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Amar Ujala Samvad: पद्मभूषण से सम्मानित देवेंद्र झाझरिया खेल के बाद राजनीति में भी लगा चुके दांव, जानें करियर

स्पोर्ट्स डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: Mayank Tripathi Updated Sun, 04 Aug 2024 07:59 AM IST
सार

देवेंद्र पद्मभूषण पुरस्कार पाने वाले देश के पहले पैरा एथलीट हैं। झाझरिया ने तीन ओलंपिक में देश को मेडल दिलाया है। उनके इस शानदार प्रदर्शन की बदौलत ही उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया गया है। झाझरिया राजस्थान के पहले खिलाड़ी हैं, जिन्हें यह अवार्ड दिया गया है।

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Amar Ujala Samvad: Padma Bhushan awardee Devendra Jhajharia has tried his luck in politics, know his career
देवेंद्र झाझरिया - फोटो : Amar Ujala
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विस्तार
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पद्मभूषण से सम्मानित जैवलिन थ्रोअर देवेंद्र झाझरिया रविवार को देहरादून में होने वाले अमर उजाला संवाद कार्यक्रम में शिरकत करेंगे। वह पैरालंपिक में दो स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय हैं। झाझरिया फिलहाल पैरालंपिक समिति के अध्यक्ष हैं। खेल के अलावा झाझरिया राजनीति में भी सक्रिय हैं। लोक सभा चुनाव 2024 में उन्हें भाजपा ने चुरू से मैदान में उतारा था। हालांकि, उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
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पद्मभूषण पुरस्कार पाने वाले पहले पैरा एथलीट
देवेंद्र पद्मभूषण पुरस्कार पाने वाले देश के पहले पैरा एथलीट हैं। झाझरिया ने तीन ओलंपिक में देश को मेडल दिलाया है। उनके इस शानदार प्रदर्शन की बदौलत ही उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया गया है। झाझरिया राजस्थान के पहले खिलाड़ी हैं, जिन्हें यह अवार्ड दिया गया है। उन्होंने पिछले साल टोक्यो पैरालिंपिक में सिल्वर मेडल जीता था। इससे पहले एथेंस 2004 और रियो 2016 के पैरा ओलंपिक खेलों में देवेंद्र देश के लिए स्वर्ण पदक जीत चुके हैं।

भारत सरकार द्वारा खेल उपलब्धियों के लिए देवेंद्र को खेल जगत का सर्वोच्च मेजर ध्यान चंद खेल रत्न पुरस्कार दिया गया। इससे पूर्व उन्हें पद्मश्री पुरस्कार, स्पेशल स्पोर्ट्स अवार्ड (2004), अर्जुन अवार्ड (2005), राजस्थान खेल रत्न, महाराणा प्रताप पुरस्कार (2005), मेवाड़ फाउंडेशन के प्रतिष्ठित अरावली सम्मान (2009) सहित अनेक इनाम-इकराम मिल चुके हैं। वे खेलों से जुड़ी विभिन्न समितियों के सदस्य रह चुके हैं। 
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साधारण परिवार में हुआ था जन्म
देवेंद्र का जन्म चूरू के सादुलपुर के एक साधारण किसान दंपती रामसिंह और जीवणी देवी के आंगन में 10 जून 1981 को हुआ था। देवेंद्र ने सुविधाहीन परिवेश और विपरीत परिस्थितियों को कभी अपने मार्ग की बाधा बनने नहीं दिया। गांव के जोहड़ में एकलव्य की तरह लक्ष्य को समर्पित देवेंद्र ने लकड़ी का भाला बनाकर खुद ही अभ्यास शुरू कर दिया।

स्कूल से की भाला फेंकने की शुरुआत
1995 में स्कूली प्रतियोगिता से उन्होंने भाला फेंकने की शुरूआत की। कॉलेज में पढ़ते वक्त बंगलौर में राष्ट्रीय खेलों में जैवलिन थ्रो और शॉट पुट में पदक जीतने के बाद तो देवेंद्र ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 1999 में राष्ट्रीय स्तर पर जेवलिन थ्रो में सामान्य वर्ग के साथ कड़े मुकाबले के बावजूद स्वर्ण पदक जीतना देवेंद्र के लिए बड़ी उपलब्धि थी। इस तरह उपलब्धियों का सिलसिला चल पड़ा पर वास्तव में देवेंद्र के ओलंपिक स्वप्न की शुरुआत हुई। 

बनाया विश्व रिकॉर्ड
2002 के बुसान एशियाड में देवेंद्र ने स्वर्ण पदक जीता। साल 2003 के ब्रिटिश ओपन खेलों में देवेंद्र ने जैवलिन थ्रो, शॉट पुट और ट्रिपल जंप तीनों स्पर्धाओं में सोने के पदक अपनी झोली में डाले। देश के खेल इतिहास में देवेंद्र का नाम उस दिन सुनहरे अक्षरों में लिखा गया, जब उन्होंने 2004 के एथेंस पैरा ओलंपिक में भाला फेंक स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता।

इन खेलों में देवेंद्र द्वारा 62.15 मीटर दूर तक भाला फेंक कर बनाया गया। विश्व रिकॉर्ड स्वयं देवेंद्र ने ही रियो में 63.97 मीटर भाला फेंककर तोड़ा। बाद में देवेंद्र ने साल 2006 में मलेशिया पैरा एशियन गेम में स्वर्ण पदक जीता। साल 2007 में ताईवान में अयोजित पैरा वर्ल्ड गेम में स्वर्ण पदक जीता और वर्ष 2013 में लियोन (फ्रांस) में हुई एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक देश की झोली में डाला।
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