{"_id":"691f2934dc94ba2b63086d14","slug":"hp-high-court-said-arrests-are-not-illegal-if-the-grounds-of-arrest-are-not-given-in-writing-2025-11-20","type":"feature-story","status":"publish","title_hn":"HP News: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा- पकड़े जाने के आधार लिखित में न बताने पर गिरफ्तारियां अवैध नहीं","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
HP News: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा- पकड़े जाने के आधार लिखित में न बताने पर गिरफ्तारियां अवैध नहीं
संवाद न्यूज एजेंसी, शिमला।
Published by: अंकेश डोगरा
Updated Fri, 21 Nov 2025 05:00 AM IST
सार
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में 29 याचिकाकर्ताओं ने अपनी गिरफ्तारी को अवैध बताते हुए रिहाई की मांग की थी, उनका तर्क था कि गिरफ्तारी के समय उन्हें इसके कारण नहीं बताए गए, जो संविधान के अनुच्छेद 22(1) का उल्लंघन है। पढ़ें पूरी खबर...
विज्ञापन
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट
- फोटो : अमर उजाला नेटवर्क
विज्ञापन
विस्तार
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने उन सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है, जिसमें याचिकाकर्ताओं ने दावा किया था कि उनकी गिरफ्तारी संविधान के अनुच्छेद 22(1) का उल्लंघन करते हुए अवैध थी, क्योंकि उन्हें गिरफ्तारी के आधार तत्काल लिखित में नहीं बताए गए थे। न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि याचिकाकर्ताओं की गिरफ्तारी को अवैध नहीं ठहराया जा सकता। हाल ही में आए सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले को भविष्य में लागू माना गया है। अदालत में 29 याचिकाकर्ताओं ने अपनी गिरफ्तारी को अवैध बताते हुए रिहाई की मांग की थी, उनका तर्क था कि गिरफ्तारी के समय उन्हें इसके कारण नहीं बताए गए, जो संविधान के अनुच्छेद 22(1) का उल्लंघन है।
Trending Videos
उच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले मिहिर राजेश शाह बनाम महाराष्ट्र राज्य और अन्य का उल्लेख किया। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी के आधारों की सूचना देना सभी अपराधों और सभी कानूनों के तहत अनिवार्य किया है। गिरफ्तारी के आधार लिखित रूप में और उस भाषा में बताए जाने चाहिए जिसे गिरफ्तार व्यक्ति समझता हो। यदि तुरंत लिखित में बताना संभव न हो, तो मौखिक रूप से बताया जाए, लेकिन मैजिस्ट्रेट के सामने रिमांड के लिए पेश करने से कम से कम दो घंटे पहले लिखित आधार उपलब्ध कराए जाने चाहिए। इन निर्देशों का पालन न होने पर गिरफ्तारी और बाद का रिमांड अवैध हो जाएगा और व्यक्ति रिहा होने का हकदार होगा।
विज्ञापन
विज्ञापन
हाईकोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि सुप्रीम कोर्ट ने मिहिर शाह मामले में स्पष्ट रूप से कहा है कि पहले गिरफ्तारी के आधारों को लिखित रूप में देना बाध्यकारी आवश्यकता नहीं थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्देशों को अब से गिरफ्तारियों पर लागू करने का फैसला किया है। अदालत ने कहा कि चूंकि याचिकाकर्ताओं की गिरफ्तारियां सुप्रीम कोर्ट के इस नए निर्णय से पहले हुई थी, इसलिए उनकी गिरफ्तारी को शीर्ष अदालत के फैसले में निर्धारित किए गए नए कड़े मानदंडों के आधार पर अवैध नहीं कहा जा सकता। इसी आधार पर सभी याचिकाएं खारिज कर दी गईं।