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Navdeep Singh: 'मुझे आत्महत्या की सलाह दी थी', पैरालंपिक में सोना जीतकर नवदीप ने आलोचकों को दिया मुंहतोड़ जवाब

स्पोर्ट्स डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: Mayank Tripathi Updated Sun, 15 Sep 2024 05:16 PM IST
सार

एफ41 वर्ग के फाइनल में नवदीप के सुनहरे थ्रो ने स्टेड डी फ्रांस में भारतीय राष्ट्रगान के गूंजने को सुनिश्चित किया था। नवदीप 47.32 मीटर के अपने सर्वश्रेष्ठ प्रयास के साथ दूसरे स्थान पर थे लेकिन ईरान के बेत सयाह सादेघ को अयोग्य घोषित किए जाने के बाद उनके रजत पदक को स्वर्ण में बदल दिया गया।

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Navdeep Singh gave reply to the critics by winning gold in Paralympics said I was advised to commit suicide
स्वर्ण पदक के साथ भारतीय भाला फेंक एथलीट नवदीप - फोटो : यूट्यूब वीडियो ग्रैब- Paralympic Games
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विस्तार
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पेरिस पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाले नवदीप सिंह ने भारत वापसी के बाद अब अपने संघर्ष की कहानी सुनाई है। उन्होंने बताया कि उनकी हालत के कारण लोग उन्हें आत्महत्या की सलाह देते थे। बता दें कि, नवदीप ने पेरिस में भाला फेंक एफ41 वर्ग में पदक जीता था। 
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नवदीप ने सुनाई आपबीती
पेरिस में भारत का तिरंगा लहराने वाले 23 वर्षीय पैरा एथलीट ने हाल ही में शुभांकर मिश्रा को दिए एक इंटरव्यू में अपनी कहानी सुनाई। उन्होंने बताया कि लोगों को लगता था कि वह जीवन में कुछ नहीं कर पाएंगे, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अपना उत्साह खत्म नहीं होने दिया। नवदीप ने कहा- आपको क्या लगता है, हमें हौसला कहां से आता है? जब वो बोलते हैं कि तू कुछ नहीं कर सकता। इससे अच्छा तो तू आत्महत्या कर ले। ये क्या जीवन है तेरा? 
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पिता को किया याद
इस दौरान नवदीप ने अपने पिता को भी याद किया। पैरा एथलीट ने बताया कि उनके पिता ने ही उनकी खेल यात्रा की शुरुआत में मदद की थी। उन्होंने कहा- शुरुआत उन्होंने (पिता) करवाई थी। हर जगह साथ थे। इससे पहले भारतीय पैरा एथलीट ने अपने जैसे पैरा खिलाड़ियों के लिए उस तरह के सम्मान की मांग की थी, जैसा कि सामान्य खिलाड़ियों को मिलता है।

नवदीप के रजत को स्वर्ण में बदला गया 
एफ41 वर्ग के फाइनल में नवदीप के सुनहरे थ्रो ने स्टेड डी फ्रांस में भारतीय राष्ट्रगान के गूंजने को सुनिश्चित किया था। नवदीप 47.32 मीटर के अपने सर्वश्रेष्ठ प्रयास के साथ दूसरे स्थान पर थे लेकिन ईरान के बेत सयाह सादेघ को अयोग्य घोषित किए जाने के बाद उनके रजत पदक को स्वर्ण में बदल दिया गया। सयाह को बार-बार आपत्तिजनक झंडा प्रदर्शित करने के लिए अयोग्य घोषित किया गया। वह अपनी हरकतों से स्वर्ण पदक गवां बैठे।
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