UP: सरकार की मक्का खरीद योजना में शामिल नहीं हुआ शाहजहांपुर, किसान मायूस, बोले- इस बार हो रहा नुकसान
शाहजहांपुर के पुवायां क्षेत्र में पिछले साल के मुकाबले इस बार मक्के का क्षेत्रफल बढ़ा है, लेकिन जिले में सरकारी क्रय केंद्र नहीं बनाए गए हैं। इससे मक्के का वाजिब रेट न मिलने से किसान मायूस हैं।

विस्तार
शाहजहांपुर के पुवायां क्षेत्र में बीते वर्ष मक्के की फसल में किसानों को बड़ा लाभ होने के बाद किसानों ने मक्के का क्षेत्रफल बढ़ा दिया है। मौसम की मार के कारण फसल ठीक से नहीं तैयार हो सकी और बड़ी कंपनियों ने खरीद में दिलचस्पी नहीं दिखाई। इससे सरकारी खरीद में भी शाहजहांपुर चयनित नहीं हो सका। नतीजा हुआ कि मक्के के रेट बेहद कम मिल रहे हैं।

पुवायां तहसील क्षेत्र में गिरते भू-गर्भ जलस्तर पर रोक लगाने के लिए प्रशासन ने साठा धान पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बाद किसानों ने आलू के खेत खाली होने पर साठा धान का विकल्प तलाशना शुरू किया और मक्का इसके लिए मुफीद साबित हुआ। वर्ष 2023 में प्रयोग के तौर पर कई किसानों ने मक्का बोया था, तब खास लाभ नहीं हुआ लेकिन खेत खाली रखने से अच्छा मक्का से मामूली लाभ भी किसानों को पसंद आया था। वर्ष 2024 में मक्का का क्षेत्रफल बढ़कर 4925 एकड़ हो गया था। रेट भी अच्छे मिलने से किसानों को बड़ा लाभ हुआ था। कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, इस बार मक्का लगभग 13332 एकड़ में बोया गया है।
मक्का खरीद की सरकारी दर
प्रदेश भर में 22 जिलों में मक्का 2225 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर खरीदने के आदेश हुए हैं, लेकिन इसमें शाहजहांपुर शामिल नहीं है। आढ़तों पर मक्का 11 से 12 सौ रुपये प्रति क्विंटल ही बिक रहा है। पिछले वर्ष आढ़तों पर मक्का 16 से 18 सौ रुपये प्रति क्विंटल बिका था। रेट कम मिलने से किसान परेशान हैं।
डिप्टी आरएमओ राकेश मोहन पांडे ने बताया कि मक्का खरीद के संबंध में जिले से रिपोर्ट मांगी गई थी, रकबा कम पाए जाने के कारण शाहजहांपुर मक्का की सरकारी खरीद के लिए चयनित नहीं हो सका। जिन जिलों में सरकारी खरीद होनी है, उसका मानक है कि नमी 12 प्रतिशत ही होनी चाहिए। शाहजहांपुर में किसान जो मक्का बेच रहे हैं उसमें कई बार 50 प्रतिशत तक नमी होती है। 15 प्रतिशत से कम नमी वाला मक्का आढ़तों पर भी दो हजार रुपये प्रति क्विंटल के आसपास बिक रहा है।
यह भी पढ़ें- बुलंदशहर कार हादसा: 'अल्लाह तूने ये क्या किया...', निदा-तंजील के निकाह और मौत की तारीख 18; पांच जिंदा जले
अधिकारी नहीं बता सके, कितना क्षेत्रफल होने पर होता है सरकारी खरीद का फैसला
मक्का का क्षेत्रफल कितना होने पर सरकारी खरीद के लिए जिले का चयन होता है, अधिकारियों के पास इसका जवाब नहीं है। इससे साफ है कि जिले को मक्का खरीद में चयनित कराने के गंभीर प्रयास ही नहीं किए गए हैं। डिप्टी आरएमओ का कहना है कि इसं संबंध में जिला कृषि अधिकारी ही बता सकते हैं, वहीं जिला कृषि अधिकारी तीन बार बात करने के बाद भी यह जानकारी नहीं दे सके कि मक्का की सरकारी खरीद के लिए कितना क्षेत्रफल होना चाहिए। बाद में उन्होंने कॉल रिसीव करना ही बंद कर दिया।
मौसम की मार, फसल में नमी, कंपनियों ने बनाई खरीद से दूरी
मक्का का ऍथेनाल बनाने सहित बहुपयोगी होने के कारण मांग बढ़ी है। इस कारण मक्का अच्छे रेट पर बिक जाता है। खाद्य पदार्थ बनाने वाली गई कंपनियां भी मक्का अच्छे रेट पर खरीद लेती हैं। किसानों के अनुसार, मक्का की फसल अच्छी हो। इसके लिए जरूरी है कि मौसम साथ दे। पछुआ हवा चलती रहे और मौसम शुष्क रहे तो मक्का ठीक से होता है, लेकिन इस बार पुरवा हवा ज्यादा चली, बीच-बीच में बारिश भी होती रही, जिस कारण मक्का की फसल ठीक से नहीं तैयार हो सकी।
उधर देरी से पकने के कारण धान की मुख्य फसल में देरी होते देख किसानों ने नमी होने के बाद भी मक्का कटवाना शुरू कर दिया। गुणवत्ता ठीक न होने और ज्यादा नमी के कारण बड़ी कंपनियों ने मक्का खरीद के लिए अन्य जिलों का रुख कर लिया है। कुछ शराब कंपनियां और एथेनाल कंपनियां ही मक्का खरीद रहीं हैं।
पिछले वर्ष से 20 हजार रुपये प्रति एकड़ का नुकसान
मक्का गत वर्ष प्रति एकड़ 60 से 65 क्विंटल निकला था। अच्छे रेट मिलने से मक्का प्रति एकड़ 90 हजार से एक लाख रुपये का निकला था। इस बार भी मक्का 60 से 65 क्विंटल प्रति एकड़ निकल रहा है, लेकिन रेट 11 से 12 सौ रुपये प्रति क्विंटल रह जाने से औसतन प्रति एकड़ 70 हजार रुपये ही मिल रहे हैं। व्यापारी अनूप गुप्ता ने बताया कि बड़ी कंपनियां देशी मक्का खरीदने पर जोर देती हैं, जबकि पुवायां क्षेत्र में ज्यादातर किसानों ने हाइब्रिड मक्का तैयार किया है।
इस साल हो रहा नुकसान
बरौना फार्म पुवायां के किसान दलजीत सिंह ने कहा कि सेंटर लगने से किसानों को मक्का का अच्छा रेट मिल सकता था। पिछले वर्ष से कम रेट पर मक्का बिकने से नुकसान हो रहा है।
गुटैया के किसान सुखदेव सिंह ने कहा कि पुवायां मक्का का हब बन चुका है। यहां लगभग 5333 हेक्टेयर में मक्का हुआ है, लेकिन सरकारी खरीद न होने से मक्का कम रेट में बेचने पर मजबूर होना पड़ रहा है। एक सेंटर जरूर लगना चाहिए था।
किसान जगजीत सिंह ने कहा कि सरकार को मक्का करने वाले किसानों को प्रोत्साहन देना चाहिए। शाहजहांपुर में भी सरकारी खरीद होनी चाहिए, इससे किसान को उपज के ठीक दाम मिल सकेंगे।
जिला कृषि अधिकारी विकास कुमार ने कहा कि मक्का की सरकारी खरीद के लिए डिप्टी आरएमओ से लगातार बात हो रही थी। मक्का की सरकारी खरीद के लिए शाहजहांपुर चयनित क्यों नहीं हुआ है, इसकी जानकारी की जाएगी।