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अधूरी तैयारी और तकनीकी विफलता ने खोली चुनाव आयोग की पोल

ब्यूरो/अमर उजाला, शिमला Updated Thu, 09 Nov 2017 08:04 PM IST
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himachal election 2017 technical fault in evm machines
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प्रदेश चुनाव विभाग की अधूरी तैयारियों और तकनीकी विफलता की वजह से प्रदेश का मतदान प्रतिशत पिछले चुनाव से कम हो गया। मतदान शुरू होने से ही प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से ईवीएम व वीवीपैट मशीनों के खराब होने की शिकायतें आने लगीं। 

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कई जगह दो-दो घंटे तक वोटरों को मतदान प्रक्रिया शुरू होने का इंतजार करना पड़ा। निगरानी व सूचना आदान-प्रदान के लिए आरओ नेट और वेब कास्टिंग के दावे भी फेल हो गए। नतीजा यह रहा कि तकनीकी दक्षता का दावा करने वाले अफसरों को खुद सूचना हासिल करने के लिए मशक्कत करनी पड़ी।
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दरअसल, चुनाव आयोग के प्रदेश के अधिकारियों को उम्मीद थी कि बड़ी संख्या में जागरूकता अभियान और मतदाताओं को मतदाता सूची में जोड़ने के लिए चलाए गए विशेष अभियानों की वजह से मतदान प्रतिशत को 80 फीसदी तक पहुंच जाएगा। 

मतदान के सैलाब की उम्मीदों पर पानी फेरा

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लेकिन खुद प्रदेश चुनाव विभाग की अधूरी तैयारियों व तकनीकी विफलता ने मतदान के सैलाब की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। हुआ यूं कि प्रदेश के करीब 100 से ज्यादा मतदान केंद्रों पर सुबह से ही ईवीएम व वीवीपैट मशीनें खराब होने की सूचना आने लगीं। 


रिटर्निंग अफसरों से जिला व प्रदेश मुख्यालय पर विभिन्न तरह की सूचनाएं पहुंचाने के लिए बनाए गए आरओ नेट एप्लीकेशन भी बैठ गया। प्रदेश के 2300 से ज्यादा मतदान केंद्रों पर वेब कास्टिंग के जरिये मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय से निगरानी रखने का दावा भी हवा हो गया। सुबह से ही आधे से ज्यादा केंद्रों पर वेब कास्टिंग ही नहीं हो सकी।

कहीं बूथ पर तो कहीं उल्टा लगा दिया कैमरा

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प्रदेश में वेब कास्टिंग कराने के लिए करीब 2300 मतदान केंद्रों पर वेब कास्टिंग की व्यवस्था की थी। दावा था कि प्रदेश मुख्यालय से मतदान बूथ की हर गतिविधि पर नजर रखी जाएगी। लेकिन सुबह मतदान शुरू होने के साथ ही उनका दावा हवा हो गया।

आधे से ज्यादा मतदान बूथों में बेब कास्टिंग ही नहीं शुरू हो सकी। कुछ जगह शुरू हुई तो ऐसी जगह सीसीटीवी कैमरा लगा था, जहां से मतदाता ने किसे वोट दिया यह सीधे वीडियो में रिकॉर्ड हो रहा था।  कुछ जगह कैमरा उल्टा तो कुछ जगह वोटिंग मशीन पर ही लगा हुआ था।

छह हजार प्रति बूथ खर्च कर रहा आयोग
आयोग ने वेब कास्टिंग के लिए गुजरात की एक फर्म को काम दिया था। इसके लिए आयोग उस फर्म को करीब 6 हजार रुपये प्रति बूथ के हिसाब से रुपये अदा करेगा। खास बात यह है कि लाखों रुपये खर्च करने के बाद आयोग को एक चौथाई बूथों पर भी हो रही गतिविधि नहीं दिख सकी। इसके बावजूद मुख्य निर्वाचन अधिकारी पुष्पेंद्र राजपूत ने बचाव करते हुए कहा कि तकनीकी वजह से वेब कास्टिंग में दिक्कत आई है।

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