Himachal Cloudburst: सराज में सेना ने भी संभाला मोर्चा, थुनाग के डेजी गांव से 65 लोग सुरक्षित निकाले
हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के सराज क्षेत्र के अति दुर्गम पियाला डेजी गांव तक बचाव दल पहुंचने में सफल हो गया है।
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हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के सराज में स्थिति को देखते हुए एसडीआरएफ, एनडीआरएफ के बाद अब सेना ने सराज में मोर्चा संभाल लिया है। पांच दिनों से दुनिया से कटे सराज के कई हिस्सों में बचाव दल ने पहुंचकर लोगों को सुरक्षित जगह पहुंचाया। थुनाग के डेजी गांव से 65 लोग सुरक्षित निकाले हैं। इसी के साथ थुनाग और जंजैहली तक सड़क संपर्क के लिए भी युद्ध स्तर पर कार्य जारी है। मलबे के ढेर को छानते हुए टीमें आगे बढ़ रही हैं। खड्डें हों या फिर मलबे से अटे घर, दबे लोगों की तलाश में हर जगह बचाव दल पहुंच रहा है। 30 जून की रात को आए पानी के जलजले से जिले के विभिन्न भागों में अब तक कुल 16 लोगों की मौत हो चुकी हैं, जबकि लापता 55 की तलाश जारी है। गोहर उपमंडल स्यांज पंचायत के पंगलियूर गांव में शुक्रवार को पुलिस एवं आपदा स्वयंसेवकों की टीम ने स्कोली खड्ड में ड्रोन की सहायता से बाढ़ में लापता लोगों की तलाश की। हालांकि इस खोज अभियान में फिलहाल कोई सफलता नहीं मिल पाई है। यह अभियान शनिवार को भी जारी रहेगा।
सराज में राशन की खेप पहुंचाई
शुक्रवार को सराज में राशन की खेप पहुंचाई गई। हालांकि इसके लिए ग्रामीणों को दिन दिन भर पैदल चलकर कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। आपदा के पांच दिनों के बाद भी सड़क मार्ग बहाल न होने से कनेक्टिविटी नहीं हो पा रही है। दूरसंचार के साथ बिजली व्यवस्था भी ठप पड़ी हुई है। कुछ सरकारी भवनों के लिए बिजली सुचारू हुई है। प्रशासन बगस्याड़ से थुनाग और करसोग से जंजैहली की तरफ सड़क कनेक्टिविटी के लिए जुटा हुआ। सड़क कनेक्टिविटी के बाद यहां राहत व बचाव कार्य में तेजी आएगी। प्राकृतिक आपदा ने सबसे अधिक थुनाग उपमंडल को नुकसान पहुंचाया है। यहां बाढ़ और भूस्खलन ने सैकड़ों लोगों का जनजीव अस्त-व्यस्त कर दिया है। जंजैहली के बूंगरैलचौक में 13 मकान बाढ़ की भेंट चढ़ गए, जबकि छह पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए। थुनाग बाजार में आपदा ने तीसरी बार कहर बरपाया है। कीचड़ और मलबे ने बाजार को डेंजर जोन में तब्दील कर दिया है। स्थानीय लोग निर्माण कार्यों के दौरान ठेकेदारों द्वारा की गई अवैध मलबा डंपिंग को इस तबाही का प्रमुख कारण मान रहे हैं। बैंक, स्कूल, अस्पताल और लघु सचिवालय तक कीचड़ में डूबे हैं।
जिले में अभी तक 156 सड़कें बंद, 306 ट्रांसफार्मर ठप
जिले में शुक्रवार शाम 4:00 बजे तक कुल 156 सड़क मार्ग ठप हैं। इनमें अकेले सराज के 41 व धर्मपुर के 38 सड़क मार्ग शामिल हैं। जिले में 306 बिजली ट्रांसफार्मर बाधित चल रहे हैं। जबकि 605 पेयजल योजनाएं प्रभावित हैं। उधर, डीसी मंडी अपूर्व देवगन ने बताया कि लगातार स्थिति की निगरानी की जा रही है। हर तरह से प्रभावितों को राहत पहुंचाई जा रही है। लापता लोगों की तलाश की जा रही है।

गुनेहड़ पहाड़ी दरकी, सुरक्षित स्थान पर पहुंचाए 12 परिवार
ग्राम पंचायत टिकरी मुशैहरा के निक्का ठाणा और बुनला मरोला गांवों में गुनेहड़ पहाड़ी दरकने की आशंका पर स्थानीय प्रशासन ने 12 परिवारों के 34 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है। बजगर और गुनेहड़ खड्ड से सटे इन गांवों में मानसून के तीखे तेवरों को देखते हुए अलर्ट घोषित किया है। यहां 120 पशुधन के साथ रह रहे भेड़ पालकों को भी सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया है। शुक्रवार को निक्का ठाणा और बुनला मरोला की गुनेहड़ पहाड़ी से पत्थर गिरने पर लोग सहम उठे। प्रशासन ने तत्परता दिखाते हुए सभी लोगों को रेस्क्यू कर बीडीओ कार्यालय के एक सराय भवन में पहुंचाया। टिकरी मुशैहरा पंचायत के प्रधान रविंद्र ने बताया कि पहाड़ी दरकने की आशंका को देखते हुए दोनों गांवों के करीब 12 परिवारों के 34 लोगों को सुरक्षित स्थानों में पहुंचाया गया है। बीते साल भी यह पहाड़ी दरकी थी। तहसीलदार जोगिंद्रनगर डॉ. मुकुल अनिल शर्मा ने कहा कि भूस्खलन से संभावित क्षेत्रों से प्रभावित परिवारों को सुरक्षित स्थानों में स्थानांतरित कर दिया है। एसडीएम मनीश चौधरी ने बताया कि आपदा प्रभावित क्षेत्र से पीड़ित परिवारों रामदेई, गंगा देवी, रक्षा देवी, नखरो देवी, अनु देवी, सकीना देवी, मिसी देवी, नरेंद्र कुमार, तेजू राम, विकी, सरणू राम, रवि, विशाल, आर्यन निवासी निक्का ठाणा और सरेखा, जुगनी, नीलमा, पुष्पा, जमना, कविता, कहामा, पढ़ानी, रियाशी, तुषार, रिसव, साहिल, नरेंद्र, सूहल, हल्कू राम, राजकुमार को प्रशासन ने सुरक्षित स्थानों में स्थानांतरित किया है।
400 से अधिक घर सराज क्षेत्र में हुए क्षतिग्रस्त
सराज में मानसून की पहली बारिश ने तबाही का तांडव दिखाया है। बाढ़, भूस्खलन और बादल फटने की घटनाओं ने करीब 20 हजार लोगों को विस्थापन के कगार पर ला खड़ा किया है। थुनाग, देजी, पखरैर, जरोल, पांडवशीला, जंजैहली क्षेत्रों से दर्जनों परिवार सुरक्षित स्थानों की ओर चले गए हैं। कुछ ने रिश्तेदारों के घर में पनाह ली है। लोगों में 30 जून की भयानक रात का खौफ है कि कहीं इसकी पुनरावृत्ति न हो। सराज में चारों तरफ तबाही के निशान, कीचड़ ही कीचड़ है। खड्डों, नालों ने भौगोलिक स्थिति बदल दी है। मकान, स्कूल जैसे सार्वजनिक प्रतिष्ठान मलबे में मिल गए हैं। प्रारंभिक अनुमान के अनुसार, 400 से अधिक घर, 200 से ज्यादा गोशालाएं क्षतिग्रस्त हुई हैं। खेत खलिहान फसलों सहित नाले में समा गए हैं। कनेक्टिविटी टूटने से कई गांवों की सटीक जानकारी नहीं मिल पाई है। सराज के बाखली, कुकलाह, थुनाग, लंबाथाच, जरोल, पांडवशीला, चैड़ाखड्ड, शिवा खड्ड, खबलेच, जैंशला, केल्टी, चिऊणी, सुराह, डेजी, बूंग रैलचौक, ढीम कटारू, तुंगाधार, पखरैर, बगस्याड़, शरण, मुरहाग, शिकावरी, लेहथाच, शिल्हीबागी, बागाचनोगी, भाटकीधार, कलहणी, ब्रेयोगी, गतू, मैहरीधार, रूहमणी और काकड़धार जैसे क्षेत्रों में खतरा बरकरार है। सराज की अधिकांश आबादी नालों, खड्डों और छोटी-छोटी पहाड़ियों के किनारे बसी है। बाखली खड्ड, डेजी खड्ड, रूहाड़ागाड़, चिमटीखड्ड, बूढ़ा केदार की तीर्थन खड्ड, घुमराला नाला, भराड़ा गाड, चिऊणी खड्ड और शिवा खड्ड जैसे क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। थुनाग बाजार पिछले तीन वर्षों से मानसून की मार झेल रहा है।
धर्मपुर में 27 घर पूर तरह तबाह, 11 आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त
धर्मपुर में आपदा से स्याठी गांव के 27 घर पूरी तरह से और 11 घर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं। इसके अलावा 38 गोशालाएं पूरी तरह और 12 गोशालाएं आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुई हैं। इसमें 76 पशुओं की हानि हुई है। प्रदेश सरकार के निर्देशों के अनुसार प्रभावित लोगों को 2.90 लाख की राहत राशि प्रदान की जा चुकी है। प्रशासन की ओर से 266 तिरपाल, 10 कंबल, 24 राशन किट और 3 गैस सिलिंडर भी वितरित किए गए हैं। इस प्राकृतिक आपदा में गांव के 22 से अधिक परिवार प्रभावित हुए हैं। जोगिंद्रनगर उपमंडल की पिपली पंचायत में जमीन धंसने से बागला और पोहल गांव के करीब 20 रिहायशी मकानों के जमींदोज होने का खतरा पैदा हो गया है।
स्याठी गांव के 27 घर हुए हैं तबाह
धर्मपुर (मंडी)। आपदा से स्याठी गांव के 27 घर पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हो गए हैं। 11 घरों को आंशिक नुकसान पहुंचा है। 38 गोशालाएं भी पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हो गई हैं जबकि 12 को आंशिक रूप से नुकसान हुआ है। 76 पशु मर गए हैं। सरकार के निर्देशों के अनुसार प्रभावित लोगों को 2.90 लाख की राहत राशि प्रदान की जा चुकी है। प्रशासन की ओर से 266 तिरपाल, 10 कंबल, 24 राशन किट और 3 गैस सिलिंडर वितरित किए गए हैं। इस प्राकृतिक आपदा में 22 से अधिक परिवार प्रभावित हुए हैं। स्थानीय विधायक चंद्रशेखर ने बताया कि आपदा में कुल 73 पेयजल योजनाएं क्षतिग्रस्त हुई थीं, जिनमें से 66 योजनाओं को बहाल कर दिया गया है। 87 सड़कें अवरुद्ध हुई थीं, जिनमें से 24 प्रमुख सड़कों को छोटे वाहनों के लिए बहाल कर दिया गया है। बिजली के 27 ट्रांसफार्मर बंद हो गए थे, जिनमें से 22 को चालू कर दिया है।
जमीन धंसने से बागला और पोहल गांव के 20 मकानों के जमींदोज होने का खतरा
उपमंडल की पिपली पंचायत में जमीन धंसने से बागला और पोहल गांव के करीब 20 रिहायशी मकानों के जमींदोज होने का खतरा पैदा हो गया है। ग्रामीण जगदीश चंद, वार्ड सदस्य निकी देवी, राजकुमार, सुषमा , शकुंतला , माया, रक्षा, रूचि, खेम सिंह, रेशमा ने बताया कि यहां पर अवैज्ञानिक तरीके से सड़क की खुदाई के कारण वर्षा का पानी रिहायशी मकानों में घुस जाने से भूस्खलन की संभावना प्रबल हो गई है। जिला परिषद सदस्य कुशाल भारद्वाज ने बताया कि भूस्खलन से संभावित क्षेत्र में प्रशासन की और से तिरपाल आदि वितरित करवाए गए हैं लेकिन यहां पर अभी भी करीब 20 मकानों के गिरने की संभावना बन गई है। इधर लांगणा पंचायत के प्रैण, कोठी और चूल्हा गांव में भी वर्षा से कई रिहायशी मकाना खतरे की जद् में आए हैं । कांग्रेस नेता जीवन ठाकुर, विधायक प्रकाश राणा ने आपदा से प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण कर कहा कि वह प्रशासन व सरकार से अधिक से अधिक आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाने का प्रयास करेंगे।