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Himachal: जीएसटी में कटौती से किसानों-बागवानों को होगा लाभ, घटेगी कृषि-बागवानी की उत्पादन लागत

अमर उजाला ब्यूरो, शिमला। Published by: Krishan Singh Updated Sat, 06 Sep 2025 01:11 PM IST
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सार

जैविक कीटनाशकों और सूक्ष्म पोषक तत्वों के अलावा कृषि सहायक उपकरणों पर जीएसटी की दरें न्यूनतम 5 फीसदी कर दी गई हैं। बागवानी की नई तकनीक उच्च घनत्व पौधरोपण को भी जीएसटी दरें घटने से प्रोत्साहन मिलेगा। 

Farmers and gardeners will benefit from reduction in GST, production cost of agriculture and horticulture will
जीएसटी सुधार - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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कृषि उपकरणों और उर्वरकों पर जीएसटी की दरों में कटौती से हिमाचल में कृषि-बागवानी की उत्पादन लागत में कमी आएगी। जैविक कीटनाशकों और सूक्ष्म पोषक तत्वों के अलावा कृषि सहायक उपकरणों पर जीएसटी की दरें न्यूनतम 5 फीसदी कर दी गई हैं। बागवानी की नई तकनीक उच्च घनत्व पौधरोपण को भी जीएसटी दरें घटने से प्रोत्साहन मिलेगा। इतनी ही नहीं पॉलीहाउस में सब्जी, फल-फूल की खेती करने वालों को भी इसका लाभ मिलेगा। केंद्र सरकार ने जैविक कीटनाशकों पर जीएसटी की दरें 12 से घटा कर 5 फीसदी कर दी है। हालांकि हिमाचल में जैविक कीटनाशकों की अपेक्षा रासायनिक कीटशानक अधिक इस्तेमाल होते हैं, लेकिन जैविक कीटनाशक इस्तेमाल करने वालों को इसका लाभ मिलेगा।

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उर्वरकों पर पहले ही 5 फीसदी जीएसटी लागू था अब भी 5 फीसदी ही जीएसटी लगेगा, इसलिए उर्वरकों की लागत बराबर ही रहेगी। आधुनिक कृषि और बागवानी में सहायक उपकरणों पावर टिल्लर, पावर स्प्रेयर, ग्रॉस कट्टर का इस्तेमाल बढ़ा है। जीएसटी की दरें घटने से पावर टिल्लर की कीमतें लगभग 5,000 से 8,000, पावर स्प्रेयर 4,000 से 6,000 और ग्रास कटर की कीमतें 2,000 से 3,000 रुपये तक कम होने की संभावना है। एचडीपी बागवानी में ड्रिप इरिगेशन स्प्रिंकलर सिस्टम का इस्तेमाल होता है। जीएसटी की दरें घटने से इसकी कीमतों में भी कमी आने की उम्मीद है। पॉली हाउस में इस्तेमाल होने वाली शीट, एंगल और ड्रिप इरिगेशन सेटअप की कीमतों में भी कमी आने की उम्मीद है।

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शून्य होनी चाहिए दरें, किसान को वापस नहीं मिलता जीएसटी
संयुक्त किसान मंच के संयोजक हरीश चौहान का कहना है कि जीएसटी दरों में कटौती स्वागत योग्य है लेकिन कृषि और बागवानी पर जीएसटी की दरें शून्य होनी चाहिए। अन्य उद्योगों में किसी न किसी रूप में उत्पादक को जीएसटी का कुछ भाग वापस मिल जाता है जबकि किसान-बागवानों को जीएसटी वापस नहीं मिलता।

कंपनियों से कटौती लागू करवाए सरकार, तभी राहत
हिमाचल प्रदेश सेब उत्पादक संघ के संयोजक सोहन सिंह ठाकुर का कहना है कि सरकार ने जीएसटी दरों में कटौती की घोषणा तो कर दी है, लेकिन वह इसे कंपनियों से लागू करवाए तभी किसान-बागवानों को राहत मिलेगी। आमतौर पर कंपनियों की मनमानी के चलते आम किसान-बागवानों को सरकार के फैसलों का लाभ नहीं मिल पाता।

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