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Rani Laksmi Bai Jayanti 2025: रानी लक्ष्मी बाई से मिली ये अनमोल प्रेरणाएं, हर महिला को लेनी चाहिए सीख

लाइफस्टाइल डेस्क, अमर उजाला Published by: शिवानी अवस्थी Updated Tue, 18 Nov 2025 01:34 PM IST
सार

Rani Laksmi Bai Jayanti 2025: लक्ष्मी बाई की कहानी सिर्फ तलवार और घोड़े की नहीं, बल्कि उस औरत के जज़्बे की है जो अपने अधिकारों की रक्षा, भारत के गौरव और स्वाभिमान को बचाने के लिए अंग्रेजी हुकूमत से भिड़ गई और अन्याय को चुनौती देकर खुद की पहचान बनाई।

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Jhansi Ki Rani Laksmi Bai Jayanti 2025 Kab Hai Know history importance and significance
रानी लक्ष्मीबाई की जयंती 2025 - फोटो : Amar ujala
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विस्तार
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Rani Laksmi Bai Jayanti 2025: भारत के इतिहास में अगर किसी एक स्त्री ने साहस, स्वाभिमान और स्वतंत्रता की लौ को अमर कर दिया तो वह हैं झांसी की वीरांगना रानी लक्ष्मी बाई। उनकी जयंती हर वर्ष 19 नवंबर को मनाई जाती है। यह वह दिन है जब भारत उनकी वीरता को याद करता है और हर महिला उनके जीवन से नई प्रेरणा पाती है। लक्ष्मी बाई की कहानी सिर्फ तलवार और घोड़े की नहीं, बल्कि उस औरत के जज़्बे की है जो अपने अधिकारों की रक्षा, भारत के गौरव और स्वाभिमान को बचाने के लिए अंग्रेजी हुकूमत से भिड़ गई और अन्याय को चुनौती देकर खुद की पहचान बनाई।

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रानी लक्ष्मी बाई की अमर गाथा


लक्ष्मी बाई का जन्म 19 नवंबर 1828 को वाराणसी में हुआ। बचपन से ही वे तीर-कमान, घुड़सवारी और तलवारबाज़ी में निपुण थीं। एक रूढ़िवादी समाज में उन्होंने वह किया जिसे लड़कियां करने की अनुमति तक नहीं पाती थीं। उन्होंने अपने जीवन को बंधनों के बजाय स्वतंत्रता की उड़ान दी। विवाह के बाद वे झांसी की रानी बनीं। लेकिन जब अंग्रेजों ने अन्यायपूर्ण तरीके से झांसी हड़पने की कोशिश की, तो एक युवा महिला ने साम्राज्य की नींव हिला देने वाला जवाब दिया कि “मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी।”

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हर महिला रानी लक्ष्मी बाई की ये सीख अपनाएं

 

  • अपने अधिकारों के लिए खड़े होना

समय कैसा भी हो, महिलाएं अक्सर अन्याय का सामना करती हैं। लक्ष्मी बाई सिखाती हैं कि अपने अधिकारों के लिए लड़ना गलत नहीं है। अधिकार मांगने से नहीं, लड़कर हासिल होते हैं।

 

  • शिक्षा ही सबसे बड़ा हथियार है

उन्होंने बचपन से युद्धकला, रणनीति और प्रशासन सब सीखा। उन्होंने रानी बनने के बाद भी अभ्यास के जरिए अपनी सीख और ज्ञान को धार दी। आधुनिक महिला के लिए यह सीख है कि ज्ञान उसे अपराजेय बनाता है। 

 

  • कमजोरी नहीं, दृढ़ता आपकी पहचान है

पति की मृत्यु और राज्य के संकट के बावजूद वे नहीं टूटीं। उनका जीवन से ये सीख मिलती है कि स्त्री टूटती नहीं, परिस्थितियों को तोड़कर आगे बढ़ती है।
 

  • साहस जन्मजात नहीं होता, अभ्यास से आता है

लक्ष्मी बाई ने तलवार चलाना सीखा, घुड़सवारी सीखी। वह जन्म से राजकुमारी या रानी नहीं थीं, लेकिन उन्होंने हर परिस्थिति के लिए खुद को तैयार किया। आज की हर महिला के लिए यह संदेश है कि कौशल से आत्मविश्वास जन्म लेता है।
 

  • मातृत्व और शक्ति एक साथ चल सकते हैं

अपने दत्तक पुत्र को पीठ पर बांधकर लड़ते हुए उन्होंने साबित किया कि मां होना किसी भी जिम्मेदारी या साहस में बाधा नहीं बल्कि शक्ति का स्रोत है। आज की महिला जो मां बनने के बाद सिर्फ परिवार तक सीमित हो जाती हैं, उनके लिए अपने सपनों, कर्तव्यों और मातृत्व को साथ संभालना कठिन नहीं है।
 

  • स्वतंत्र सोच ही सबसे बड़ा विद्रोह है

लक्ष्मीबाई सामाजिक बंधनों से नहीं डरीं। आज भी महिलाओं के लिए यह ज़रूरी है कि वे अपनी सोच, निर्णय और सपनों को किसी के डर से कुर्बान न करें।
 

  • हर स्त्री में एक योद्धा छिपा है

लक्ष्मी बाई का जीवन महिलाओं को यह याद दिलाता है कि शक्ति बाहर नहीं, भीतर जन्म लेती है। उनकी कहानी से ये सीख मिलती है कि सामाजिक बाधाओं, राजनीति और युद्ध को पार कर आज की महिला कार्यस्थल, रिश्तों और अपने सपनों को पूरा कर सकती हैं।

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