दुनिया के सबसे ऊंचे पोलिंग बूथ पर -8 डिग्री तापमान में भी बंपर वोटिंग
समय सुबह करीब नौ बजे। तापमान माइनस आठ डिग्री। बर्फीली हवा सरसरा रही है। लोग ऊनी कपड़े पहन कर धीरे-धीरे पोलिंग बूथ की तरफ बढ़ रहे हैं। ठंड के कारण आसपास पानी के स्रोत जमकर बर्फ में तबदील हो चुके हैं। मतदान कर्मी वोटरों का इंतजार कर रहे हैं। जैसे ही सबसे पहले 29 वर्षीय नवांग फुंचोग को देखा तो मतदान कर्मियों के चेहरे खिल गए।
यह नजारा रहा दुनिया के सबसे ऊंचे मतदान केंद्र हिक्किम का। अमर उजाला टीम सुबह साढ़े आठ बजे ही समुद्र तल से लगभग 14567 फुट की ऊंचाई पर लाहौल-स्पीति के हिक्किम पोलिंग बूथ पहुंच गई थी। कड़ाके की ठंड के कारण लोग यहां 8 के बजाय 9 बजे वोट डालने पहुंचे। नवांग फुंचोग ने यहां सबसे पहले सुबह 9:05 बजे वोट डाला।
महिलाओं में 20 साल की देकिद डोलमा वोट डालने सबसे आगे रही। देकिद ने पहली बार वोट डाला। माइनस तापमान के कारण पोलिंग बूथ पर तैनात कर्मी भी ठंड से ठिठुरते नजर आए। आदर्श मतदान केंद्र घोषित होने से चुनाव आयोग ने बूथ को गुब्बारों और फूलों से सजाया है। हालांकि, यहां के लोग मतदान में मैदानी क्षेत्रों से आगे रहे। यहां 84 फीसदी वोट पड़े।
ग्रामीणों में रहा गजब का उत्साह
आसमान में जैसे-जैसे सूरज चढ़ता गया वोटरों की लाइनें लगने लगीं। लोग पारंपरिक परिधानों में मतदान केंद्र पहुंचे। युवाओं की एक टोली ने मतदान के लिए पहुंचने वाले हर मतदाता का पवित्र सफेद पटके खतग पहना कर अभिनंदन किया। 87 साल के दावा छोजंग हिक्किम पोलिंग बूथ में सबसे उम्रदराज मतदाता हैं।
हिक्किम में कुल 194 मतदाता हैं जिन में 105 पुरुष और 89 महिला वोटर हैं। एडीसी काजा हालात का जायजा लेने खुद सुरक्षा काफिले के साथ हिक्किम पहुंचे। पोलिंग बूथ में तैनात प्रिजाइडिंग अफसर रमेश कुमार ने बताया कि तापमान शून्य से नीचे होने के कारण कमरे से बाहर निकलना मुश्किल हो रहा है, लेकिन ग्रामीणों में गजब का उत्साह रहा।
उनकी टीम 7 नवंबर शाम को हिक्किम पहुंच गई थी। जिला निर्वाचन अधिकारी एवं उपायुक्त देवा सिंह नेगी ने बताया कि हिक्किम में चुनाव आयोग की तरफ से विशेष इंतजाम किए गए। पोलिंग बूथ में मोबाइल और इंटरनेट सेवा उपलब्ध नहीं होने से सेटेलाइट फोन की व्यवस्था की गई है।
यहां न टेलीफोन न इंटरनेट सुविधा
दुनिया के सबसे ऊंचे मतदान केंद्र में टेलीफोन और इंटरनेट की सुविधा नहीं है। लोगों को मोबाइल फोन करने के लिए 5 किमी दूर किब्बर का रुख करना पड़ता है।
गांव में हाई स्कूल तो खुला है, लेकिन अध्यापकों की कमी के कारण बच्चों को बेहतर शिक्षा नहीं मिल पा रहा है।
पेयजल सबसे बड़ी समस्या है। सर्दियों में पाइपों में पानी जमने से ग्रामीणों को कई किमी दूर पीठ पर पानी ढोना पड़ता है।