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Rajsamand: दो पंचायतों को मिलेगा स्थायी जल समाधान, हिंदुस्तान जिंक-PHED के बीच 4.67 करोड़ के MOU पर हस्ताक्षर
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, राजसमंद
Published by: राजसमंद ब्यूरो
Updated Fri, 01 Aug 2025 10:01 PM IST
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सार
Rajsamand News: विधायक दीप्ति माहेश्वरी ने इसे जल आपूर्ति व्यवस्था को सुदृढ़ करने की दिशा में एक मील का पत्थर बताया। उन्होंने कहा कि यह पहल न केवल इन पंचायतों को स्थायी रूप से स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराएगी, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों के जीवन स्तर में सुधार भी लाएगी।

काबरा और कोटड़ी ग्राम पंचायतों में जल आपूर्ति व्यवस्था के लिए 4.67 करोड़ के एमओयू पर हस्ताक्षर हुए
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विस्तार
राजसमंद जिले की काबरा और कोटड़ी ग्राम पंचायतों में पेयजल संकट के स्थायी समाधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। शुक्रवार को यहां हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (एचजेडएल) और राजस्थान सरकार के सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग (पीएचईडी) के बीच 4.67 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता को लेकर एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। यह कार्यक्रम विधायक दीप्ति माहेश्वरी की उपस्थिति में उनके कार्यालय एवं जनसुनवाई केंद्र पर आयोजित हुआ।

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ग्रामीण जलापूर्ति को मिलेगी मजबूती
इस अवसर पर विधायक दीप्ति माहेश्वरी ने इसे जल आपूर्ति व्यवस्था को सुदृढ़ करने की दिशा में एक मील का पत्थर बताया। उन्होंने कहा कि यह पहल न केवल इन पंचायतों को स्थायी रूप से स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराएगी, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों के जीवन स्तर में सुधार भी लाएगी। उन्होंने जनहित में ऐसे सहयोगात्मक प्रयासों को विकास की दिशा में अग्रसर कदम करार देते हुए हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड और पीएचईडी विभाग का आभार प्रकट किया।
सीएसआर के तहत हुआ वित्तीय सहयोग
एमओयू के अंतर्गत हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड की ओर से सीईओ एवं पूर्णकालिक निदेशक (प्रथम पक्ष) और पीएचईडी की ओर से अतिरिक्त मुख्य अभियंता, क्षेत्र-उदयपुर (द्वितीय पक्ष) ने समझौते पर हस्ताक्षर किए। कार्यक्रम में उपस्थित लोक स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के अधिशासी अभियंता लोकेश सैनी ने बताया कि यह संपूर्ण पहल कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व (CSR) के तहत की जा रही है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में जल संकट को दूर करना है।
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इस समझौते के तहत निर्धारित राशि का उपयोग ग्राम पंचायतों में जलापूर्ति से जुड़ी आधारभूत संरचना को मजबूत करने के लिए किया जाएगा। इसमें पाइपलाइन, जलाशय, फिल्ट्रेशन यूनिट्स जैसे तकनीकी विकास शामिल हैं, जो आने वाले समय में इन क्षेत्रों को जल संकट से स्थायी राहत दिलाएंगे।