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Maradona: 53 महीने बाद भी नहीं सुलझी माराडोना की मौत की गुत्थी! पुलिस ने छापा मार जब्त किए मेडिकल रिकॉर्ड्स

स्पोर्ट्स डेस्क, अमर उजाला, ब्यूनस आयर्स Published by: स्वप्निल शशांक Updated Thu, 08 May 2025 11:13 AM IST
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सार

ट्रायल जज ने तीन से 11 नवंबर, 2020 के बीच की माराडोना के स्वास्थ्य से जुड़ी सभी फाइलों को जब्त करने के लिए छापेमारी का आदेश दिया था। पुलिस ने आधी रात को छापा मारा और छापेमारी बुधवार सुबह चार बजे तक चली।

Mystery of Diego Maradona death continues after 53 months! Police raided and confiscated medical records
माराडोना - फोटो : ANI
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अर्जेंटीना के महान फुटबॉलर डिएगो माराडोना के निधन को 53 महीने बीत चुके हैं, लेकिन उनके मौत की गुत्थी अब तक नहीं सुलझी है। स्थानीय पुलिस उनकी मौत में साजिश की आशंका जता रही है और इसके लिए माराडोना के स्वास्थ्य का ध्यान रख रहे सात चिकित्सा पेशेवरों पर हत्या के आरोप भी लगे हैं। इसी कड़ी में बुधवार को पुलिस ने इन साथ मेडिकल प्रोफेशनल्स की क्लिनिक पर माराडोना के पूरे मेडिकल रिकॉर्ड्स को जब्त करने के लिए छापा मारा। सातों चिकित्सा पेशेवरों पर स्टार फुटबॉलर के स्वास्थ्य को लेकर लापरवाही बरतने का आरोप है। अदालत ने सातों पर मुकादमा चलाने के आदेश दिए हैं। पुलिस का छापा इसी को लेकर सबूत जुटाने में था। पुलिस ने अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स के एक स्वास्थ्य क्लिनिक छापा मारा और डिएगो माराडोना के संपूर्ण मेडिकल रिकॉर्ड जब्त कर लिए।
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ऑपरेशन का पेश किए गए मेडिकल रिकॉर्ड्स में जिक्र नहीं
लॉस ओलिवोस क्लिनिक के चिकित्सा निदेशक पाब्लो दिमित्रॉफ ने गवाही दी कि माराडोना ने प्री-सर्जिकल अध्ययन किया था। उसी केंद्र में एक न्यूरोसर्जन द्वारा बिना किसी परेशानी के ऑपरेशन किया गया था। हालांकि, मामला तब सवालों के घेरे में आया जब उन अध्ययनों को माराडोना के मेडिकल रिकॉर्ड्स में शामिल नहीं किया गया था। ट्रायल जज ने तीन से 11 नवंबर, 2020 के बीच की माराडोना के स्वास्थ्य से जुड़ी सभी फाइलों को जब्त करने के लिए छापेमारी का आदेश दिया था। पुलिस ने आधी रात को छापा मारा और छापेमारी बुधवार सुबह चार बजे तक चली।
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25 नवंबर 2020 को हुआ था माराडोना का निधन
पुलिस रिपोर्ट से पता चला है कि अधिकारियों ने संबंधित अभिलेखों के लगभग 275 पृष्ठ और परीक्षण पर चिकित्सा पेशेवरों के बीच आदान-प्रदान किए गए 547 ईमेल सुरक्षित किए हैं। इसकी जांच गुरुवार को भी जारी रहेगी। दरअसल, माराडोना की खोपड़ी और मस्तिष्क के बीच बने हेमटोमा की सर्जरी हुई थी यानी दिमाग में खून का थक्का जमा होने की वजह से उनकी सर्जरी हुई थी। वह चार से 11 नवंबर के बीच ओलिवोस में गहन देखभाल में रहे। इसके बाद अचानक से उन्हें अस्पताल से रिलीज किया गया और एक निजी घर में रिहैब के लिए भेज दिया गया। वहीं, 25 नवंबर 2020 को 60 वर्ष की आयु में उनकी मृत्यु हो गई।

'माराडोना को रिहैब के लिए अस्पताल से घर क्यों लाया गया?'
माराडोना ने दशकों तक कोकीन और शराब की लत से लड़ाई लड़ी थी। माराडोना की मेडिकल टीम पर मुकदमा है। इस पूरे कांड को अभियोजकों ने माराडोना के जीवन के अंतिम दिनों का 'हॉरर थिएटर' कहा है। माराडोना की मौत दिल का दौरा पड़ने और एक्यूट पल्मोनरी एडिमा (ऐसी स्थिति जहां फेफड़ों में तरल पदार्थ जमा हो जाता है) की वजह से हुई। कैसिनेली ने कहा कि जिस घर में माराडोना का निधन हुआ, वह रिहैब के लिए उपयुक्त स्थान नहीं था।

'महान फुटबॉलर को उनकी मृत्यु से पहले दर्द में छोड़ दिया गया'
मामले में उनकी मेडिकल टीम के सात चिकित्सा पेशेवरों पर 'संभावित इरादे से हत्या' का आरोप लगाया गया है। उन पर आरोप है कि यह जानने के बावजूद कि घर लाना उनके मरीज (माराडोना) की मौत का कारण बन सकता है, उन्हें घर लाया गया। आरोप सिद्ध होने पर इन सातों पर आठ से 25 साल तक की जेल की सजा हो सकती है। अभियोजकों का आरोप है कि फुटबॉलर को उनकी मृत्यु से पहले दर्द के साथ छोड़ दिया गया था। जुलाई तक चलने वाले लंबे समय से लंबित मुकदमे में लगभग 120 गवाहों के गवाही देने की उम्मीद है।
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