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सिरमौर के नाम जुड़े कई रिकॉर्ड, 17 वर्ष बाद जिले को मिला मंत्री

संजय भारद्वाज/सुरेश तोमर, अमर उजाला नेटवर्क, पांवटा साहिब (सिरमौर) Published by: अरविन्द ठाकुर Updated Fri, 31 Jul 2020 11:59 AM IST
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Himachal News: New Cabinet Minister Sukhram Chaudhary political career side story
- फोटो : अमर उजाला
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पांवटा विधानसभा क्षेत्र के विधायक सुखराम चौधरी के मंत्री बनते ही सिरमौर के नाम एक और रिकॉर्ड जुड़ गया। लगभग 17 वर्ष बाद सिरमौर से कोई मंत्री बना है। इससे पहले वर्ष 2003 से 2007 तक पच्छाद से जीआर मुसाफिर कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में मंत्री रहे हैं। सुखराम चौधरी सिरमौर से मंत्री पद हासिल करने वाले भाजपा के पहले नेता भी बन गए हैं। हालांकि, वर्ष 1977 में श्यामा शर्मा मंत्री बनी थीं, लेकिन उस वक्त उन्होंने जनता पार्टी से चुनाव लड़ा था।

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भाजपा सरकार के ढाई वर्ष सिरमौर के लिए बेहतरीन साबित हुए। हालांकि, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पद से डॉ. राजीव बिंदल ने इस्तीफा दिया। लेकिन, पार्टी ने नया अध्यक्ष बनाने में भी सिरमौर को ही तवज्जो दी। एक सप्ताह में सिरमौर को दो महत्वपूर्ण पद मिले। सांसद सुरेश कश्यप पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए तो सुखराम चौधरी मंत्री। पहले दिन पार्टी अध्यक्ष ने पदभार संभाला तो दूसरे दिन मंत्री की शपथ हुई। इसके अलावा सुरेश कश्यप भाजपा के पहले सांसद बने हैं जबकि भाजपा में अनुसूचित जाति से पहला पार्टी प्रदेश अध्यक्ष बनने का रिकॉर्ड भी कश्यप के नाम से जुड़ गया है।
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जिले को मिले चार महत्वपूर्ण पद
सिरमौर जिला को चार महत्वपूर्ण पद दिए गए हैं। पूर्व की बात कहें तो नाहन से विधायक डॉ. राजीव बिंदल पहले विधानसभा अध्यक्ष बने फिर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष। अब उनके इस्तीफा देने के बाद सांसद सुरेश कश्यप को अध्यक्ष बनाया गया, वहीं सुखराम चौधरी मंत्री बन गए। इसके अलावा शिलाई के पूर्व विधायक बलदेव तोमर को खाद्य आपूर्ति निगम का उपाध्यक्ष और बलदेव भंडारी को विपणन बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया है।

बिजली बोर्ड में जेई रहे सुखराम की पहली पसंद ऊर्जा मंत्रालय

नवनियुक्त मंत्री सुखराम चौधरी की पहली पसंद ऊर्जा मंत्रालय है। उन्होंने कहा कि मंत्रालय देने का अधिकार क्षेत्र मुख्यमंत्री का है। लेकिन बतौर कनिष्ठ अभियंता (जेई) उन्होंने 15 साल बिजली बोर्ड में काम किया है। लिहाजा, उन्हें इसका अनुभव है। पिछले छह महीने के भीतर सिरमौर जिला में बदले सियासी समीकरणों ने अब चौधरी के मंत्री बनने के बाद नई करवट ली है। सिरमौर से भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के बाद मंत्री मिलने से लोगों की उम्मीदों को भी पंख लग गए हैं।

वर्ष 1997 में सक्रिय राजनीति में आए चौधरी ने वर्ष 1998 में पांवटा साहिब विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा लेकिन 2400 मतों के अंतर से हार गए। वर्ष 2003 में जीते पर सरकार कांग्रेस की बनी। वर्ष 2007 में जीत हासिल की तो प्रो. प्रेम कुमार धूमल की सरकार में चौधरी को मुख्य संसदीय सचिव (सीपीएस) का ओहदा मिला। वर्ष 2012 में चौधरी निर्दलीय प्रत्याशी किरनेश जंग से 690 मतों से हार गए।

लेकिन, सुखराम चौधरी ने जिला भाजपा अध्यक्ष के रूप में अपनी पकड़ क्षेत्र में बनाए रखी और वर्ष 2017 में 12,690 मतों से जीत हासिल की। कार्यकर्ताओं को तब निराशा हाथ लगी, जब मंत्रिमंडल में इन्हें शामिल नहीं किया गया। चौधरी ने अपना संघर्ष जारी रखा और लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी सुरेश कश्यप को पांवटा क्षेत्र से करीब 27,517 मतों की बढ़त दिलाई। उल्लेखनीय है कि चौधरी प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष के अलावा जिला भाजपा उपाध्यक्ष और तीन बार जिला अध्यक्ष रह चुके हैं। लोगों के काम के लिए भी चौधरी जेब से पैसा खर्च कर बस में शिमला सचिवालय तक पहुंच जाते थे।

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