राजेंद्र गर्ग को मंत्री बना नड्डा ने पूरा किया चुनावी वादा
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने राजेंद्र गर्ग को मंत्री बनाकर विधानसभा चुनाव में घुमारवीं की जनता से किया वादा पूरा कर दिया है। चुनाव प्रचार के दौरान नड्डा ने गर्ग के लिए लोगों से कहा था कि वे विधायक नहीं, मंत्री समझकर गर्ग को वोट दें। नड्डा की इसी अपील के बाद गर्ग ने भारी मतों से जीत दर्ज की थी। गर्ग सीएम जयराम ठाकुर के भी करीब हैं। बिलासपुर जिला से पहली बार भाजपा के तीन विधायक जेआर कटवाल, सुभाष ठाकुर और राजेंद्र गर्ग चुनकर विधानसभा पहुंचे हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कटवाल को टिकट पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल की देन है। सुभाष और गर्ग दोनों नड्डा की पसंद रहे हैं। लेकिन गर्ग की ताजपोशी बहुत सारे संदेश देती है। गर्ग की जगह मंत्रिमंडल में मंडी से कर्नल इंद्र सिंह, कांगड़ा से रमेश धवाला या फिर चंबा से विक्रम जरियाल को जगह दी जा सकती थी। यदि गर्ग नए थे तो मंडी से राकेश जम्वाल भी नए थे। मंडी का हक फिर मंडी में ही रह सकता था। लेकिन गर्ग को मंत्री बनाकर नड्डा ने अपने गृह क्षेत्र के नजदीकी हलके में अपनी पैठ और मजबूत की है।
आरएसएस से की करिअर की शुरुआत
राजेंद्र गर्ग आरएसएस से करिअर शुरू कर विद्यार्थी परिषद के रास्ते मंत्री पद तक पहुंचे हैं। वर्ष 2012 में गर्ग ने घुमारवीं विधानसभा क्षेत्र से पहली बार चुनाव लड़ा लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी राजेश धर्माणी से 3208 मतों से हार गए। नड्डा के करीबी होने पर वर्ष 2017 में इन्होंने भाजपा के टिकट पर फिर से घुमारवीं विस क्षेत्र से चुनाव लड़ा, जिसमें 10435 मतों से राजेश धर्माणी को हराया। सरकार बनने के ढाई साल बाद अब मंत्री पद ग्रहण किया है।
धर्माणी गुट में छाया सन्नाटा
घुमारवीं से राजेंद्र गर्ग के मंत्री बनने से भाजपा का दूसरा धड़ा खामोश हो गया है। सीएम के ओएसडी महेंद्र धर्माणी भी घुमारवीं विस क्षेत्र से हैं। ऐसे में गर्ग के मंत्री बनने से धर्माणी गुट में सन्नाटा छा गया है।
छह दशक बाद घुमारवीं को मिला गर्ग के रूप में पहला मंत्री
छह दशक बाद आखिर घुमारवीं विस क्षेत्र को गर्ग के रूप में मंत्री मिल गया। इससे पहले वर्ष 1967 से 2020 तक घुमारवीं विस क्षेत्र के किसी भी विधायक को मंत्री पद प्राप्त नहीं हुआ। लेकिन साल 1982 से आरएसएस से शुरुआत करने वाले घुमारवीं के वर्तमान विधायक राजेंद्र गर्ग को घुमारवीं विस क्षेत्र से पहला मंत्री पद पाने का गौरव प्राप्त हुआ है। विद्यार्थी राजनीति से सक्रिय राजनीति में प्रवेश करने वाले राजेंद्र गर्ग वर्ष 1982 में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से बतौर स्वयंसेवक जुड़े।
साल 1983 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से सक्रिय रूप से जुड़े। 1986-87 संयोजक एबीवीपी जिला बिलासपुर और 1987-88 के दौरान प्रदेश सचिव एबीवीपी रहे। साल 1990-97 के दौरान वह मध्य प्रदेश में संपूर्ण समय संगठन सचिव एबीवीपी रहे। साल 2000-2006 के दौरान उन्होंने घुमारवीं उपमंडल से सक्रिय पत्रकारिता में कार्य किया। सक्रिय राजनीति में भाग लेते हुए 2006-2010 के दौरान राजेंद्र गर्ग भाजपा प्रशिक्षण प्रकोष्ठ प्रदेश संयोजक, सदस्य निदेशक एचपी राज्य शिक्षा बोर्ड व एचपी तकनीकी शिक्षा बोर्ड जैसे पदों पर रहे, और 2009-11 सदस्य भाजपा राष्ट्रीय प्रशिक्षण प्रकोष्ठ के पद पर रहे।
वर्ष 2012 में गर्ग ने घुमारवीं विस क्षेत्र से पहली बार विधायक का चुनाव लड़ा अपने प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के राजेश धर्माणी से हार गए। 2017 में उन्हें नड्डा का करीबी होने का फायदा मिला और उन्हें घुमारवीं से एक बार फिर टिकट मिला। इस बार उन्होंने राजेश धर्माणी को भारी मतों से पराजित किया। नड्डा के करीबी होने और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के साथ विद्यार्थी राजनीति से ही अच्छे संबंधों के चलते उन्हें घुमारवीं चुनाव क्षेत्र से पहली बार मंत्री के रूप में चुना गया।
राजेंद्र गर्ग का जन्म 30 मई 1966 को माता सुंदरी देवी व पिता बलदेव के घर घुमारवीं उपमंडल के गांव ठंडोडा बिलासपुर में हुआ। गर्ग ने एमएससी (वनस्पति विज्ञान) 1990 में जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर से की। उनका विवाह राजकुमारी से हुआ जो एक शिक्षिका हैं। गर्ग का एक बेटा मृदुल और एक बेटी विभा हैं।