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टमाटर पांच रुपये किलो: किसान ने मजबूरी में जोतवा दी फसल, कहा- इस बार लागत भी नहीं निकल रही
संवाद न्यूज एजेंसी, बदायूं
Published by: मुकेश कुमार
Updated Mon, 17 Feb 2025 01:15 PM IST
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सार
बदायूं में किसानों के लिए इस बार टमाटर की फसल घाटे का सौदा साबित हुई। थोक भाव गिरकर पांच रुपये प्रतिकिलो हो गया। इससे किसानों की लागत तक नहीं निकल पा रही है। इससे परेशान एक किसान ने टमाटर की फसल को जोतवा दिया।

किसान ने जोत दी टमाटर की फसल
- फोटो : अमर उजाला

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विस्तार
किसानों के लिए इस बार टमाटर की खेती घाटे का सौदा साबित हो रही है। बदायूं में टमाटर का भाव गिरकर पांच रुपये प्रतिकिलो आ गया है। अब हाल यह है कि खेत से टमाटर निकालकर बाजार तक लाने का भाड़ा तक नहीं निकल पा रहा। परेशान किसान महावीर ने रविवार को अपनी फसल ट्रैक्टर से जोतवा दी।
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टमाटर की ऐसी बेकदरी पिछले कई साल में देखने को नहीं मिली। सब्जियों के थोक व्यापारी पंखा रोड निवासी अमर सिंह बताते हैं कि टमाटर का थोक भाव इस महीने तेजी से गिरा है। शादियों के सीजन में थोक भाव गिरकर पांच रुपये प्रतिकिलो हो गया है। भाव इतना गिर जाएगा, इसकी उम्मीद व्यापारियों को भी नहीं थी।
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थोक मंडी में मांग कम होने से किसान खेत से निकालकर मंडी तक टमाटर नहीं ला रहा। वजह यह है कि उसकी लागत भी नहीं निकल रही। दाम बढ़ने की कोई उम्मीद न देख किसान परेशान हैं। खेत भी घिरा हुआ है। ऐसे में किसानों के पास खेतों को ट्रैक्टर से जोतवाने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं।
भिलौलिया के चंद्रपाल और अचौरा के श्यामपाल की तरह ही बिल्सी, बिसौली, वजीरगंज के भी कई किसानों ने खेत में फसल उजाड़ डाली। टमाटर उजाड़ने के बाद किसान अगेती मक्का के लिए खेत तैयार करने में जुट गए हैं।
फुटकर में 15 रुपये किलो मिल रहा टमाटर
थोक में जबरदस्त गिरावट के बाद भी टमाटर फुटकर में करीब 15 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। गली-मोहल्लों में अच्छी गुणवत्ता के टमाटर को ठेलों पर रखकर बेचने के लिए फुटकर सब्जी विक्रेता निकल पड़ते हैं। स्टेशन रोड पर ठेले पर टमाटर बेचते मिले सौदान ने बताया कि थोक में वह पांच रुपये किलो टमाटर लाते जरूर हैं, लेकिन छंटनी के बाद खराब टमाटर फेंकने पड़ जाते हैं। ऐसे में 15 रुपये प्रति किलो बेचकर वह पूरे दिन में दो-तीन सौ रुपये ही बचा पाते हैं।
थोक में जबरदस्त गिरावट के बाद भी टमाटर फुटकर में करीब 15 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। गली-मोहल्लों में अच्छी गुणवत्ता के टमाटर को ठेलों पर रखकर बेचने के लिए फुटकर सब्जी विक्रेता निकल पड़ते हैं। स्टेशन रोड पर ठेले पर टमाटर बेचते मिले सौदान ने बताया कि थोक में वह पांच रुपये किलो टमाटर लाते जरूर हैं, लेकिन छंटनी के बाद खराब टमाटर फेंकने पड़ जाते हैं। ऐसे में 15 रुपये प्रति किलो बेचकर वह पूरे दिन में दो-तीन सौ रुपये ही बचा पाते हैं।
प्रति बीघा लागत तीन हजार, घाटा डेढ़ हजार रुपये का
टमाटर की खेती पर लागत कम नहीं आती। प्रति बीघा करीब तीन हजार रुपये तक लागत आई है। अगेती फसल का भाव थोक में भले ही 20 रुपये प्रतिकिलो रहा था, लेकिन पिछले दिनों मंडी में टमाटर की आवक बढ़ी तो चार-पांच दिन से बाहर के व्यापारी भी खरीदारी करने नहीं आ रहे हैं। घाटा 1500 रुपये बीघा का है।
टमाटर की खेती पर लागत कम नहीं आती। प्रति बीघा करीब तीन हजार रुपये तक लागत आई है। अगेती फसल का भाव थोक में भले ही 20 रुपये प्रतिकिलो रहा था, लेकिन पिछले दिनों मंडी में टमाटर की आवक बढ़ी तो चार-पांच दिन से बाहर के व्यापारी भी खरीदारी करने नहीं आ रहे हैं। घाटा 1500 रुपये बीघा का है।
रेहड़िया के किसान राकेश मौर्य ने बताया कि करीब चार बीघा खेत में टमाटर उगाया था। पौधे लगाने के बाद सिंचाई, निराई के अलावा कीटनाशक के रूप में खर्चे के साथ लागत प्रति बीघा करीब तीन हजार रुपये आई थी, लेकिन वह इस सीजन में पूरे खेत से करीब सात हजार रुपये का टमाटर ही बेच पाए। अब तो फसल भी जोत डाली है।
अचौरा के मोरपाल ने कहा कि टमाटर की खेती करके उन्होंने करीब पांच हजार रुपये का नुकसान उठाया है। अपनी मेहनत मिलाकर लागत निकली तो हिसाब लगाना भी मुश्किल हो जाता है। उन्हें तो गोभी की फसल भी खेत में ही उजाड़नी पड़ गई थी। टमाटर में पिछले साल तो कुल मिलाकर बराबरी पर छूट गए थे।