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हिमाचल: आपदा के बाद अब कृषि-बागवानी, पर्यटन पर सूखे की मार, बर्फबारी नहीं होने से गिरेगा सेब उत्पादन

अमर उजाला ब्यूरो, शिमला Published by: Krishan Singh Updated Wed, 17 Jan 2024 10:37 AM IST
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सार

दिसंबर और 15 जनवरी से पहले बर्फबारी न होने से बगीचों के बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। अगर जनवरी का पूरा महीना सूखा जाता है तो इस साल सेब की फसल टूटने का भी खतरा है।

Apple production likely to fall in Himachal due to lack of snowfall in January
हिमाचली सेब - फोटो : अमर उजाला
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बरसात में आई आपदा के बाद अब कृषि-बागवानी और पर्यटन कारोबार पर सूखे की मार पड़ी है। दिसंबर के बाद जनवरी में भी अभी तक बर्फबारी और बारिश नहीं हुई है। ऐसे में सेब उत्पादन गिरने के आसार बन गए हैं। सूखे की स्थिति से प्रदेश की 6000 करोड़ की सेब आर्थिकी पर संकट के बादल छा गए हैं। चिलिंग ऑवर पूरे न होने से फ्लावरिंग प्रभावित होने की संभावना है। दिसंबर और 15 जनवरी से पहले बर्फबारी न होने से बगीचों के बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर बर्फबारी नहीं हुई तो सेब उत्पादन 50 फीसदी तक गिर सकता है। दिसंबर और जनवरी की शुरुआत में होने वाली बर्फबारी से सेब के बगीचों में कीट-पतंगे मर जाते हैं, जिससे बीमारियों को खतरा कम हो जाता है।

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बर्फबारी न होने से इस साल सेब में अधिक बीमारियां फैलने का खतरा है। 15 जनवरी के बाद तापमान में बढ़ोतरी से चिलिंग ऑवर्स पूरे होने में समस्या पेश आ सकती है। तापमान 7 डिग्री से नीचे आने पर चिलिंग ऑवर्स शुरू होते हैं। सेब की विभिन्न किस्मों के लिए अलग-अलग चिलिंग ऑवर्स की जरूरत रहती है। आमतौर पर सामान्य फसल के लिए 1000 से 1600 घंटे चिलिंग ऑवर्स की जरूरत रहती है। स्पर और गाला किस्मों के लिए 700 से 900 घंटे, जबकि गुठलीदार फलों के लिए 300 से 500 घंटे चिलिंग ऑवर्स जरूरी होते हैं। चिलिंग ऑवर्स पूरे न होने से असामान्य फ्लावरिंग का खतरा है, जिससे फसल को भारी नुकसान हो सकता है।
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किस किस्म के लिए कितने चाहिए चिलिंग ऑवर
आमतौर पर सामान्य फसल के लिए 1000 से 1600 घंटे चिलिंग ऑवर की जरूरत रहती है। स्पर और गाला किस्मों के लिए 700 से 900 घंटे, जबकि गुठलीदार फलों के लिए 300 से 500 घंटे चिलिंग ऑवर जरूरी होते हैं। चिलिंग ऑवर पूरे न होने से असामान्य फ्लावरिंग का खतरा है, जिससे फसल को भारी नुकसान हो सकता है।

सूखे से सब्जियों और गेहूं को भारी नुकसान
लगातार सूखे और बारिश न होने के कारण प्रदेश में सब्जियों और गेहूं की फसल को भी भारी नुकसान हुआ है। मटर की फसल 40 से 60 फीसदी तक सूख गई है। किसान आलू की बिजाई नहीं कर पा रहे। गेहूं और जौ की फसल पीली पड़ गई है। लहसुन और प्याज पर भी सूखे की मार पड़ रही है।
 

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कृषि विशेषज्ञ देवेंद्र शर्मा। - फोटो : अमर उजाला
सेब उत्पादन प्रभावित होना तय : देवेंद्र शर्मा
जाने-माने कृषि विशेषज्ञ देवेंद्र शर्मा का कहना है कि हिमाचल, कश्मीर और उत्तराखंड में बर्फबारी नहीं हो रही। पीर पंजाल और धौलाधार पर्वत मालाओं पर भी बर्फ नहीं गिर रही। सेब और अन्य गुठलीदार फलों को इससे भारी नुकसान हो सकता है। चिलिंग ऑवर पूरे न होने से इस साल सेब का उत्पादन प्रभावित होना तय है। 

बीमारियों से फसल को अधिक नुकसान : हरीश
संयुक्त किसान मंच के संयोजक हरीश चौहान ने कहा कि समय पर बर्फबारी न होने से प्रदेश में इस साल सेब का उत्पादन गिर सकता है। चिलिंग ऑवर प्रभावित होने से फ्लावरिंग पर असर पड़ने का खतरा है। बीमारियों से भी फसल को अधिक नुकसान हो सकता है।

सूखे से सब्जियों और गेहूं को भारी नुकसान
लगातार सूखे और बारिश के कारण प्रदेश में सब्जियों और गेहूं की फसल को भी भारी नुकसान हुआ है। मटर की फसल 40 से 60 फीसदी तक सूख गई है। किसान आलू की बिजाई नहीं कर पा रहे। गेहूं और जौ पीली पड़ गई है। लहसुन और प्याज पर भी सूखे की मार पड़ रही है।
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