Sanjauli Mosque Case: हिमाचल का बहुचर्चित संजौली मस्जिद मामला पहुंचा हाईकोर्ट, सुनवाई आज
राजधानी शिमला के बहुचर्चित संजौली मस्जिद मामला थम नहीं रहा है। मामला अब हिमाचल हाईकोर्ट पहुंच गया है।
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हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के बहुचर्चित संजौली मस्जिद मामला थम नहीं रहा है। मामला अब हिमाचल हाईकोर्ट पहुंच गया है। आज थोड़ी में मामले की सुनवाई होगी। वक्फ बोर्ड ने संजाैली मस्जिद को तोड़ने के आदेश के खिलाफ याचिका हाईकोर्ट में दायर की है। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश रोमेश वर्मा की खंडपीठ मामले की सुनवाई करेगी। बता दें, बहुचर्चित संजौली मस्जिद मामले में 30 अक्तूबर को जिला अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया था। अदालत ने नगर निगम (एमसी) शिमला के आयुक्त कोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए मस्जिद की निचली दोनों मंजिलों को भी अवैध करार देकर गिराने का आदेश दिया। कोर्ट ने वक्फ बोर्ड और संजौली मस्जिद कमेटी की याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि पूरी मस्जिद ही सरकारी भूमि पर बनी है। अदालत ने आयुक्त कोर्ट के फैसले के एक भाग को संशोधित करते हुए वक्फ बोर्ड व मस्जिद कमेटी को दोनों मंजिलें दो महीने के भीतर गिराने का आदेश दिया। अदालत ने कहा कि यदि तय अवधि में कार्रवाई नहीं की गई, तो नगर निगम अवैध निर्माण हटाएगा और उसका पूरा खर्च प्रतिवादियों से वसूला जाएगा। अब फैसले के खिलाफ वक्फ बोर्ड हाईकोर्ट में गया है।
मामले में अब तक क्या-क्या हुआ
इसी साल तीन मई को एमसी आयुक्त कोर्ट ने मस्जिद के पूरे निर्माण को अवैध बताते हुए इसे गिराने का आदेश दिया था। वक्फ बोर्ड और मस्जिद कमेटी ने इस आदेश को सत्र न्यायालय में चुनौती दी थी। जिला अदालत ने माना कि निर्माण बिना वैध अनुमति के हुआ था और यह नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है। नगर निगम की ओर से जिला अदालत में बताया गया कि इस मस्जिद का पुराना ढांचा गिराए जाने के बाद चार मंजिला नई इमारत खड़ी की गई थी। इसके निर्माण के लिए न तो कोई अनुमति ली गई और न ही अनुमोदन प्राप्त किया गया। नगर निगम आयुक्त कोर्ट की ओर से 5 अक्तूबर 2024 को अनधिकृत ढांचे को हटाने का आदेश दिया गया। इसके बाद तीसरी और चौथी मंजिल को गिरा दिया गया। नीचे की दो मंजिलों को नियमित करने का आवेदन नगर निगम ने 3 मई 2025 को खारिज कर दिया था।
अदालत ने पाया कि नगर आयुक्त की ओर से 5 अक्तूबर 2024 को पारित आदेश को न तो वक्फ बोर्ड और न ही मस्जिद कमेटी की ओर से चुनौती दी गई। पहले की एक अपील, जो नजाकत हाशमी अली ने दायर की थी, 30 नवंबर 2024 को अतिरिक्त जिला न्यायाधीश ने पहले ही खारिज कर दी थी। अदालत ने माना कि नगर निगम आयुक्त का आदेश तथ्यों पर आधारित है। हालांकि, आयुक्त ने आदेश के एक भाग में केवल वक्फ बोर्ड को जिम्मेदार ठहराया था, जबकि निर्माण मस्जिद कमेटी के कहने पर हुआ। चूंकि, संपत्ति वक्फ बोर्ड के अधीन है, इसलिए जिला अदालत ने दोनों को संयुक्त रूप से जिम्मेदार ठहराया। यह फैसला नगर निगम शिमला के आयुक्त की ओर से 3 मई 2025 को पारित आदेश के विरुद्ध दायर दोनों अपीलों को खारिज करते हुए सुनाया गया।
पांच मंजिला मस्जिद की तोड़ी जा चुकी हैं दो मंजिलें
नगर निगम आयुक्त कोर्ट ने पहले ऊपर की तीन मंजिल गिराने का आदेश दिया था। इसके बाद मस्जिद कमेटी ने दो मंजिलों को तोड़ दिया था, जबकि एक मंजिल नहीं तोड़ी गई थी। इसके बाद नगर निगम आयुक्त कोर्ट ने निचली दो मंजिलों को भी अवैध करार दे दिया था।
दो गुटों में लड़ाई के बाद सुर्खियों में आया मामला
संजौली मस्जिद मामला करीब 16 साल तक नगर निगम आयुक्त कोर्ट में चलता रहा। इस दौरान 50 से भी ज्यादा बार इस केस पर सुनवाई हुई। 31 अगस्त 2024 को शिमला के मैहली में दो गुटों में मारपीट के बाद से मस्जिद विवाद गरमाया। 5 सितंबर 2024 को शिमला में हिंदू संगठनों ने प्रदर्शन किया। 11 सितंबर को संजौली-ढली में उग्र प्रदर्शन किया गया। इस बीच 12 सितंबर को संजौली मस्जिद कमेटी खुद निगम आयुक्त कोर्ट पहुंची और खुद ही मस्जिद का अवैध हिस्सा तोड़ने की पेशकश की। हालांकि, 3 मई को एमसी आयुक्त कोर्ट ने इस पूरे मामले में अंतिम निर्णय ले लिया था। अब जिला अदालत ने भी इस फैसले पर मुहर लगाई है।
संजौली मस्जिद मामले में कब क्या हुआ?
- संजौली मस्जिद मामले में 50 से ज्यादा बार सुनवाई हुई।
- 31 अगस्त 2024 को मैहली में दो गुटों में मारपीट के बाद मस्जिद विवाद गरमाया।
- 1 और 5 सितंबर 2024 को शिमला में हिंदू संगठनों ने प्रदर्शन शुरू किया।
- 11 सितंबर को संजौली-ढली में उग्र प्रदर्शन हुआ।
- 12 सितंबर को संजौली मस्जिद कमेटी आयुक्त कोर्ट में पहुंची
- 5 अक्तूबर 2024 को आयुक्त कोर्ट ने तीन मंजिलों को हटाने की अनुमति दी
- 30 नवंबर 2024 को अतिरिक्त जिला न्यायाधीश ने याचिका खारिज कर दी
- 3 मई 2025 को एमसी आयुक्त कोर्ट ने दो और मंजिलों को हटाने का आदेश दिया
- वक्फ बोर्ड ने 17 मई को 3 मई के आदेशों को जिला न्यायालय में चुनौती दी
- 19 मई को सुनवाई में अदालत ने मस्जिद कमेटी से रिकॉर्ड तलब किया
- 23 मई को एमसी को दोबारा नोटिस जारी कर रिकॉर्ड पेश करने के लिए कहा
- 26 मई की सुनवाई में कोर्ट ने मस्जिद तोड़ने पर अंतरिम रोक लगाई।
- 29 मई को अदालत ने स्टे को बरकरार रखा
- 11 जुलाई को केस को बहस योग्य माना गया
- 8 और 21 अगस्त को वक्फ बोर्ड ने बहस के लिए समय मांगा
- 6 सितंबर को करीब सवा दो घंटे तक बहस हुई
- 30 अक्तूबर के लिए मामला सूचीबद्ध किया और फैसला सुनाया
- 28 नवंबर को जिला अदालत, एमसी आयुक्त कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर
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