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हिमाचल: पहली बार आदि महोत्सव का आगाज, तकनीकी शिक्षा मंत्री मारकंडा ने लाहौल में किया शुभारंभ
अमर उजाला ब्यूरो, केलांग
Published by: अरविन्द ठाकुर
Updated Sat, 20 Nov 2021 08:40 PM IST
सार
तकनीकी शिक्षा मंत्री डॉ. रामलाल मारकंडा ने कहा कि जनजातीय अधिकारों के संघर्ष में बिरसा मुंडा को जनजातीय समुदाय के नायक के रूप जाना जाता है। जनजातीय समुदाय में उन्हें भगवान का दर्जा दिया गया है।
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आदि महोत्सव में पहुंचे तकनीकी शिक्षा मंत्री डॉ. रामलाल मारकंडा।
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
बिरसा मुंडा की स्मृति में पहली बार हिमाचल के जनजातीय क्षेत्रों में आदि महोत्सव मनाया जा रहा है। किन्नौर में इसका शुभारंभ सीएम जयराम ठाकुर और लाहौल-स्पीति में तकनीकी शिक्षा मंत्री डॉ. रामलाल मारकंडा ने किया। शनिवार को लाहौल की दुर्गम मयाड़ घाटी के तिंरगेट गांव में डॉ. मारकंडा ने आदि महोत्सव का शुभारंभ किया।
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मारकंडा ने बिरसा मुंडा के छायाचित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उनके संघर्षों को नमन किया। यह महोत्सव पूरे देशभर में 16 से 30 नवंबर तक मनाया जा रहा है। राष्ट्रीय जनजातीय महोत्सव के रूप में पूरे देश में मनाए जा रहे पखवाड़ा के आयोजन की शृंखला में जनजातीय विकास मंत्री डॉ. मारकंडा ने बिरसा मुंडा की स्मृति में आयोजित किए जा रहे महोत्सव में शिरकत की।
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मारकंडा ने कहा कि जनजातीय अधिकारों के संघर्ष में बिरसा मुंडा को जनजातीय समुदाय के नायक के रूप जाना जाता है। जनजातीय समुदाय में उन्हें भगवान का दर्जा दिया गया है। इस महोत्सव में लाहौल की हस्तशिल्प कला के लिए मशहूर ऊनी वस्त्रों, जुराब, टोपी, पट्टी, थोबी के साथ छरमा से बने उत्पादों का प्रदर्शनी भी लगाई गई।
लोक नृत्य और लोकगीत की दीं प्रस्तुतियां
उरगोस महिला मंडल ने लोक नृत्य एवं लोकगीत की प्रस्तुतियों से मयाड़ घाटी की समृद्ध संस्कृति का प्रदर्शन किया। रविवार को सलपट गांव में आदि महोत्सव होगा। मारकंडा ने कहा कि भारत सरकार की ओर छरमा प्रोसेसिंग के लिए 25 लाख स्वीकृत किए गए हैं। इससे तिंगरेट, केलांग, जिस्पा और उदयपुर में छरमा से बने उत्पादों के निर्माण के लिए यूनिटों की स्थापना की जाएगी। मारकंडा ने अपनी ऐच्छिक निधि से उरगोस महिला मंडल को 15000 रुपये की राशि प्रोत्साहन स्वरूप दी।