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चिप्स-कुरकुरे के 20 खाली रैपर दो, रिवालसर पंचायत देगी ये बड़ा ईनाम

न्यूज डेस्क, अमर उजाला Updated Fri, 16 Feb 2018 03:28 PM IST
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Rivalsar Panchayat in Himachal Pradesh launched a unique campaign for cleanliness drive
फाइल फोटो
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ग्रामीण अंचल को साफ-सुथरा रखने की अनूठी मिसाल सामने आई है। हिमाचल प्रदेश की एक पंचायत ने स्थानीय बाशिंदों को प्लास्टिक कचरे के बदले मुफ्त में प्रमाण पत्र या परिवार रजिस्टर की नकल देने की पेशकश की है। 
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ग्रामीण नमकीन और कुरकुरे आदि के फेंके गए 20 पॉलीथीन रैपर पंचायत को सौंपता है तो उसे बिना किसी शुल्क के प्रमाण पत्रों की प्रति या फिर अन्य कोई भी रिपोर्ट मुहैया करा दी जाएगी। इसी तरह से टॉफी के 30 कवर, शीशे की 10 बड़ी या 20 छोटी बोतलें, प्लास्टिक की 20 बोतलें पंचायत कार्यालय में जमा कराकर कोई भी सर्टिफिकेट ले सकते हैं।
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मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह जिला मंडी के बल्ह क्षेत्र की लोअर रिवालसर पंचायत ने स्वच्छता अभियान को कामयाब बनाने के लिए यह अनूठी पहल की है। पंचायत अपने फंड से हर साल इस मुहिम पर साढ़े चार लाख रुपये खर्च करेगी। ग्यारह वार्ड और तीन हजार से ज्यादा आबादी वाली पंचायत लोगों से कचरा भी एकत्रित करेगी। 

बदले में नि:शुल्क प्रमाण पत्र देगी। एकत्रित कचरे में से खाद के लिए उपयोगी कचरा अलग किया जाएगा, जबकि प्लास्टिक के सामान को कबाड़ में बेचकर राजस्व जुटाया जाएगा। पंचायत ने इसके लिए प्रति वार्ड कूड़ेदान लगाने और फिर जीप के माध्यम से कचरा एक जगह एकत्रित करने की योजना बनाई है।

रिवालसर झील को मिली है धर्म त्रिवेणी की संज्ञा

पंचायत प्रधान संजय कुमार का कहना है कि स्वच्छता को लोगों के आचरण का हिस्सा बनाने के लिए ही यह पहल की गई है। ग्रामीणों को मुफ्त प्रमाण पत्र देकर लाभ दिया जाएगा, जबकि बदले में कचरे का प्रबंधन कर पंचायत अपनी आय का स्रोत बनाएगी। खाद के लिए उपयोगी कचरे को पंचायत से करीब चालीस किलोमीटर दूर सुंदरनगर स्थित सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट में ले जाया जाएगा।

विश्व पर्यटन के मानचित्र पर अहम स्थान रखने वाली रिवालसर झील को धर्म त्रिवेणी भी कहा जाता है। ऐतिहासिक महत्व के अलावा इस क्षेत्र में हिंदू, बौद्ध और सिख समुदाय की सौहार्द्रपूर्ण रिहायश का संगम है। एक बड़े सरोवर के निकट बौद्ध धर्म गुरु पद्मसंभव बौद्ध मठ है। 

मान्यता के मुताबिक तिब्बत में बौद्ध धर्म का प्रचार करने के लिए पद्मसंभव ने यहीं से उड़ान भरी थी। यहां एक गुरुद्वारा भी है, जहां सिखों के दसवें गुरु गोबिंद सिंह ठहरे थे। इसी तरह से रिवालसर को महर्षि लोमश की तपोभूमि भी माना जाता है। पूरे विश्व से यहां सैलानी पहुंचते हैं। 

विश्व पर्यटन मानचित्र का हिस्सा रिवालसर झील में पिछले कुछ समय से प्रदूषण की वजह से मछलियों के मरने की घटनाएं होती रही हैं। पंचायत की पहल के पीछे झील में प्रदूषण को भी एक वजह माना जा सकता है।
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