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Rajasthan News: लोगों के घर का बचा हुआ भोजन खाने आता है भालू? माउंट आबू का अजीब मामला, छिड़ी बहस

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, सिरोही Published by: अर्पित याज्ञनिक Updated Tue, 19 Aug 2025 09:35 AM IST
सार

वन विभाग ने कहा कि खुले में फेंकी जा रही खाद्य सामग्री भालुओं के आने का प्रमुख कारण है और अपील की कि लोग खाने का कचरा खुले में न डालें। वहीं ग्रामीणों ने विभाग पर समन्वय की कमी और जिम्मेदारी से बचने का आरोप लगाया। लोगों ने कहा कि पहले वन विभाग व ग्रामीण मिलकर भालुओं को जंगल की ओर खदेड़ते थे।

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Sirohi News: How is household food responsible for the increasing movement of bears in Mount Abu
माउंटआबू में आबादी क्षेत्रों में भालुओं की बढ़ती मूवमेंट। - फोटो : freepik
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विस्तार
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हिल स्टेशन माउंटआबू में विभिन्न आबादी क्षेत्रों में भालुओं का मूवमेंट लगातार बढ़ रहा है। इससे आमजन में भय का माहौल व्याप्त हो गया है। ऐसे में किसी प्रकार की जनहानि नहीं हो जाए इसको लेकर प्रशासन एक्टिव मोड में आ गया है। इसी क्रम में उपखंड अधिकारी डॉ. अंशुप्रिया की अध्यक्षता में सोमवार को एक कार्यशाला का आयोजन हुआ। इसमें भालुओं के मूवमेंट को रोकने एवं जनसहभागिता के साथ इस समस्या के समाधान के बारे में विचार विमर्श किया गया। लोगों ने बड़े ही बेबाकी से अपना पक्ष रखा।

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कार्यशाला की उद्देश्य वन विभाग एवं आमजन में आपसी समन्वय स्थापित कर भालुओं के बढ़ते मूवमेंट एवं जनहानि को रोकना था। इसमें वन विभाग के अधिकारियों का कहना था कि कचरे में जगह-जगह बची हुई खाद्य सामग्री डाली जा रही है। इससे ही भालुओं का मूवमेंट लगातार बढ़ रहा है। उन्होंने आबादी क्षेत्रों में भालुओं के आने पर उनसे दूर रहने तथा तत्काल विभागीय प्रशासन को इसकी सूचना देने का आग्रह किया गया। इसके साथ ही बची खाद्य सामग्री को खुले में नहीं फेंका जाए इसका सबको मिलकर प्रयास करने की आवश्यकता जताई गई। 
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वन विभाग के रवैये पर जताई नाराजगी
इस दौरान लोगों का कहना था कि वन विभाग अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकता है। पहले भी भालू आबादी क्षेत्रों में आते थे, लेकिन उस दौरान वे और विभागीय कर्मचारी मिलकर वहां से वापस जंगल की ओर खदेड़ने का काम करते थे। अब आपसी समन्वय के अभाव में समस्या लगातार गंभीर हो रही है। कचरे में खाना डालने जैसी बातें करना गलत है। अभी एक मादा भालू ने ग्लोबल हॉस्पिटल के पास बच्चों को जन्म दिया है। उन्हें न तो जंगल के वातावरण का पता है और न ही वहां के खाने का। वापस जंगल में कैसे भेजा जाएगा। क्या विभागीय प्रशासन बता सकता है। इस दौरान समय समय पर इस प्रकार के आयोजनों की आवश्यकता जताई।

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