Himachal: ग्रामीण इलाकों में भेजे अफसरों के शिमला में डेपुटेशन पर हाईकोर्ट तल्ख, मुख्य सचिव को दिए ये निर्देश
प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकारी अधिकारियों के डेपुटेशन से जुड़ी गंभीर अनियमितताएं सामने आने के बाद राज्य सरकार पर सख्त रुख अपनाया है।
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हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकारी अधिकारियों के डेपुटेशन से जुड़ी गंभीर अनियमितताएं सामने आने के बाद राज्य सरकार पर सख्त रुख अपनाया है। अदालत ने पाया कि शिक्षा विभाग के 86 विभाग के 123 कर्मचारी अपनी आधिकारिक पोस्टिंग स्थानों पर तैनात होने के बजाय अन्यत्र, खासकर शिमला जैसे शहरी क्षेत्रों में प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत हैं। अधिकारियों की ओर से दाखिल शपथ पत्रों से खुलासा हुआ कि डेपुटेशन की अवधि को सर्विस रिकॉर्ड में दर्शाया ही नहीं जाता है। रिकॉर्ड में अधिकारी को मूल स्थान पर ही तैनात माना जाता है, जबकि वह असल में दूसरी जगह ड्यूटी दे रहा होता है। गंभीर विसंगतियों को देखते हुए हाईकोर्ट ने इस आदेश की प्रति मुख्य सचिव को भेजने के निर्देश दिए हैं, ताकि वे सरकारी स्तर पर आवश्यक सुधारात्मक कदम उठाएं। मामले की सुनवाई 8 जनवरी को होगी।
मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश जियालाल भारद्वाज की खंडपीठ ने कहा कि डेपुटेशन की वर्तमान व्यवस्था से ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्रों में पोस्टिंग का उद्देश्य पूरी तरह विफल हो रहा है। अदालत ने कहा कि जो अधिकारी कठिन, दुर्गम, आदिवासी या ग्रामीण क्षेत्र में तैनात किए जाते हैं, वे प्रतिनियुक्ति लेकर शिमला जैसे शहरी क्षेत्रों में वापस आ जाते हैं, जबकि रिकॉर्ड में उन्हें अभी भी दुर्गम क्षेत्र में ही तैनात दिखाया जाता है। कोर्ट ने टिप्पणी की कि यह व्यवस्था अधिकारियों को तीन तक लगातार पोस्टिंग शिमला में हासिल करने का अवसर दे रही है। इससे न केवल तबादला नीति की मूल भावना प्रभावित होती है, बल्कि ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्रों के विकास पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है।
अभ्यर्थी की ऊंचाई फिर मापने के आदेश
इस व्यवस्था के कारण वहां के निवासियों को मूलभूत सेवाओं में कमी का सामना करना पड़ता है और नीति का उद्देश्य अप्रभावी हो रहा है। हाईकोर्ट ने ये टिप्पणियां जनहित याचिका की सुनवाई पर की। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता की ऊंचाई मापने में कथित अनियमितताओं के मामले में डीजीपी को दो दिनों के भीतर नया चिकित्सा बोर्ड गठित कर फिर नाप मपाने का आदेश दिया है। यह आदेश न्यायाधीश ज्योत्सना रिवॉल दुआ की खंडपीठ ने दिया। याचिकाकर्ता ने शिकायत की थी कि भर्ती प्रक्रिया के दौरान उसकी वास्तविक ऊंचाई को अंक देने में त्रुटि हुई। 4 अक्तूबर 2024 के विज्ञापन के पैरा-जी के अनुसार 5'-7" से 5'-8" से कम ऊंचाई वाले उम्मीदवारों को एक अंक दिया जाना अनिवार्य है। जबकि 5'-7" से कम ऊंचाई होने पर कोई अंक नहीं दिया जाता।
एनजीटी ने रोपवे का निर्माण कर रही कंपनी से काम का पूछा स्टेटस
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने बिजली महादेव रोपवे परियोजना पर काम कर रही राजस्थान प्रोजेक्ट्स लिमिटेड से ताजा स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। गुरुवार को हुई सुनवाई में कंपनी के डिप्टी जनरल मैनेजर एनजीटी की बेंच के समक्ष पेश हुए। एनजीटी ने पूछा कि रोपवे का काम चल रहा है या बंद है। इस पर कंपनी अधिकारी ने फिलहाल काम बंद होने की बात स्वीकारी। हालांकि काम बंद होने के कारणों पर कंपनी अपनी ओर से कोई ठोस पक्ष पेश नहीं कर सकी। ऐसे में कंपनी ने जवाब दायर करने के लिए अतिरिक्त समय मांगा, जिसे एनजीटी ने विचाराधीन रखा है। एनजीटी ने पिछली सुनवाई में भी कंपनी से जवाब मांगा था। बिजली महादेव रोपवे निर्माण का विरोध करते हुए एनजीटी में दो याचिकाएं दायर हैं। एक बिजली महादेव मंदिर कमेटी तथा दूसरी स्थानीय व्यक्ति ने दायर की है। एनजीटी ने वन अधिकार समिति की स्वीकृति से जुड़े दस्तावेजों पर भी सवाल उठाए। शिकायतकर्ताओं ने एनजीटी से कहा है कि रोपवे के लिए दाखिल वन-अधिकार स्वीकृति दस्तावेजों में कई विसंगतियां हैं।