Sneha Rana: स्नेह राणा......जिसने खुद से किया था वादा, “मैं डूबने से इंकार करती हूं”
Sneha Rana Biography : स्नेह राणा की कहानी प्रेरणादायक है। चोट, पिता के निधन और आलोचनाओं के बीच खुद को फिर से गढ़ने वाली वो लड़की, जिसने अपनी कलाई पर लिखवाया “विद्रोही” और बना दी जीत की नई परिभाषा।
विस्तार
Sneha Rana Biography : जब उस लड़की से कहा गया कि “तुमसे नहीं होगा”, तो उसने झुककर हार नहीं मानी। उसने जवाब दिया, शब्दों में नहीं, कर्मों में। उसने अपनी कलाई पर खुद के नाम एक वादा लिखवा लिया, “विद्रोही”। ये सिर्फ एक टैटू नहीं था, बल्कि एक आग थी जो स्नेह राणा के अंदर जलती रही, हर बार मैदान पर उतरने, हर गिरावट से उठने और हर चोट को जीत में बदलने की।
उत्तराखंड की बेटी ने सपनों को सच बना दिया
उत्तराखंड के सीनौला गांव में जन्मी स्नेह राणा बचपन में शर्मीली थीं। खेल में रुचि थी, पर आत्मविश्वास उतना नहीं। मैच खत्म होने के बाद वह अंपायर को गेंद लौटाने में भी झिझकती थीं। लेकिन शायद तब भी उनके अंदर कोई “विद्रोही” पल रहा था जो समय के साथ दुनिया को दिखना था।
उम्मीद टूटने पर शुरू हुआ असली सफर
2016 में घुटने की गंभीर चोट के बाद डॉक्टरों ने जवाब दे दिया कि अब वापसी मुश्किल है। लोगों ने भी कहना शुरू कर दिया, कि अब तुमसे नहीं हो पाएगा। पर स्नेह राणा ने अपनी बांह पर टैटू बनवाकर जवाब दिया I refuse to sink (मैं डूबने से इंकार करती हूँ)। इस एक वाक्य ने उनके पूरे करियर की दिशा बदल दी। उन्होंने अपने दर्द को ईंधन बनाया, गेंदबाज़ी को फिर से सीखा, फिटनेस पर काम किया, और मैदान पर दोबारा लौटीं पहले से कहीं ज़्यादा मजबूत होकर।
वो टेस्ट डेब्यू जिसने इतिहास लिखा
साल 2021 में भारत और इंग्लैंड के बीच टेस्ट मैच हुआ। यह स्नेह राणा का डेब्यू था। उन्होंने पहले गेंद से चार विकेट चटकाए और फिर बल्ले से नॉट आउट 80 रन ठोके। वह भारत की पहली महिला खिलाड़ी बनीं जिसने डेब्यू टेस्ट में 4 विकेट और अर्धशतक दोनों दर्ज किए। मैदान पर वह शांत थीं, पर हर गेंद में उनके संघर्ष की गूंज थी।
पिता की याद में एक व्रत, एक तारीख
उस ऐतिहासिक मैच से सिर्फ एक महीना पहले उन्होंने अपने पिता को खो दिया था। स्नेह ने अपनी कलाई पर रोमन अंकों में उस तारीख को लिखवा लिया। दूसरे हाथ पर उन्होंने संस्कृत में लिखवाया, “तव धैर्यं तव बलम् अस्ति” यानी तुम्हारा धैर्य ही तुम्हारी ताकत है। यही धैर्य उन्हें हर बार फिर से खड़ा करता रहा।
कोलंबो की जीत और ‘विद्रोही’ का मंत्र
कोलंबो में जब टीम इंडिया ने ऐतिहासिक ODI ट्राई-सीरीज़ जीती तो स्नेह राणा ने उस जीत को अपने अंदाज़ में मनाया। उन्होंने अपनी कलाई दिखाकर कहा, “ये विद्रोह सिर्फ टैटू नहीं, मेरा वादा है खुद से।” यह वादा था कि जब तक सांस है, तब तक मैदान पर उनका जुनून जिंदा रहेगा।

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