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Sirohi News: अदालत ने धर्मांतरण और पॉक्सो मामले की लापरवाहीपूर्ण जांच को माना गंभीर, DGP को दिए यह निर्देश

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, सिरोही Published by: सिरोही ब्यूरो Updated Sat, 02 Aug 2025 07:01 PM IST
सार

Sirohi News: पॉक्सो न्यायालय ने अपनी तल्ख टिप्पणी में लिखा कि वृत्ताधिकारी मनोज कुमार गुप्ता द्वारा अनुसंधान प्रक्रिया को कानून के अनुरूप नहीं अपनाया गया, बल्कि उन्होंने स्वेच्छाचारी तरीका अपनाया जो विधि के विरुद्ध है। पढ़ें पूरी खबर...।

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Sirohi News: Court considers negligent investigation of conversion and POCSO case serious, instructions to DGP
पॉक्सो न्यायालय सिरोही ने जताई तल्खी
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विस्तार
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सिरोही की पॉक्सो न्यायालय ने पुलिस थाना अनादरा में दर्ज एक गंभीर मामले में पॉक्सो अधिनियम और धर्मांतरण जैसे आरोपों की जांच में बरती गई लापरवाही को बेहद गंभीर माना है। न्यायालय ने इस मामले में सीधे तौर पर पुलिस महानिदेशक (DGP) को निर्देश देते हुए कहा है कि रेवदर वृत्ताधिकारी मनोज कुमार गुप्ता को विधिक प्रशिक्षण दिया जाए, ताकि भविष्य में इस तरह की गंभीर चूक न हो।

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धर्मांतरण का वाट्सऐप चैट और स्क्रीनशॉट, फिर भी अधूरी जांच
मामला उस समय गंभीर हो गया जब पीड़िता के परिजनों ने आरोपी के खिलाफ नाबालिग लड़की से छेड़छाड़ और धर्मांतरण का प्रलोभन देने के आरोप लगाए। जांच के दौरान परिवादी के दामाद ने आरोपी मुश्ताक का वाट्सऐप हैक कर धर्मांतरण से जुड़ी बातचीत के स्क्रीनशॉट रेवदर वृत्ताधिकारी को भेजे थे। इसके बावजूद न्यायालय ने पाया कि जांच में केवल आरोपी पक्ष से पूछताछ की गई, जबकि न तो पीड़ित पक्ष से गहन पूछताछ की गई और न ही आरोपी के डिजिटल सबूतों की वैज्ञानिक जांच की गई। यह रवैया न्यायालय को न्यायिक प्रक्रिया के प्रति गंभीर असंवेदनशीलता प्रतीत हुआ।
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केवल आरोपी से पूछताछ पर जताई सख्त आपत्ति
न्यायालय ने अपनी टिप्पणी में स्पष्ट रूप से कहा कि पुलिस की ओर से केवल एकतरफा पूछताछ कर आरोप पत्र तैयार करना न्याय की मूल भावना के विपरीत है। पीड़ित मुश्ताक से कोई पूछताछ नहीं की गई और न ही मामले के किसी संवेदनशील पक्ष पर निष्पक्षता से कार्य किया गया। इससे यह प्रतीत होता है कि या तो वृत्ताधिकारी को आपराधिक मामलों की गंभीरता और जांच प्रक्रिया की जानकारी नहीं है, या वे स्वयं को कानून से ऊपर समझते हैं जो कि अत्यंत निंदनीय है।
 
‘कानून की प्रक्रिया का पालन नहीं’
पॉक्सो न्यायालय ने अपनी टिप्पणी में लिखा कि वृत्ताधिकारी मनोज कुमार गुप्ता द्वारा अनुसंधान प्रक्रिया को कानून के अनुरूप नहीं अपनाया गया, बल्कि उन्होंने स्वेच्छाचारी तरीका अपनाया जो विधि के विरुद्ध है। यह न केवल एक गंभीर प्रशासनिक चूक है, बल्कि इससे पीड़िता को न्याय मिलने में भी बाधा उत्पन्न हुई है।

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न्यायालय ने इस पर पुलिस महानिदेशक, राजस्थान पुलिस जयपुर को आदेश दिया है कि मनोज कुमार गुप्ता को दंडात्मक प्रावधानों और आपराधिक जांच की विधि का विशेष प्रशिक्षण प्रदान किया जाए, ताकि भविष्य में ऐसी त्रुटियां न दोहराई जाएं।
 
सुनवाई के अंत में न्यायालय ने मामले में अग्रिम अनुसंधान के निर्देश दिए हैं और स्पष्ट किया है कि इस बार जांच निष्पक्ष, व्यापक और दोनों पक्षों की समुचित सुनवाई के आधार पर होनी चाहिए।

 

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