लकवे का दौरा पड़ा और उन्हें एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों ने दिमाग में बड़ा थक्का (ब्लड क्लॉट) पाया और बताया कि उनकी हालत बेहद नाज़ुक है। इलाज के बावजूद उन्होंने दोपहर 2:30 बजे आखिरी सांस ली। उनके परिवार में दो बेटे और दो बेटियां हैं।
मयूख की आखिरी किताब 'शब्दरागी मयूख' थी। उन्होंने कुल आठ पुस्तकें लिखीं। उनका जन्म 16 अक्टूबर 1926 को चिपाबरौद (अब बारां) जिला में हुआ था। उन्हें कई साहित्यिक सम्मान मिले, जिनमें अंतिम बार राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा दिया गया 'विश्व हिंदी सम्मान' शामिल है। हालांकि उन्होंने ब्रिटिश शिक्षा व्यवस्था के तहत केवल मिडिल तक ही पढ़ाई की थी, लेकिन उन्होंने स्व-अध्ययन के बल पर साहित्य में अपना अलग स्थान बनाया।
पढ़ें: एकतरफा मोहब्बत के चलते प्रेमिका के दूल्हे को चाकू मारा, मुख्य आरोपी समेत दो हिरासत में
उनकी प्रमुख रचनाओं में स्वर्ण रेखा, अर्हत, सूर्यबीज, ज्योतिपथ, गुमशुदा की तलाश, अवधू अनहद नाद सुने शामिल हैं। वे एक आस्थावान मुस्लिम थे, लेकिन भगवान शिव के प्रति भी गहरी श्रद्धा रखते थे। उन्होंने 40 साल पहले कोटा के विज्ञान नगर में मयूखेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण करवाया था। मंदिर के पुजारी पंडित लक्ष्मीनारायण गौतम ने बताया कि मयूख हर रोज मंदिर आया करते थे, जब तक कि उनकी तबीयत ने साथ दिया।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने श्रद्धांजलि देते हुए लिखा कि कोटा के प्रख्यात साहित्यकार बशीर अहमद 'मयूख' जी का निधन साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। वे हिन्दी और उर्दू के संवेदनशील लेखक ही नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना, मानवीय मूल्यों और भाषा की गरिमा के सजग प्रहरी थे। उनकी रचनाओं ने समाज को सोचने, समझने और जोड़ने का काम किया। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें और शोकाकुल परिवार को यह दुःख सहन करने की शक्ति दें। सादर श्रद्धांजलि। पूर्व मंत्री भारत सिंह ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी और कहा कि उन्होंने मयूख को गांधीवादी विचारधारा के साथ जीवन जीते हुए देखा।
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मयूख की आखिरी किताब 'शब्दरागी मयूख' थी। उन्होंने कुल आठ पुस्तकें लिखीं। उनका जन्म 16 अक्टूबर 1926 को चिपाबरौद (अब बारां) जिला में हुआ था। उन्हें कई साहित्यिक सम्मान मिले, जिनमें अंतिम बार राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा दिया गया 'विश्व हिंदी सम्मान' शामिल है। हालांकि उन्होंने ब्रिटिश शिक्षा व्यवस्था के तहत केवल मिडिल तक ही पढ़ाई की थी, लेकिन उन्होंने स्व-अध्ययन के बल पर साहित्य में अपना अलग स्थान बनाया।
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उनकी प्रमुख रचनाओं में स्वर्ण रेखा, अर्हत, सूर्यबीज, ज्योतिपथ, गुमशुदा की तलाश, अवधू अनहद नाद सुने शामिल हैं। वे एक आस्थावान मुस्लिम थे, लेकिन भगवान शिव के प्रति भी गहरी श्रद्धा रखते थे। उन्होंने 40 साल पहले कोटा के विज्ञान नगर में मयूखेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण करवाया था। मंदिर के पुजारी पंडित लक्ष्मीनारायण गौतम ने बताया कि मयूख हर रोज मंदिर आया करते थे, जब तक कि उनकी तबीयत ने साथ दिया।
कोटा के मूर्धन्य साहित्यकार बशीर अहमद 'मयूख' जी का निधन साहित्यिक जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। वे न केवल हिन्दी और उर्दू साहित्य के संवेदनशील रचनाकार थे, बल्कि सामाजिक चेतना, मानवीय मूल्यों और भाषा की गरिमा के सजग प्रहरी भी रहे। उनकी लेखनी ने समाज को सोचने, समझने और जोड़ने का…
— Om Birla (@ombirlakota) May 4, 2025
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने श्रद्धांजलि देते हुए लिखा कि कोटा के प्रख्यात साहित्यकार बशीर अहमद 'मयूख' जी का निधन साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। वे हिन्दी और उर्दू के संवेदनशील लेखक ही नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना, मानवीय मूल्यों और भाषा की गरिमा के सजग प्रहरी थे। उनकी रचनाओं ने समाज को सोचने, समझने और जोड़ने का काम किया। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें और शोकाकुल परिवार को यह दुःख सहन करने की शक्ति दें। सादर श्रद्धांजलि। पूर्व मंत्री भारत सिंह ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी और कहा कि उन्होंने मयूख को गांधीवादी विचारधारा के साथ जीवन जीते हुए देखा।