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Shimla News: स्कूलों में दाखिला देने से पहले बच्चों के लिए जा रहे साक्षात्कार

Shimla Bureau शिमला ब्यूरो
Updated Sat, 13 Sep 2025 11:59 PM IST
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Interviews being conducted for children before admission to schools
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अभिभावकों के प्रतिनिधिमंडल ने महिला एवं बाल विकास निदेशक को सौंपी शिकायत, कार्रवाई की मांग बोले, ईसीसीई तथा आरटीआई के निर्देशों का नहीं हो रहा पालन
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संवाद न्यूज एजेंसी
शिमला। शहर के कुछ निजी स्कूलों में दाखिले से पहले बच्चों के साक्षात्कार लिए जा रहे हैं। इसके अलावा कुछ स्कूल सीधे साक्षात्कार न लेकर बच्चों और अभिभावकों को बातचीत के बहाने स्कूल बुला रहे हैं ताकि उनकी आर्थिक स्थिति के बारे में जान सकें।
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इसके बाद ही बच्चों को स्कूल में दाखिला दिया जा रहा है।


यह आरोप अभिभावकों ने महिला एवं बाल विकास विभाग के निदेशक पंकज ललित से मुलाकात कर लगाए हैं। साथ ही इस मामले में कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है। अभिभावकों का कहना है कि कुछ स्कूलों के पास न तो उपयुक्त बुनियादी ढांचा है और न ही प्रवेश प्रक्रिया में ईसीसीई तथा आरटीआई के निर्देशों का पालन किया जा रहा है। 3 से 6 वर्ष की आयु के बच्चों के अभिभावकों के प्रतिनिधिमंडल ने निदेशक को बताया कि ईसीसीई और आरटीई के निर्देशों के बावजूद कई स्कूलों में बच्चों के लिए साक्षात्कार रखे हैं। इससे बच्चों पर अनावश्यक तनाव पड़ रहा है। अभिभावकों की चिंताओं को निदेशक ने गंभीरता से सुना और आश्वासन दिया कि विभाग इस मुद्दे पर आवश्यक कार्रवाई करेगा। निदेशक ने कहा कि विभाग स्कूलों की जांच करेगा और आवश्यक कार्रवाई करेगा ताकि बच्चों को उचित शिक्षा और सुविधाएं प्रदान की जा सकें। कुछ स्कूलों में आजकल अगली साल के लिए नर्सरी और प्री नर्सरी के दाखिले शुरू हो चुके हैं। प्रतिनिधिमंडल में सुष्मा, मीना, अर्चना, समीर, शशि और योगिता सहित कई लोग शामिल थे।

कक्षाओं का समय भी लंबा
अभिभावकों ने आरोप लगाया कि कुछ स्कूल ऐसे हैं जिनमें कक्षाओं की अवधि लंबी है जो इस आयु वर्ग के बच्चों के लिए अच्छी नहीं है। कुछ वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों में प्री-नर्सरी कक्षाएं दोपहर 12:30 बजे तक चल रही हैं। अभिभावकों ने निदेशक से आग्रह किया कि छोटे बच्चों के लिए सुबह के समय स्कूल की व्यवस्था की जानी चाहिए ताकि उनकी पढ़ाई अच्छे से हो। उन्होंने स्कूलों में पर्याप्त जगह न होने का मुद्दा भी उठाया। कुछ स्कूलों में छोटे बच्चों के लिए पर्याप्त जगह और सुविधाएं भी नहीं हैं, इसके बावजूद भी वह प्री-नर्सरी और नर्सरी कक्षाएं चला रहे हैं। बड़ी कक्षाओं के छात्रों के साथ ही उनकी कक्षाएं चलाई जाती हैं जिससे न तो बच्चों का मानसिक विकास हो पाता है और न ही बड़ी कक्षाओं के छात्र पढ़ाई में ध्यान लगा पाते हैं।
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