Rajsamand News: श्रीनाथजी मंदिर में सम्पन्न हुआ आषाढ़ी तौल, इस वर्ष अनाज और वर्षा सामान्य रहने का अनुमान
Rajsamand: श्रीनाथजी मंदिर में आषाढ़ी तौल के बाद आसपास के गांवों के किसान इसी आधार पर आगामी वर्ष में फसलों की बुवाई की योजना बनाते हैं, वहीं कई अनाज व्यापारी भी अपने व्यापार में स्टॉक आदि की रणनीति तय करते हैं।
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राजसमंद जिले के प्रसिद्ध श्रीनाथजी मंदिर में प्रतिवर्ष की भांति आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा पर परंपरागत आषाढ़ी तौल सम्पन्न हुआ। इस तौल के आधार पर इस वर्ष अनाज की पैदावार और वर्षा सामान्य रहने का अनुमान लगाया गया है।
मंदिर के खर्च भंडार में प्राचीन परंपरा के अनुसार विभिन्न धान्य और भौतिक वस्तुओं को तौलकर रखा जाता है, जिसे आषाढ़ी तौलना कहा जाता है। कल पूर्णिमा पर धान्यादि वस्तुएं तौलकर रखने के बाद आज सुबह ग्वाल दर्शन के दौरान श्रीजी के मुख्य पंड्या परेश नागर के सान्निध्य में खर्च भंडार के भंडारी प्रकाशचंद्र सनाढय एवं कर्मचारियों की उपस्थिति में पुनः तौल की गई।
इस बार के अनुमान के अनुसार धान्य की पैदावार सामान्य बताई गई है तथा वर्षा भी सामान्य रहेगी। इसमें आषाढ़ और श्रावण मास में तीन आना, भाद्रपद व आसोज में चार आना वर्षा अनुमानित की गई है। वहीं वायु का रुख पूर्व दिशा में रहेगा। गुड़ में आधी रत्ती, मक्का, बाजरा, मौठ, मनुष्य, पशु व घास में पाव-पाव रत्ती की कमी दर्ज की गई है, जबकि अन्य सभी जिंसों में वृद्धि देखी गई। कपास, पीली सरसों और नमक में कोई परिवर्तन नहीं रहा।
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क्यों खास है यह परंपरा
गौरतलब है कि श्रीनाथजी मंदिर में हर वर्ष छोटे-बड़े विभिन्न पात्रों में मूंग, मक्का, बाजरा, ज्वार, तिल्ली, गेहूं सहित 27 भौतिक सामग्रियां श्रीजी के मुख्य पंड्या और खर्च भंडारी की देखरेख में तौलकर रखी जाती हैं। अगले दिन श्रावण कृष्ण प्रतिपदा को इन्हें पुनः तौलकर इनमें हुई बढ़ोतरी या कमी के आधार पर आगामी वर्ष के लिए फसलों की पैदावार, वर्षा की मात्रा, वायु का रुख, पशुओं के चारे और आपदाओं की संभावनाओं का अनुमान लगाया जाता है।
यह प्राचीन परंपरा किसानों और व्यापारियों के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। आस-पास के गांवों के किसान इस अनुमान के आधार पर अपनी फसलों की बुवाई की योजना बनाते हैं, वहीं अनाज और अन्य जिंसों के व्यापारी भी अपने स्टॉक और व्यापारिक योजना तय करते हैं।