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Remya Jose Innovation: 14 साल की लड़की जिसने बना डाली बिना बिजली चलने वाली वॉशिंग मशीन
लाइफस्टाइल डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: शिवानी अवस्थी
Updated Thu, 07 Aug 2025 05:44 PM IST
सार
Remya Jose Innovation: रेम्या ने ऐसी मशीन बनाई जो न सिर्फ पर्यावरण के अनुकूल थी, बल्कि गरीब तबके के लिए एक वरदान बन गई। रेम्या जोस की कहानी बताती है कि जरूरत ही अविष्कार की जननी होती है और अगर इरादा मजबूत हो तो कोई भी बाधा रास्ता नहीं रोक सकती। आइए जानते हैं रम्या जोस की कहानी।
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रेम्या जोस
- फोटो : Instagram
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विस्तार
Remya Jose Innovation: जहां आज भी कई गांवों में बिजली नहीं पहुंची है, वहीं एक लड़की ने उस वक्त ऐसी खोज कर डाली जो पूरे देश के लिए प्रेरणा बन गई। हम बात कर रहे हैं केरल की रेम्या जोस की, जिन्होंने सिर्फ 14 साल की उम्र में पेडल से चलने वाली वॉशिंग मशीन (Pedal-Powered Washing Machine) बना दी, जो कि बिना बिजली के चलती है। जब एक ओर बच्चे परीक्षा की तैयारी में लगे होते हैं, उस उम्र में रेम्या ने ऐसी मशीन बनाई जो न सिर्फ पर्यावरण के अनुकूल थी, बल्कि गरीब तबके के लिए एक वरदान बन गई। रेम्या जोस की कहानी बताती है कि जरूरत ही अविष्कार की जननी होती है और अगर इरादा मजबूत हो तो कोई भी बाधा रास्ता नहीं रोक सकती। आइए जानते हैं रम्या जोस की कहानी।
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रेम्या जोस कौन हैं?
रेम्या जोस, केरल के मलप्पुरम जिले की रहने वाली हैं। कीझत्तूर पंचायत क्षेत्र की रेम्या जब हाईस्कूल में पढ़ती थीं, तभी उनकी मां बीमार हो गईं तो घरेलू कामों की जिम्मेदारी उनपर और उनकी बहन पर आ गई। रेम्या कपड़े धुलने के लिए पास की नदी पर जाया करती थीं। वह इस काम को आसान बनाना चाहती थीं लेकिन वह जानती थीं कि उनके परिवार के लिए एक वाॅशिंग मशीन खरीदना आसान नहीं है। घर में बिजली की आपूर्ति सीमित थी और पिता पर बिजली के बिल का बोझ भी नहीं बढ़ाना चाहती थीं। इसी जरूरत ने उन्हें एक इनोवेशन की तरफ मोड़ा।
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उन्होंने रिसर्च करना शुरू किया कि एक वाॅशिंग मशीन कैसे काम करती है। रेम्या ने खुद ही एक ऐसी वाशिंग मशीन बनाई जो पैडल से चलती हो और जिसके लिए बिजली की जरूरत न पड़े। उनके पिता ने मशीन के पार्ट्स की खोज में रेम्या का साथ दिया और स्थानीय आटो शाॅप में मशीन बनाने में मदद की। पिता की मदद से रेम्या ने महज 14 साल की उम्र में एक ऐसी साइकिल आधारित वॉशिंग मशीन तैयार की, जिसे सिर्फ पैडल मारकर चलाया जा सकता था।
पेडल वॉशिंग मशीन का आविष्कार कैसे हुआ?
इस मशीन की खासियत यह थी कि यह बिना बिजली के काम करती थी। रेम्या ने एक पुरानी साइकिल के फ्रेम, ड्रम, और कुछ लोकल मटेरियल का उपयोग करके मशीन बनाई, जो साइकिल चलाने के दौरान कपड़े धो देती थी। यह एक सस्ता, सुलभ और टिकाऊ समाधान था, खासकर ग्रामीण भारत के लिए।
रेम्या जोस की उपलब्धियां और सम्मान
इस इनोवेशन के लिए रेम्या को नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन (NIF) ने सम्मानित किया। 18 साल की उम्र में रेम्या को भारतीय राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया था। देश-विदेश में उनके आविष्कार की सराहना हुई और उन्हें Women Innovator के रूप में पहचाना जाने लगा। आज उनकी मशीन कई संस्थानों में इको-फ्रेंडली प्रोजेक्ट्स के रूप में भी उपयोग की जाती है। वर्तमान में रेम्या सीरियल इन्वेंटर के तौर पर भारत की नेशनल फाउंडेशन में काम कर रही हैं। उनका लक्ष्य ऐसी मशीन बनाना है तो ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की सहायता कर पाए।

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