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छात्र संघ चुनाव पर प्रतिबंध अधिकारों का हनन : ठाकुर
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एसएफआई नेता ने सरकार पर साधा निशाना
बोले, छात्रों की आवाज दबाना चाहते हैं सरकार और विवि प्रबंधन
अमर उजाला ब्यूरो
शिमला। स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के प्रदेश अध्यक्ष अनिल ठाकुर ने कहा कि प्रदेश सरकार और विवि प्रशासन छात्र संघ चुनाव बहाल न कर लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि विवि प्रशासन ने मेरिट आधार पर एससीए मनोनयन की प्रक्रिया को 25 सितंबर के बीच पूरा करने की अधिसूचना जारी कर दी है। वर्ष 2013 में कॉलेज और विवि में अंतिम बार हुए एससीए चुनाव के बाद से आज तक चुनाव नहीं हुए। हिंसा की छिटपुट घटनाओं को हवाला देकर चुनाव को बंद करवाया गया है। प्रदेश सरकार छात्रों से अपने प्रतिनिधियों के चुनने के अधिकार को छीन रही है।
उन्होंने कहा कि इसका मकसद शिक्षा क्षेत्र में हो रहे घपलों और गड़बड़ियों पर उठने वाली आवाज को दबाना है। यह सीधे तौर पर तानाशाही है। अनिल ठाकुर ने कहा कि फीस वृद्धि, विभागों की उपेक्षा, फर्जी पीएचडी दाखिले और शिक्षकों तथा कर्मचारियों के खाली पदों को भरने में गड़बड़ियां हो रही हैं। विश्वविद्यालय की शैक्षणिक स्थिति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ ) में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की रैंकिंग लगातार गिर रही है। इस हालात में छात्रों से उनके लोकतांत्रिक अधिकार छीनना न केवल छात्र विरोधी है बल्कि संविधान के मूल सिद्धांतों पर भी हमला है।अनिल ठाकुर ने प्रदेश सरकार से छात्र संघ चुनाव बहाल करने की मांग की है। इसके साथ नए छात्रावासों का निर्माण करने, रिक्त शिक्षकों और गैर-शिक्षकों के पदों को शीघ्र भरने, फर्जी पीएचडी दाखिलों को रद्द करना, सब्सिडाइज्ड सीटों में वृद्धि करने का आग्रह भी किया।

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बोले, छात्रों की आवाज दबाना चाहते हैं सरकार और विवि प्रबंधन
अमर उजाला ब्यूरो
शिमला। स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के प्रदेश अध्यक्ष अनिल ठाकुर ने कहा कि प्रदेश सरकार और विवि प्रशासन छात्र संघ चुनाव बहाल न कर लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि विवि प्रशासन ने मेरिट आधार पर एससीए मनोनयन की प्रक्रिया को 25 सितंबर के बीच पूरा करने की अधिसूचना जारी कर दी है। वर्ष 2013 में कॉलेज और विवि में अंतिम बार हुए एससीए चुनाव के बाद से आज तक चुनाव नहीं हुए। हिंसा की छिटपुट घटनाओं को हवाला देकर चुनाव को बंद करवाया गया है। प्रदेश सरकार छात्रों से अपने प्रतिनिधियों के चुनने के अधिकार को छीन रही है।
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उन्होंने कहा कि इसका मकसद शिक्षा क्षेत्र में हो रहे घपलों और गड़बड़ियों पर उठने वाली आवाज को दबाना है। यह सीधे तौर पर तानाशाही है। अनिल ठाकुर ने कहा कि फीस वृद्धि, विभागों की उपेक्षा, फर्जी पीएचडी दाखिले और शिक्षकों तथा कर्मचारियों के खाली पदों को भरने में गड़बड़ियां हो रही हैं। विश्वविद्यालय की शैक्षणिक स्थिति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ ) में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की रैंकिंग लगातार गिर रही है। इस हालात में छात्रों से उनके लोकतांत्रिक अधिकार छीनना न केवल छात्र विरोधी है बल्कि संविधान के मूल सिद्धांतों पर भी हमला है।अनिल ठाकुर ने प्रदेश सरकार से छात्र संघ चुनाव बहाल करने की मांग की है। इसके साथ नए छात्रावासों का निर्माण करने, रिक्त शिक्षकों और गैर-शिक्षकों के पदों को शीघ्र भरने, फर्जी पीएचडी दाखिलों को रद्द करना, सब्सिडाइज्ड सीटों में वृद्धि करने का आग्रह भी किया।